SUSHMA AGARWAL Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1 - Naya Rasta
Chapter 1 - Naya Rasta Exercise प्रश्न-अभ्यास
प्रस्तुत पंक्तियों में दयाराम जी के घर उनकी बेटी मीनू को देखने मेरठ से मायाराम जी का परिवार आ रहा है।
दयाराम जी की बेटी मीनू साँवली होने के कारण अभी तक उसे कोई पसंद नहीं कर पाया था लेकिन मेरठ वालों को उसकी फोटो पसंद आ गई थी। अत: सभी को लगता था कि इस बार मीनू का रिश्ता हो ही जाएगा इसीलिए आने वाले मेहमान को महत्त्व दिया जा रहा था।
आज भी हमारे यहाँ लड़की वालों के यहाँ रिश्ता लेकर आना उत्सव से कम नहीं होता इसलिए वे अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। अपनी हैसियत के मुताबिक या उससे भी बढ़ चढ़ कर मेहमानों को खुश करने का प्रयास करते हैं।
यहाँ पर भी दयाराम जी बेटी मीनू को देखने के संदर्भ में विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ का उल्लेख किया गया है।
अभी तक मीनू के रंग-रूप के कारण उसका कहीं रिश्ता नहीं हो पाया था परंतु इस बार मेरठ में रहने वाले मायाराम जी के परिवार वालों को मीनू का फोटो पसंद आ गया था अत: परिवार वालों को इस बार पूरी उम्मीद थी कि इस बार मीनू का रिश्ता पक्का हो ही जाएगा।
मीनू के रंग-रूप के कारण वह अनेक बार ठुकराई जा चुकी थी परंतु मेरठ वाले रिश्ते से उसे काफी उम्मीदें बंधी थी लेकिन वहाँ से भी जब उसे ठुकराया गया तो वह एकदम टूट सी जाती है। उसे लगने लगता है कि उसका जीवन व्यर्थ है। पर जल्दी ही अपने आप को संभाल लेती है और विवाह न करने का संकल्प लेकर अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में लग जाती है।
यूँ तो मीनू को बचपन से ही वकील बनने की इच्छा थी परंतु उसके माता-पिता उसे होस्टल भेजने के पक्ष में न होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। पर अंत में मीनू की लगन देखकर उन्होंने उसे आज्ञा दे दी इस प्रकार विवाह के अलावा मीनू का लक्ष्य वकील बनना था।
यहाँ पर मीनू समाज को यह दिखाना चाहती थी कि केवल विवाह ही किसी लड़की की मंजिल नहीं होती है। लड़की के सामने विवाह के अतिरिक्त भी अन्य कई विकल्प मौजूद होते है।
प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ यह है कि इंसान को परिस्थिति के आगे हार नहीं माननी चाहिए। मीनू ने भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी और अपना ध्यान लक्ष्य को पूरा करने में केंद्रित कर दिया।
धनीमल मेरठ के एक बड़े रईस और सरिता के पिता हैं। मायाराम अमित के पिता हैं।
मायाराम अपने परिवार सहित धनीमल की बेटी को देखने आए हुए हैं। इस समय उन दोनों के बीच इसी रिश्ते को लेकर आपस में बातचीत चल रही है।
अमित और सरिता आपस में खुलकर बातचीत कर सके इसलिए दोनों के परिवार वालों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। अमित और सरिता इस समय औपचारिक वार्तालाप के दौरान अपनी पसंद-नापसंद, पढ़ाई-लिखाई और रुचियों की बातें कर रहे हैं।
