ICSE Class 10 Saaransh Lekhan Kaaki (Sahitya Sagar)
Kaaki Synopsis
सारांश
प्रस्तुत कहानी में एक बालक के माँ के प्रति प्रेम को प्रकट किया गया है। बालक के लिए अपनी माँ ही सबकुछ होती है। कहानी का बालक श्याम भी अपनी माँ को भगवान के घर से लाने के लिए अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ता है। इस तरह से यह कहानी बेटे के अपनी माँ के प्रति निश्छल प्रेम को प्रदर्शित करता है।
कहानी का सार इस प्रकार है-
उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसके घर में कुहराम मचा हुआ है उसकी माँ ऊपर से नीचे तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कंबल पर भूमि शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे, घेरकर बैठे बड़े करुण ढंग से विलाप कर रहे हैं। उसके बाद जब उसकी माँ की श्मशान ले जाने के लिए ले जाने लगे तो श्यामू ने अपनी माँ को रोकने के लिए बड़ा उपद्रव मचाया।
श्यामू अबोध बालक होने के कारण बड़े बुद्धिमान गुरुजनों ने उससे उसकी माँ की मृत्यु की बात यह कहकर छिपाई कि उसकी माँ मामा के यहाँ गई है परंतु जैसा कि कहा जाता है असत्य के आवरण में सत्य बहुत समय तक छिपा नहीं रह सकता ठीक उसी प्रकार श्यामू जब अपने हमउम्र दोस्तों के साथ खेलने जाता तो उनके मुख से यह बात उजागर हो गई कि उसकी माँ राम के यहाँ गई है और इस तरह श्यामू को पता चल ही गया कि उसकी माँ की मृत्यु हो गई है।
इस प्रकार बहुत दिन तक रोते रहने के बाद उसका रुदन तो शांत हो जाता है लेकिन माँ के वियोग की पीड़ा उसके हृदय में शोक बनकर बस जाता है।
वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है। वह इतना अबोध बालक है कि सत्य और असत्य के ज्ञान से अपरिचित होने के कारण अपनी माँ की मृत्यु की बात भी नहीं समझ पाता। उसे लगता है उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग की डोर के सहारे नीचे ला सकता है। श्यामू अपनी माँ के जाने के बाद हमेशा दुखी रहा करता था। उसके हमउम्र बच्चों के अनुसार उसकी माँ राम के पास गई है इसलिए वह प्राय: शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता था। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी और श्यामू ने सोचा कि पतंग की डोर को ऊपर रामजी के घर भेजकर वह अपनी माँ को वापस बुला लेगा और यही सोचकर उसका ह्रदय खिल उठा। इस तरह अपनी माँ को रामजी के घर से पुन: प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भोला से पतंग और रस्सी मँगवाई। भोला उसका समवयस्क साथी था। वह सुखिया दासी का पुत्र था। श्यामू लिखना नहीं जानता था इसलिए उसने जवाहर भैया से काकी लिखवाने में मदद माँगी। काकी लिखवाने का श्यामू का यह उद्देश्य था कि यदि चिट पर काकी लिखा होगा तो पतंग सीधे उसकी काकी के पास ही पहुँच जाएगी।
श्यामू अपनी माँ को रामजी के घर से लाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहले अपने पिता से पतंग दिलवाने की प्रार्थना करता है श्यामू के पिता अपनी पत्नी की मृत्यु से दुखी और उदास रहते थे इसलिए उन्होंने श्यामू की पतंग की माँग तो सुनी पर उस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए श्यामू को पतंग नहीं दिलवाई।
परंतु जब उसके पिता उसे पतंग नहीं दिलवाते हैं तो वह खूँटी पर रखे पिता के कोट से चवन्नी चुरा लेता है और भोला से कहकर पतंग और डोर की व्यवस्था करता है। इस प्रकार अपनी माँ को वापस लाने के लिए वह चोरी करने से भी नहीं हिचकिचाता।
विश्वेश्वर को अपने कोट की जेब से पैसे गायब होने का पता चल गया था। उन्हें लगा यह काम भोला और श्यामू में से किसी एक का हो सकता है। अपने जेब से इस तरह रूपया चोरी होने की बात को लेकर विश्वेश्वर उग्र हो गए थे।
श्यामू अपने अपनी माँ को पतंग के सहारे नीचे उतारने के कार्य में लगा ही था कि उसके पिता को चोरी की खबर लग जाती है और वे वहाँ पहुँच जाते हैं, जहाँ श्यामू और भोला पतंग को रस्सी बाँध रहे थे। विश्वेश्वर का उग्र विश्वेश्वर अपनी कोट की जेब से एक रूपए की चोरी का पता लगाने जब भोला और श्यामू के पास पहुँचते हैं तो उन्हें भोला से सच्चाई का पता चलता है कि श्यामू ने ही एक रूपए की चोरी की है। इस पर वे बहुत अधिक क्रोधित हो उठते है और क्रोधवश श्यामू को धमकाने और मारने के बाद पतंग फाड़ देते हैं। लेकिन जब उन्हें भोला द्वारा यह पता चलता है कि श्यामू इस पतंग के द्वारा काकी को राम के यहाँ से नीचे लाना चाहता है, सुनकर विश्वेश्वर हतबुद्धि होकर वहीं खड़े रह जाते हैं।
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