Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 13 - Sarveshwardayal Saxena
Sarveshwardayal Saxena Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1
बादलों के आने पर प्रकृति में निम्न गतिशील क्रियाएँ हुई -
1. बादलों के आने की सूचना बयार नाचते-गाते देती हुई चलती है।
2. उसके आगमन की सूचना में घर के खिड़की दरवाजे खुल जाते हैं।
3. पेड़ों द्वारा मेहमानों को गरदन ऊँची कर देखना।
4. आँधी का आना और धूल का उड़ना।
5. नदी का ठिठकना और बाँकी नज़र से देखना।
6. बुजुर्ग सदस्य पीपल का आगे बढ़कर मेहमान का स्वागत करना।
7. स्वागत में तालाब का परात भर पानी लाना।
8. आकाश में बिजली चमकना और वर्षा के बूंदों के रूप में मिलन के अश्रु बहाना।
Solution 2
• धूल - स्त्री
• पेड़ - नगरवासी
• नदी - स्त्री
• लता - मेघ की प्रतीक्षारत नायिका
• ताल - घर के सदस्य
Solution 3
लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में से देखा क्योंकि एक तो वह बादल को देखने के लिए व्याकुल हो रही थी और दूसरी ओर वह बादलों के देरी से आने के कारण रूठी हुई भी थी।
Solution 4 - क
भाव - नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।
Solution 4 - ख
भाव - मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।
Solution 5
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।
Solution 6
कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।
Solution 7
मानवीकरण अलंकार -
• मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
• नाचती गाती बयार चली
• पेड़ झुक झाँकने लगे
• धूल भागी घाघरा उठाए
• बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी
• बूढ़े पीपल ने जुहार की
• बोली अकुलाई लता
• हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
रूपक अलंकार -
• क्षितिज अटारी गहराई
• दामिनी दमकी
Solution 8
गाँव में मेहमान चाहे किसी के भी घर आए परन्तु उत्सुकता और उल्लास पूरे गाँव में होता है। सभी लोग अपने-अपने तरीकों से मेहमान के स्वागत में जुट जाते हैं। गाँव की स्त्रियाँ मेहमान से पर्दा करने लगती है, बुजुर्ग झुककर उनका स्वागत करते हैं,पैरों को धोने के लिए परात में पानी लाया जाता है। इस प्रकार से इस कविता में कुछ ग्रामीण रीति-रिवाजों का चित्रण हुआ है।
Solution 9
कविता में मेघ और दामाद के आगमन में समानता बताई गई है। जब गाँव में मेघ आते हैं तो सारे लोग खुशियाँ मनाते हैं,अपने अपने खिड़की और दरवाजे मेघों के दर्शन के लिए खोल देते हैं। प्रकृति के सारे अंग भी जैसे उसके स्वागत के लिए तैयार बैठे होते हैं जैसे आँधी का उठना, धूल का अपना घाघरा उठा कर भागना, नदी का बाँकी नज़र से देखना आदि।
ठीक उसी प्रकार गाँव में दामाद के आने पर भी उल्लास और उमंग का माहौल छाया रहता है। स्त्रियाँ ओट से दामाद को तिरछी नजरों से देखती है। गाँव के बड़े बुजुर्ग दामाद का स्वागत सम्मान के साथ करते हैं।
Solution 10
प्रस्तुत पंक्तियों में पाहुन अर्थात् दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण हुआ है। कवि ने प्रस्तुत कविता में चित्रात्मक शैली का उपयोग किया है। इसमें बादलों के सौंदर्य का मनोरम चित्रण हुआ है। कविता की भाषा सरल तथा सहज होने के साथ ग्रामीण भाषा जैसे पाहुन शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है। यहाँ पर बन ठन में ब वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।
Sarveshwardayal Saxena Exercise रचना और अभिव्यक्ति
Solution 11
वर्षा के आने पर वातावरण में ठंडक बढ़ जाती है। पेड़-पौधों पर जमी हुई धूल बह जाने के कारण वे तरोताजा दिखाई देते हैं। सड़कें भी चमकने लगती हैं। सड़कों पर छाते और रेनकोट नज़र आने लगते हैं। गड्ढ़ों में पानी भर जाता है। सड़कों पर ट्रैफिक जाम होने लगता है। बच्चों का कोलाहल बढ़ जाता है। इस प्रकार वर्षा आने पर सारा वातावरण उमंग और उल्लास से भर उठता है।
Solution 12
पीपल वृक्ष की आयु सभी वृक्षों से बड़ी होती है। गाँवों में पीपल की पूजा की जाती है इसी कारण गाँव में पीपल वृक्ष का होना अनिवार्य माना जाता है इसीलिए पुराना और पूजनीय होने के कारण पीपल को बड़ा बुजुर्ग कहना उचित है।
Solution 13
आज के इस बदलते परिवेश में अतिथि देवो भव की परम्परा में भी बदलाव आए हैं इसके कई कारण है जैसे संयुक्त परिवारों का टूटना, शहरीकरण, पाश्चात्य संस्कृति की और बढ़ता झुकाव, महँगाई, और व्यस्तता ऐसे कुछ कारण है। जिसके फलस्वरूप आज का मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोचता है। उसके पास दूसरों को देने के लिए समय तथा इच्छा का अभाव हो चला है और परिणामस्वरूप यह परम्परा धीरे-धीरे गायब होती जा रही है।
Sarveshwardayal Saxena Exercise भाषा-अध्ययन
Solution 14
मुहावरे |
अर्थ |
वाक्य |
बन-ठन के |
सज सँवर के |
उत्सवों के समय बन-ठन का माहौल होता है। |
सुधि लेना |
खबर लेना |
कभी-कभी अपने बूढ़े माता-पिता की भी सुधि ले लिया करो। |
मिलन के अश्रु |
मिलने की खुशी |
हनुमान जब अपने आराध्य श्री राम से मिले तो उनकी आँखों से मिलन के अश्रु बह निकले। |
गाँठ खुलना |
मन का मैल दूर होना |
आपसी बातचीत से मन की कई गाँठे खुल जाती है। |
बाँध टूटना |
धैर्य समाप्त होना |
अब बस करो वर्ना मेरे सब्र का बाँध टूट जाएगा। |
Solution 15
बयार, पाहुन, उचकाना, जुहार, सुधि-लीन्हीं, किवार, अटारी, बन ठन, बाँकी, परात।
Solution 16
निम्न उदाहारणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है कि मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है -
• पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
• मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर।
• बरस बाद सुधि लीन्हीं।
• पेड़ झुककर झाँकने लगे गर्दन उचकाए।
आदि उपर्युक्त पंक्तियों में अधिकतर आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग हुआ है। ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण भाषा का भी उचित प्रयोग हुआ है जैसे सुधि पाहुन भरम आदि। कहीं पर भी भाषा को समझने में कोई मुश्किल नहीं होती है।