यहाँ पर अमित को आपसी बातचीत के दौरान सरिता के बारे में यह पता चलता है कि उसे पेंटिंग व कार ड्राइविंग का शौक है। अमित को आश्चर्य होता है कि एक गृहस्थी को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई चीजों को आवश्यकता होती है और सरिता को घर के कामों में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
अमित और सरिता ने जब आपस में बातचीत की तो अमित को सरिता के बारे में जानने का मौका मिला उस बातचीत से यह निष्कर्ष निकला कि सरिता को घर के कामों में कोई रूचि नहीं थी।
यहाँ पर मीनू की अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण आया है।
मीनू को जब उसकी अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण पत्र आता है तब वह उसे अतीत की बातें याद आने लगती है कि किस प्रकार अतीत में कई बार उसे कई लड़के ना-पसंद कर चुके थे। उन बातों को याद कर मीनू उदास हो जाती है।
मीनू साधारण नैन-नक्श की साँवले रंग-रूप की लड़की थी जिसके कारण उसे कोई भी पसंद नहीं कर रहा था। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि मीनू गुणों से भरी हुई लड़की थी पर सभी ऊपरी चमक-दमक को ही महत्त्व दे रहे थे।
मीनू को उसकी अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण पत्र आता है। तब वह अतीत की यादों में खो जाती है और उदास हो जाती है परंतु फिर अपनी स्थिति को संभाल कर अपनी सहेलियों के साथ पूर्वनियोजित योजनानुसार बाहर चली जाती है।
नवयुवक अमित है। ये वही है जो कुछ दिनों पहले मीनू देखने के लिए आया था और उसका रिश्ता यह कहकर ठुकराया था कि उन्हें मीनू के बदले उसकी छोटी बहन पसंद आ गई थी।
मीनू अपने सामने अमित को देखकर चौंक गई। मीनू ने यह कल्पना नहीं की थी कि किसी दिन अमित से उसका सामना इस तरह होगा।
अमित ने जब मीनू की प्रशंसा की तो वह खुश नहीं हुई क्योंकि अमित वही लड़का था जिसने कुछ दिनों पूर्व उसका रिश्ता ठुकराया था।
यहाँ पर अमित ने मीनू जैसी गुणी लड़की का रिश्ता ठुकराकर उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई थी। मीनू पढ़ी-लिखी गुणी लड़की थी परंतु अमित के माता-पिता ने अमीर लड़की का रिश्ता आने के कारण उसके रिश्ते को यह कहकर ठुकराया कि उन्हें मीनू के बदले उसकी छोटी बहन पसंद आई है जबकि वास्तव में वे धनीमल की बेटी सरिता से अमित का विवाह करवाना चाहते थे।
वह महिला मीनू की बुआ है। वह अपने भइया को बेटियों के विवाह का महत्त्व समझा रही है। बुआ के अनुसार बेटियों के शादी हो जाने से माता-पिता को बहुत बड़े कामों से मुक्ति मिल जाती है।
बुआ अपनी भतीजी मीनू और आशा की विवाह की चिंता कर रही है। मीनू और आशा के पिता की तबियत भी खराब रहती थी और ऊपर से अभी तक मीनू और आशा का विवाह भी न हुआ था अत: बुआ इनके विवाह की चिंता कर रही है।
हमारे समाज में स्त्री को दोयम दर्जे का समझा जाता है। माता-पिता बेटी को एक भार और बोझ समझते हैं। बेटी को पराया धन समझा जाता है। उसके विपरीत बेटे को घर का चिराग और कुलदीपक समझा जाता है। और यही कारण है कि लड़की के विवाह को हमारे समाज में इतना अधिक महत्त्व दिया जाता है। माता-पिता को लगता है कि बेटी के विवाह से उनके सिर से एक बड़ी भारी जिम्मेदारी उतर जाएगी।
