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Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 15 - Rajesh Joshi

Rajesh Joshi Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने पर हमारे मन-मस्तिष्क में बाल मजदूरी का चित्र उभरता है। मन में यह विचार आते है कि कब इन बच्चों की यह दयनीय दशा समाप्त होगी। कब हमारा भारत सही मायनों में एक संपन्न और प्रगतिशील देश कहलाएगा जहाँ हर एक बच्चा काम के बजाए पाठशाला जाएगा और अपने सपनों को साकार करेगा।

Solution 2

बच्चों की इस स्थिति के लिए समाज जिम्मेवार है। समाज को इस समस्या से जागरूक करने के लिए तथा ठोस समाधान ढूँढने के लिए बात को प्रश्न रूप में ही पूछा जाना उचित होता है। क्योंकि यदि हम इन्हें विवरण की तरह पूछते हैं तो समस्या पर कोई ध्यान नहीं देता। 

Solution 3

सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चों के वंचित रहने के मुख्य कारण सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक मज़बूरी है। समाज के गरीब तबके के बच्चों को न चाहते हुए भी अपने माता-पिता का हाथ बँटाना पड़ता है। जहाँ जीविका के लिए इतनी मेहनत करनी पड़े तब सुख-सुविधाओं की कल्पना करना असंभव सा लगता है।

Solution 4

इस प्रकार की उदासीनता के कई कारण हो सकते हैं जैसे -

1) आज के मनुष्य का आत्मकेंद्रित होना। वे केवल अपने और अपने बच्चों के बारे में ही सोचते हैं।

2) जागरूकता तथा जिम्मेदारी की कमी के कारण लोग सोचते हैं कि यह उनका नहीं सरकार का काम है।

3) व्यस्तता के कारण भी आज के लोग अपनी ही परेशानियों में इस कदर खोये हुए हैं कि उन्हें दूसरे की समस्या से कोई सरोकार नहीं होता है।

4) लोगों को कम कीमत में अच्छे श्रमिक मिल जाते हैं इसलिए भी वे इसके विरूद्ध कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं।

Solution 5

मैंने अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकानों, होटलों, ढाबों में बर्तनों को साफ़ करते हुए, रास्ते पर लगे हुए ठेलों पर, घरों में काम करते घरेलू नौकरों के रूप में, छोटे निजी कार्यालयों में ऐसे अनेकों स्थानों पर, हर मौसम और रातों को देर तक काम करते हुए देखा है।

Solution 6

बच्चे समाज का भविष्य, आईना और देश की प्रगति का एक अहम् हिस्सा होते हैं। यदि समाज के इस सबसे महत्त्वपूर्ण अंग को यदि आप उचित देखभाल और अवसर प्रदान नहीं करेगें तो समाज प्रगति कैसे करेगा। सभी बच्चे एक समान होते हैं, उन्हें उनके बचपन से वंचित रखना अपने आप में घोर अपराध तथा अमानवीय कर्म है। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

Rajesh Joshi Exercise रचना और अभिव्यक्ति

Solution 7

मुझे यदि इस तरह बाल मजदूरी करनी पड़े तो मैं अपने आप को हीन समझने लगूँगा। जिस घर में मै काम कर रहा हूँगा जब मैं वहाँ अपनी ही उम्र के बच्चों को देखूँगा कि वे किस तरह मजे और आराम का जीवन व्यतीत कर रहे है तो मुझे अत्यंत खेद होगा। माता-पिता की आर्थिक परेशानियों के प्रति सहानुभूति की अपेक्षा रोष उत्पन्न होने लगेगा मेरा आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगेगा। मेरे मन में तरह-तरह के प्रश्न उभरने लगेंगे। मेरा मन हमेशा अशांत और दुखी रहने लगेगा।

Solution 8

मेरे विचार से बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि बचपन का समय उनके शारीरिक मानसिक और बौद्धिक विकास, खेल-कूद, नई-नई चीजों को सिखना, ज्ञान प्राप्त करना तथा जीवन को भरपूर जीने का समय होता है न कि रोजी-रोटी की चिंता में घुल-घुल कर जीने का समय होता है। 

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