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CBSE Class 10 Vyakran Revision Notes for Syntax

वाक्य-प्रकरण (Syntax)

वाक्य

एक विचार को व्यवस्थित रुप से प्रकट करने वाला सार्थक शब्द-समूह वाक्य कहलाता है।

जैसे- माँ खाना बना रही है।
रीमा पत्र लिख रही है।
श्याम खेल रहा है।
उपर्युक्त तीनों वाक्य है क्योंकि तीनों वाक्यों से सार्थक अर्थ प्रकट हो रहा है।

 

वाक्यांश

शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो निकलता है किन्तु पूरा अर्थ नहीं निकलता है उसे वाक्यांश कहते हैं जैसे – वृक्ष के पास, कोने में, किनारे पर आदि।

 

वाक्य के अंग



उद्देश्य (subject)- वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे-
1.  बच्चा सो रहा है।

2. दादा जी अखबार पढ़ रहे है।

3. पिताजी बाजार जा रहे हैं।

 

विधेय (Predicate)- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं। जैसे

  1. बच्चा सो रहा है।
  2. दादा जी अखबार पढ़ रहे हैं।

पिताजी बाजार जा रहे हैं।

 

उद्देश्य का विस्तार

जब वाक्यों में उसका परिचय देने वाले अन्य शब्द भी साथ आए होते हैं। ये अन्य शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलाते हैं। जैसे-

लड़का खेल रहा है।
मोटा लड़का खेल रहा है।
इनमें मोटा शब्द उद्देश्य का विस्तार हैं।

  • उद्देश्य में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया-विशेषण, वाक्यांश आदि शब्द-भेदों का प्रयोग होता है।
  • वाक्य के साधारण उद्देश्य में विशेषणादि जोड़कर उसका विस्तार करते हैं।
  • उद्देश्य का विस्तार विशेषण से, संबंध कारक और वाक्यांश से शब्दों के द्वारा प्रकट होता है।

विधेय का विस्तार

जब वाक्यों में उसका परिचय देने वाले अन्य शब्द भी साथ आए होते हैं। ये अन्य शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलाते हैं। जैसे-

वाक्यों में मूल विधेय को पूर्ण करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है वे विधेय का विस्तार कहलाते हैं।

जैसे-वह अपने घर जा रहा है।

इसमें अपने विधेय का विस्तार है।

 

वाक्य-भेद

रचना के अनुसार वाक्य के निम्नलिखित भेद हैं-



1. साधारण वाक्य (Simple Sentence)
जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य व मुख्य क्रिया हो, वह साधारण वाक्य कहलाता है। जैसे-

  1. अमर पुस्तक पढ़ रहा है।
  2. राजीव ने भोजन किया।
  3. रोहन मैदान में खेलता है।
  4. बच्चा भागता रहता है।
    • साधारण वाक्य में कर्ता के साथ उसके विस्तारक-विशेषण और क्रिया के अतिरिक्त कर्म एवं क्रिया-विशेषण आ सकते हैं।

2.  संयुक्त वाक्य(Compound Sentence)

दो अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब सामानाधिकरण समुच्चयबोधकों से जुड़े होते हैं, तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

(समानाधिकरण समुच्चयबोधकों जैसे - पर, किन्तु, और, या आदि)

  1. वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
  2. दिन ढल गया और अन्धेरा बढ़ने लगा।
  3. प्रिय बोलो पर असत्य नहीं।
  4. मैंने बहुत परिश्रम किया इसलिए सफल हो गया।
  5. मैं बहुत तेज़ दौड़ा फिर भी ट्रेन नहीं पकड़ सका।

संयुक्त वाक्य वाक्य के निम्नलिखित चार भेद हैं -


1.  संयोजक- जब संयुक्त वाक्य संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है।

जैसे- राम ने खाना खाया और श्याम ने खाना नहीं खाया।

2. विभाजक- जब वाक्यों में परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है।
जैसे - वह बातें तो बहुत बनाता है लेकिन काम नहीं करता।

3. विकल्पसूचक- जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है।
जैसे-ठीक से काम करो अथवा नौकरी छोड़ दो।

4. परिणामबोधक- जब एक साधारण वाक्य दूसरे वाक्य का परिणाम होता है।
जैसे- आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं बाहर नहीं जा सकता।

 

3. मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)

जिस वाक्य में एक मुख्य वाक्य और उसके आश्रित एक या एक से अधिक उपवाक्य हो उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।

जैसे-

  1. सफल वही होता है जो दिन-रात मेहनत करता है।
  2. जो महिला वहाँ बैठी हैं वो मेरी माँ है।
  3. जो लड़का कमरे में बैठा है वह मेरा भाई है।
  4. यदि परिश्रम करोगे तो उत्तीर्ण हो जाओगे।
  5. मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते।
     
  • मिश्रित वाक्य में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं।


आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

 

1   संज्ञा उपवाक्य

जो आश्रित उपवाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर आता है, वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है।

जैसे - लगता है कि वह बहुत परेशान है।
यहाँ कि वह बहुत परेशान है यह संज्ञा उपवाक्य है।

 

विशेषण उपवाक्य

मुख्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतानेवाला आश्रित उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहलाता है।

जैसे- मैं वह घड़ी नहीं लूँगा जो मुझे पुरस्कार स्वरूप मिली है।

 

क्रिया-विशेषण उपवाक्य

प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतानेवाला आश्रित उपवाक्य क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहलाता है।
जैसे- जब वह मेरे घर आया तब मैं खेल रहा था।

 

वाक्य-परिवर्तन

वाक्य-परिवर्तन के अंतर्गत वाक्य के अर्थ में किसी तरह का परिवर्तन किए बिना वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित किया जाता है।

साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में परिवर्तन

साधारण वाक्य

संयुक्त वाक्य

मैं खाना खाकर सो गया।

मैंने खाना खाया और सो गया।

बीमार होने के कारण मैं विद्यालय नहीं जा सकी।

मैं बीमार थी इसलिए मैं विद्यालय  नहीं जा सकी।

तुम पढ़कर सो जाना

तुम पढ़ना और सो जाना।

 

साधारण वाक्यों का मिश्रित वाक्यों में परिवर्तन

साधारण वाक्य

मिश्रित वाक्य

झूठ बोलने वालों को कोई पसंद नहीं करता।

जो झूठ बोलते हैं उन्हें कोई पसंद नहीं करता।

बीमार होने के कारण दादी जी कहीं आ-जा नही सकती।

दादी जी इतनी बीमार है कि वह कहीं आ-जा नहीं सकती।

राघव हँसकर बोला।

वह राघव है जो हँसकर बोला।

 

संयुक्त वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन

संयुक्त वाक्य

साधारण वाक्य

राज ने खाना खाया और खेलने चला गया।

राज खाना खाकर खेलने चला गया।

जो गरीब हैं उसकी कोई नहीं सुनता।

गरीबों की कोई नहीं सुनता।

रानी ने रोना शुरू किया और बेहोश हो गई

रानी  रोते हुए बेहोश हो गई।

 

संयुक्त वाक्यों का मिश्रित वाक्यों में परिवर्तन

संयुक्त वाक्य

मिश्रित वाक्य

सोहन मुंबई चला गया पर वहाँ खुश नहीं है।

जब से सोहन मुंबई गया है खुश नहीं है।

माँ ने थैला

उठाया और बाजार की ओर चली गई।

जब माँ ने थैला

उठाया तब वे बाजार की ओर चली।

सुरभि ने खाना खाया और चली गई।

ज्योंही सुरभि ने खाना खाया, वह चली गई।

 

मिश्रित वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन

मिश्रित वाक्य

साधारण वाक्य

मैंने रीमा से कहा कि वह मेरा काम करें।    

मैंने रीमा से अपना काम करने के लिए कहा।

जैसे ही हम घर से बाहर निकले

मेहमान आ गए।

हमारे घर से बाहर निकलते ही  मेहमान आ गए।

जैसे ही हम बस से उतरे, रिक्शा वाले दौड़ पड़े।

हमारे बस से उतरते ही रिक्शा वाले दौड़ पड़े।

 

मिश्रित वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में परिवर्तन

मिश्रित वाक्य

संयुक्त वाक्य

जब सूर्य निकला, तो फूल खिल गए।

सूर्य निकला और फूल खिल गए।

मैं एक ऐसे लड़के से मिला जो बहुत बुद्धिमान है।

मैं एक लड़के से मिला और वह बहुत बुद्धिमान है।

जब दुर्घटना की खबर सुनी, तब मन दुखी हो गया।

दुर्घटना की खबर सुनी और मन दुखी हो गया।

 

अर्थानुसार वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद हैं-

 

1.

विधानार्थक वाक्य

2.

निषेधार्थक वाक्य

3.

आज्ञार्थक वाक्य

4.

प्रश्नार्थक वाक्य

5.

इच्छार्थक वाक्य

6.

संदेहार्थक वाक्य

7.

संकेतार्थक वाक्य

8.

विस्मयबोधक वाक्य

 

 

1. विधानार्थक वाक्य

जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने का कथन हो, उन्हें विधानार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. वर्षा हो रही हैं।
  2. राधिका पाठशाला चली गई।
  3. दादाजी ने पानी पी लिया।

  

2. निषेधार्थक वाक्य

जिस वाक्य से किसी बात के न होने का कथन हो, उन्हें निषेधार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. वह आज नहीं आएगा।
  2. राघव आज खेलने नहीं आएगा।
  3. बड़े भैया आज नही जाएँगे।

 

3. आज्ञार्थक वाक्य

 

जिस वाक्य से आदेश अथवा अनुमति देने का बोध हो, उन्हें आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. आप यहाँ बैठ सकते है।
  2. कृपया शांति बनाए रखें।
  3. वहाँ जाकर बैठिए।

 

4. प्रश्नार्थक वाक्य

जिस वाक्य में प्रश्न किया जाए, उन्हें प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. तुम कब आए?
  2. तुम कहाँ रहते हो?
  3. यह फिल्म कब खत्म होगी?

 

5. इच्छार्थक वाक्य

जिस वाक्य से इच्छा या आशा के भाव प्रकट किया जाए, उन्हें इच्छार्थक वाक्य कहते  हैं। जैसे-

  1. सबका भला हो।
  2. तुम्हारा कल्याण हो।
  3. नववर्ष मंगलमय हो।

 

6. संदेहार्थक वाक्य

जिस वाक्य से संदेह का बोध हो, उन्हें संदेहार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. आज शायद वर्षा हो।
  2. शायद पिताजी मान जाय।
  3. आज बहुत तेज गर्मी हो सकती है।

 

7. संकेतार्थक वाक्य

जिस वाक्य से संकेत का बोध हो, उन्हें संकेतार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. अगर तुम परिश्रम करते तो अवश्य सफल होता।
  2. यदि तुम थोड़ा तेज चलते तो गाड़ी नहीं छूटती।
  3. अगर तुम जल्दी उठ जाते तो पाठशाला के लिए देरी न होती।

 

8. विस्मयबोधक वाक्य

जिस वाक्य से विस्मय के भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयबोधक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. अहा! कितना प्यारा दृश्य है।
  2. ओह! कितनी सर्दी है।
  3. अरे! तुम लोग कब पहुँचें।

 

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