प्रस्तुत पंक्तियों का अर्थ यह है कि बेटियाँ माता-पिता की बड़ी जिम्मेदारियाँ होती है। वे उनका विवाह करके ही इस जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं।
नीलिमा मीनू की हमउम्र और उसकी अभिन्न मित्र है। वह मीनू को विवाह करने की सलाह दे रही है। नीलिमा को जब पता चलता है कि मीनू की छोटी बहन का रिश्ता तय हो गया है और मीनू ने शादी न करने का निर्णय लिया है तो उसे विवाह समय पर करने की राय देती है।
मीनू का रिश्ता कई बार साधारण रंग-रूप होने के कारण ठुकराया जा चुका है इसलिए जब उसकी सहेली नीलिमा उसकी शादी के विषय में पूछताछ करती है तो वह उदास हो जाती है।
नीलिमा और मीनू हमउम्र सहेलियाँ हैं। नीलिमा की शादी हो चुकी है और वह चाहती है कि उसकी सहेली मीनू का भी विवाह हो जाय इसलिए वह उसकी शादी के लिए उत्साहित है।
यहाँ पर नीलिमा के प्रश्न के उत्तर में मीनू के मुँह से यह उद्गार निकलते हैं। मीनू का रिश्ता बहुत बार ठुकराया जा चुका था उसे अब अपने विवाह की कोई उम्मीद नहीं बची थी ऐसे मैं अपनी सहेली के इस प्रश्न से वह निराश हो जाती है और कहती है कि अब कौन उसके साथ शादी करेगा।
यहाँ पर विचित्र घड़ी से उद्देश्य बेटी के विवाह से है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि जिस बेटी का माता-पिता लालन-पालन बड़े ही प्यार से करते हैं अंत में एक दिन वे उसे किसी दूसरे के हाथों कैसे सौंप पाते हैं।
यहाँ पर मीनू की छोटी बहन आशा का विवाह हो रहा है।
हमारे समाज में बेटी पराया धन मानी जाती है। प्रत्येक माता-पिता एक अमानत के तौर पर बेटी की देखभाल करते हैं। इसलिए वर्षों के लाड़-प्यार के बाद लड़की को बिछुड़ना पड़ता है।
बेटी पराया धन होती है इसका अर्थ यह है कि बेटियों का बड़े प्यार से लालन-पालन किया जाता है और एक दिन उनका विवाह होकर वे दूसरों के घर चली जाती है इसलिए उन्हें पराया धन कहा जाता है।
दीपक अमित की माँ के भाई का बेटा है। इस रिश्ते से अमित की माँ दीपक की बुआ है।
अमित की माँ शादी में जाने को उत्साहित इसलिए है क्योंकि दीपक उनके भाई का लड़का है और साथ ही कई वर्षों के बाद वे अपने भाई से इस विवाह के कारण मिल पाएँगी।
अमित का रिश्ता सरिता से टूट जाने के बाद से इस घर में अजीब-सी शांति छा गई थी घर के सभी सदस्य अपने-अपने काम से निकल जाते थे और अमित की माँ घर में अकेली रह जाती थी इसलिए शादी शब्द सुनकर एक अजीब प्रसन्नता यहाँ छा जाती है।
यहाँ पर शादी के पीछे छिपे अमित की माँ के मन में हुई खुशी के भाव से है। अमित की माँ पिछले कई वर्षों से अपने भाई से नहीं मिल पाई थी अब इस शादी के अवसर पर वह शादियों की खुशियों के साथ अपने भाई से भी मिल पाएँगी।
वक्ता मीनू अमित के एक्सीडेंट हो जाने के कारण परेशान है।
मीनू को जब नीलिमा से अमित के एक्सीडेंट की खबर मिलती है तो वह उसे देखने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुँच जाती है परंतु वहाँ जाने के बाद उसे पता चलता है कि मरीजों से मिलने का समय सुबह के दस बजे से है और उस समय नौ बजे थे और वह जल्द से जल्द अमित को मिलना चाहती थी इसलिए उसे वह समय लंबा लग रहा था।
इस इंतजार का वास्तविक उद्देश्य यह है कि मीनू के मन में अमित के प्रति जो घृणा थी वह अब स्नेह में बदल गई है। इसलिए वह अमित की एक्सीडेंट की खबर सुनकर बैचैन हो जाती है और जल्द से जल्द उससे मिलना चाहती है।
यह कथन अमित के एक्सीडेंट और मीनू के मन परिवर्तन के परिपेक्ष्य में कहा गया है। मीनू अपना रिश्ता अमित द्वारा ठुकराए जाने के कारण उसे पसंद नहीं करती परंतु नीलिमा द्वारा सच जानने के बाद मीनू का मन परिवर्तन हो गया था और अब वह अमित से स्नेह करने लगी थी।
अमित ने मीनू का रिश्ता ठुकराकर मीनू के दिल को ठेस पहुँचाई थी इसलिए इस तरह मीनू के अस्पताल में आकर उसे मिलने से अमित खुश हो गया।
यह वार्तालाप मीनू और अमित की माँ के मध्य चल रहा है। उनका आपस में वैसे सीधा कोई संबंध नहीं है। वैसे अमित की माँ ने एक बार मीनू का रिश्ता अमीर घर की लड़की सरिता के लिए ठुकराया था।
अमित का एक्सीडेंट हो गया था और ऐसे में कोई लड़की अमित से मिलने आती है। और पूछताछ करने पर जब उन्हें पता चलता है कि वह कोई साधारण लड़की न होकर वकील है तो वक्ता बड़ी खुश होती है।
इन पंक्तियों का भाव यह है कि मीनू फैसला नहीं कर पा रही थी कि जिस लड़के ने उसे ठुकराया है वह उसी से मिलने अस्पताल जाएँ या नहीं।
मीनू जहाँ रहती थी वहीँ पर उनके पड़ोस में एक महिला रहती थी जिसे मीनू मौसी के नाम से संबोधित करती थी। यह पड़ोस वाली मौसी उसे एक दिन बस में मिल जाती है। वह एक अन्य महिला के साथ मीनू के अभी तक अविवाहित रहने की बात करती है और यह बातें सुनकर वह आहत हो जाती है।
हमारे समाज में पहले से ही लड़की और लड़के में अंतर किया जाता रहा है। लड़का कितनी भी गलती करें उसे कभी कोई कुछ नहीं कहता परंतु यदि लड़की छोटी भी गलती करे तो पूरा समाज उस पर दोषारोपण करने लगता है।
बचपन से ही लड़की को लड़कों से कम समझा और आँका जाता है इसलिए जब कभी कोई लड़की लड़कों के साथ बराबरी या कुछ अलग करने की कोशिश करती है तो पूरा समाज उसके विरुद्ध खड़ा हो जाता है इसलिए लड़की के जीवन में इतनी कठिनाईयाँ आती है।
इन पंक्तियों का भाव लड़का और लड़की में भेद से है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि इस भेद के कारण लड़की अपने आप को कम समझने लगती है। उसके छोटे से भी अपराध को बहुत बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है उसी जगह पर लड़का कितना भी अपराध क्यों न करे उसे कोई कुछ नहीं कहता है।
यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि साधारण रंग-रूप की होने के कारण जहाँ उसे ठुकरा दिया था उसी परिवार ने बाद में उसे सिर आँखों पर उठाकर उसे अपने घर की बहू बना लिया था। साथ ही उसने अपने वकील बनने के लक्ष्य को भी पा लिया था।
हाँ वकील बनना ही मीनू की मंजिल थी।
मीनू अमित से विवाह के बंधन में बंधने से सामजिक बंधन से मुक्त हो गई। हमारे समाज में लड़की कितनी भी सफलता क्यों न प्राप्त कर ले परंतु जब तक वह शादी करके अपना घर नहीं बसा लेती तब तक समाज उस पर दवाब बना रहता है।
'विशेष ख्याति' से यहाँ तात्पर्य मीनू के वकील बनने से है। मीनू ने अपनी लगन और परिश्रम के बलबूते पर अपना वकील बनने का लक्ष्य पूरा किया।
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