Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी स्वाध्याय
नाम |
रिश्ता |
रामस्वरूप-उमा |
पिता पुत्री |
रामस्वरूप- प्रेमा |
पति-पत्नी |
रतन-रामस्वरूप |
नौकर- मालिक |
गोपालप्रसाद-शंकर |
पिता-पुत्र |
1. वकील, मेडिकल
2. हारमोनियम सितार
1. खूबसूरत हो
2. सिलाई-पुराई जानती हो
3. अधिक पढ़ी-लिखी न हो
4. चश्मा न पहनती हो
1. उन्होंने उमा के चेहरे पर सुनहरी रिमवाला चश्मा देखा।
2. पिछले महीने उमा की आँखें दुखने लगी थी।
3. रामस्वरूप गोपालप्रसाद और शंकर को दिखाना चाहते थे कि उमा हारमोनियम बजाना जानती है।
4. गोपालप्रसाद उमा के चश्मे, उसके गाने-बजाने, पेंटिंग, सिलाई और उसकी पढ़ाई को लेकर एक के बाद एक सवाल करते जा रहे थे।
1. पढ़ना - पढ़ाकू
2. समझना - समझदार
3. सीना - सीनेवाला
4. चाहना - चाहत
1. पढ़े - लिखे
2. सभा - सोसायटी
3. पेंटिंग - वेंटिंग
4. सीधा - साधा
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी अभिव्यक्ति
मेरी बड़ी बुआ का मानना है कि यदि बिल्ली रास्ता काट दे तो अपशकुन हो जाता है। एक बार मेरे पिता अपने दफ्तर की जरुरी मीटिंग में जाने के लिए घर से बाहर निकल ही रहे थे कि न जाने कहाँ से एक बिल्ली पिताजी का रास्ता काट कर चली गई। दुर्भाग्यवश बुआ भी उस समय वही थी। बस बुआ ने आव-देखा न ताव पिताजी को घसीटते हुए अंदर ले आई और लाख समझाने पर भी उन्हें जाने न दिया। इस कारण पिताजी को मिलने वाला बड़ा आर्डर कैन्सिल हो गया। पिताजी इस कारण बहुत दिनों तक दुखी रहे। मैंने बुआ को समझाया कि ये सब मन में उपजी भावनाएँ होती हैं उन्हें इतना बढ़ावा नहीं देना चाहिए। धीरे-धीरे बुआ मेरी बात समझने लगी और उन्होंने इस आदत का परित्याग कर दिया।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी उपयोजित लेखन
पाना हो अच्छा स्वास्थ्य, होना हो चिंता मुक्त पाना हो वजन से छुटकारा होना हो सदा प्रसन्नचित्त तो आए हमारे योगा क्लिनिक में
योगा क्लिनिक शारदाश्रम विद्यालय शारदाश्रम मार्ग नागपाड़ा
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए हए नंबर पर संपर्क करें 999 333 89 89 |
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी भाषा बिंदु
1. गाय को घर के सामने खूँटे से बाँधा।
संबंध बोधक अव्यय
2. वह उठा और घर चला गया।
समुच्चयबोधक अव्यय
3. अरे! गऊ शाला यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।
विस्मयादिबोधक अव्यय
4. वह भारी कदमों से आगे बढ़ने लगा।
क्रियाविशेषण अव्यय
5. उन्होंने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू किया।
क्रियाविशेषण अव्यय
6. मुझे लगा कि आज फिर कोई दुर्घटना होगी।
क्रियाविशेषण अव्यय
7. वाह-वाह! खूब सोचा आपने!
विस्मयादिबोधक अव्यय
8. चाची, माँ के पास चली गई।
संबंधबोधक अव्यय
• धीरे-धीरे - कछुआ धीरे-धीरे चलता है।
• ज्यादा - रोहन ज्यादा खाना मत खाओ।
• के पास - घर के पास ही बाजार है।
• के साथ - मैं चाय के साथ बिस्किट भी लूँगा।
• और - रीमा और मैं साथ जाने वाले हैं।
• कि - यह तो हमारा सौभाग्य है कि आपने हमारी चीज पसंद की।
• वाह! वाह! क्या खूब कही।
• ओह! ये हो बड़ा बुरा हुआ।
अव्यय |
अव्यय भेद |
वाक्य |
काश! |
विस्मयादिबोधक |
काश! तुम भी यहाँ होते। |
बाद |
क्रियाविशेषण |
पहले खेल लो बाद में पढ़ाई करना। |
बल्कि |
समुच्चयबोधक |
आपको केवल पाठ पढ़ना ही नहीं है बल्कि उसकी कहानी भी याद रखनी है। |
यदि...तो |
समुच्चयबोधक |
यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होते। |
वाह! |
विस्मयादिबोधक |
|
के अलावा |
संबंधबोधक |
तुम्हारे और मेरे अलावा कौन जाएगा? |
अव्यय |
अव्यय भेद |
वाक्य |
के लिए |
संबंधबोधक |
घर के लिए मिठाई जरुर ले जाना। |
क्योंकि |
समुच्चयबोधक |
उसे मीठा खाना मना है क्योंकि उसे शुगर की तकलीफ है। |
हाय |
विस्मयादिबोधक |
हाय! ये कैसे हुआ? |
प्राय: |
क्रियाविशेषण |
पिताजी प्राय: बाजार से खाद्य पदार्थ लाते हैं। |
और |
समुच्चयबोधक |
मीना और सीमा जुडवाँ बहनें हैं। |
के पास |
संबंधबोधक |
विद्यालय के पास मंदिर है। |
इसलिए |
समुच्चयबोधक |
तुम नहीं आये इसलिए मैं भी नहीं गया। |
अव्यय |
अव्यय भेद |
वाक्य |
की तरफ |
संबंधबोधक |
पिताजी बाजार की तरफ गए हैं। |
कारण |
क्रियाविशेषण |
किस कारण आज कक्षा में इतना शोर है। |
अच्छा |
विस्मयादिबोधक |
अच्छा! तुम भी आने वाले हो? |
नहीं.... तो |
समुच्चयबोधक |
मेहनत करो नहीं तो तुम्हारा स्वप्न अधूरा रह जाएगा। |
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर