NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 5 - Hameed Khaan
Chapter 5 - Hameed Khaan Exercise बोध-प्रश्न
लेखक भारत के निवासी थे। एक बार गर्मियों में वह तक्षशिला के खंडहर देखने गए थे। गर्मी के कारण लेखक का भूख प्यास से बुरा हाल था। खाने की तलाश में वह रेलवे स्टेशन से आगे बसे गाँव की ओर चला गया। वहाँ तंग और गंदी गलियों से भरा बाज़ार था, वहाँ पर खाने पीने का कोई होटल या दुकान नहीं दिखाई दे रही थी और लेखक भूख प्यास से परेशान था। तभी एक दुकान पर रोटियाँ सेंकी जा रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और बढ़ गई। वह दुकान में चला गया और खाने के लिए माँगा। वहीं हामिद खाँ से परिचय हुआ। हामिद खाँ से बातचीत करने पर दोनों एक-दूसरे से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। मुसलिम होते हुए भी उसने हिन्दू लेखक की मेहमान नवाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
हामिद खाँ को पता चला कि लेखक हिंदू है तो हामिद ने पूछा - क्या वह मुसलमानी होटल में खाएँगे। तब लेखक ने बताया कि हिंदुस्तान में हिंदू-मुसलमान में कोई भेद नहीं होता है। अच्छा पुलाव खाने के लिए वे मुसलमानी होटल में ही जाते हैं।
लेखक ने हामिद खाँ को बताया भारत में हिंदू-मुसलमान मिलकर रहते हैं। पहला मस्जिद कोडुंगल्लूर हिंदुस्तान में ही बना। वहाँ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं। हामिद को एकदम विश्वास नहीं हुआ लेकिन लेखक के कहने में उसे सच्चाई नज़र आई। वह ऐसी जगह को स्वयं देखकर तसल्ली करना चाहते थे।
लेखक ने हामिद को कहा कि वह बढ़िया खाना खाने मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं किया जाता है। हिंदू-मुसलमान दंगे भी न के बराबर होते हैं। पाकिस्तान में हिंदू-मुसलिम संबंधों में अंतर था। उनमें बहुत दूरियाँ थी। इसलिए हामिद को लेखक की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। वह अपनी आँखों से यह सब देखना चाहता था।
हामिद खाँ को गर्व था कि एक हिंदू ने उनके होटल में खाना खाया। साथ ही वह लेखक को मेहमान भी मान रहा था। वह लेखक के शहर की हिंदू-मुस्लिम एकता का भी कायल हो गया था। इसलिए हामिद खाँ ने खाने के पैसे नहीं लिए। वह चाहता था कि लेखक भारत पहुँचकर भी उनके नए भाई हामिद खाँ को याद रखें।
मालाबार में हिंदू-मुसलमान में परस्पर भेद-भाव नहीं होता। वे मिलकर रहते हैं, उनमें आपसी दंगे भी नहीं होते हैं। बढ़िया खाना खाने के लिए हिंदू भी मुसलमानी होटल में खाने जाते हैं। वहाँ आपसी मेलजोल का माहौल है। वहाँ हिंदू इलाकों में मस्जिद भी स्थित है।
तक्षशिला में धर्म के नाम पर धार्मिक झगड़ें जन्म लेते रहते थे। जब लेखक इन झगड़ें की खबर पढ़ रहे थे तब लेखक को हामिद खाँ का ध्यान आया जहाँ लेखक ने खाना बड़े अपनेपन से खाया था। उसने सोचा भगवान करे हामिद खाँ सुरक्षित हो। इसके लिए लेखक ने प्रार्थना भी की। इससे लेखक के धार्मिक एकता की भावना का पता लगता है। उसमें हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं। वह एक अच्छा इंसान है।
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