NCERT Solutions for Class 11-science Hindi Chapter 2 - Krishan Sobati
Chapter 2 - Krishan Sobati Exercise प्रश्न-अभ्यास
मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं। अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। वे अपने को सर्वश्रेष्ठ नानबाई बताता है।
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास पत्रकार की हैसियत से गई थी। वे उनकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना चाहती थी।
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था। वे जो बातें बता रहे थे वे बस सुनी-सुनाई थीं। उस तथ्य में सच्चाई नहीं थी। लेखिका को डींगे मारने के बाद उसे सिद्ध नहीं कर सकते थे।
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी उसके बाद वे किसी को भट्टी सुलगाने के लिए पुकारने लगे। तभी लेखिका के पूछने पर उन्होंने बताया वे उनके कारीगर हैं। तभी लेखिका के मन में आया के पूछ लें आपके बेटे-बेटियाँ हैं, पर उनके चहेरे पर बेरुखी देखी तो उन्होंने उस विषय में कुछ न पूछना ही ठीक समझा।
मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष की आयु के हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कुछ इस प्रकार खींचा है - लेखिका ने जब दुकान के अंदर झाँका तो पाया मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा़ ले रहे हैं। मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर।
मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं -
• उनका आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व।
• काम के प्रति रूचि एवं लगाव।
• सटीक उत्तर देने की कला।
• तरह-तरह की रोटियाँ बनाने में महारत।
• शागिर्द को उचित वेतन देना।
लेखिका ने तालीम शब्द का प्रयोग दो बार किया है। क्रमशः उनका अर्थ 'काम की ट्रेनिंग' और 'शिक्षा' है। हम दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह शब्द रख सकते हैं - 'तालीम की शिक्षा'।
मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं। पहले उनके दादा साहिब थे आला नानबाई मियाँ कल्लन, दूसरे उनके वालिद मियाँ बरकतशाही नानबाई थे।
वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं क्योंकि पारंपरिक व्यवसाय की ओर लोगों की रूचि कम हो गई हैं, लोग अब पढ़-लिखकर तकनीकी और शैक्षिक व्यवसाय की ओर जाना पसंद करते हैं।
अखबारनवीस पत्रकार को कहते हैं। अखबार की समाज को जागृत करने में अहम भूमिका होती हैं। अखबार जनता को न्याय भी दिला सकता है। परंतु आज-कल
की अखबार में बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखते है जिससे लोगों में उनका प्रभाव कम हो गया है।
Chapter 2 - Krishan Sobati Exercise भाषा की बात
- हमारे पड़ोसी आस-पड़ोस के लोग को मुफ़्त में योग सिखाते हैं। एक दिन मैंने उनकी तारीफ़ की तो उन्होंने पंचहजा़री अंदाज़ में सिर हिलाया।
- हमारे मित्र जब अपनी कविता की बढ़-चढ़कर प्रशंसा कर रहे थे तो मैंने उनसे बेहतर कविताओं के उदाहरण दिए इस पर नाराज होकर उन्होंने अपनी आँखों के कंचे हम पर फेर दिए।
- कर्तव्यनिष्ठ पिताजी के स्वर्ग सिधारने के बाद उनका नाकारा बेटा आ बैठा उन्हीं कें ठीये पर।
• घूर-घूरकर देखना - बस में एक बदमाश युवक युवती को घूर-घूरकर देख रहा था।
• टकटकी लगाकर देखना - चाँदनी रात में आसमान में खिले चाँद-तारों को टकटकी लगाकर देखा जाता है।
• चोरी-चोरी देखना - घर में सभी की उपस्थिति की वजह से सोहन अपनी मंगेतर को चोरी-चोरी देख रहा था।
• सहमी-सहमी नज़रों से देखना - भीड़ में खोया हुआ बच्चा जब अपने परिवार को मिलता है तब वह सहमी-सहमी नज़रों से सबको देखता है।
क) मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
ख) थोड़ा वक्त निकाल लेंगे।
ग) बात दिमाग में चक्कर काट गई है।
घ) जनाब! रोटी आँच से पकती है।
Kindly Sign up for a personalised experience
- Ask Study Doubts
- Sample Papers
- Past Year Papers
- Textbook Solutions
Sign Up
Verify mobile number
Enter the OTP sent to your number
Change