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ICSE Class 10 Saaransh Lekhan DeepDaan (Eakanki Sanchay)

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DeepDaan Synopsis

सारांश

प्रस्तुत एकांकी ‘दीपदान’ श्री डॉक्टर रामकुमार वर्माद्वारा रचित है। दीपदान एकांकी की कथा चित्तौड़ एक एक ऐतिहासिक घटना पर आधारित है, जिसमें पन्ना धाय के अपूर्व त्याग,बलिदान एवं देशप्रेम की कहानी है।

इस एकांकी में साथ पात्र हैं- कुँवर उदयसिंह, पन्ना धाय, सोना, चंदन, सामली,कीरत और बनवीर।

महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र कुँवर उदयसिंह राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। वह चित्तौड़ पर अपना एकछत्र शासन जमाना चाहता था और यह तभी हो सकता था जब वह अपने रास्ते के सबसे बड़े कंटक कुँवर उदयसिंह को मार्ग से हटा दे। दूसरी ओर स्वामिभक्त पन्ना धाय थी जो कुँवर उदयसिंह की धाय माँ होने के कारण उसका बाल भी बाँका नहीं होने देती थी। अत: बनवीर ने कुँवर उदयसिंह को अपने रास्ते से हटाने के लिए रात के समय महल में दीपदान का आयोजन किया। इस दीपदान की आड़ में उसका उद्देश्य कुँवर उदयसिंह की हत्या करना था। 

कुँवर उदयसिंह को इस उत्सव में शामिल करने केलिए वह सरूप सिंह की पुत्री सोना को भेजता है परंतु पन्ना धाय किसी भी सूरत में कुँवर उदयसिंह को वहाँ जाने नहीं देती।

वह बनवीर की के राज्य हथियाने वाले मंसूबे को भी अच्छी तरह जानती है और खासकर के आज के दीपदान से तो वह काफी चिंतित थी और ऐसे में सोना का आना और अपने नृत्य की प्रशंसा करना और कुँवर उदयसिंह को भी इस तरह नाच-गाने में शामिल करना पन्ना धाय को उत्तेजित कर देता है। सोना के जाते ही सामली नामक सेविका पन्ना धाय को विक्रमादित्य की हत्या की सूचना देने के साथ यह भी बताती है कि बनवीर नंगी तलवार लेकर घूम रहा है। पन्ना धाय के सामने अब केवल एक ही ध्येय होता है किसी भी तरह से कुँवर उदयसिंह की रक्षा करना। इतने में महल की झूठी पत्तलें उठाने वाला कीरत बारी पन्ना धाय के कक्ष में आता है। उसे देखते ही पन्ना धाय को एक उपाय सूझता है। पन्ना धाय उसकी टोकरी में कुँवर उदयसिंह को छिपाकर महल से बाहर सुरक्षित स्थान पर भेज देती है और कुँवर उदयसिंह की शैया पर अपने बेटे चंदन सुला देती है। उसी समय बनवीर नंगी तलवार लेकर कक्ष में प्रवेश करता है। पन्ना धाय उसे अनेकों तरह से कुँवर उदयसिंह को बनवीर से बचाने का प्रयास करती है परंतु बनवीर चंदन को कुँवर उदयसिंह समझ कर मार देता है। पन्ना धाय माँ मूर्छित हो जाती है।

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