Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 14 - Chandrakant Devtaale
Chandrakant Devtaale Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1
कवि को बचपन में माँ ने यह सिखाया था कि दक्षिण दिशा की ओर यमराज का घर होता है अत: वहाँ पर कभी अपने पैर करके नहीं सोना उस तरफ़ पैर रखकर सोना यमराज को नाराज करने के समान है। माँ द्वारा मिली इस सीख के कारण कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
Solution 2
दक्षिण दिशा का कोई ओर-छोर नहीं होता हम यह नहीं कह सकते कि इस निश्चित स्थान पर दक्षिण दिशा समाप्त हो गई है। यहाँ पर कवि ने दक्षिण दिशा को एक प्रतीक के रूप में शोषण से जोड़ा है कि शोषण का भी कोई ओर-छोर नहीं होता। इससे हम बच नहीं सकते हैं। इसलिए कवि ने ऐसा कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था।
Solution 3
आज मनुष्य का जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है। चारों और असंतोष, हिंसा और विध्वंसक ताकतें फैली हुईं हैं। एक ओर जहाँ हम सभ्यता के विकास के लिए आधुनिक आविष्कार कर रहे हैं तो दूसरी ओर विध्वंसक हथियारों का भी उसी रफ़्तार से निर्माण हो रहा है। हिंसा और आंतक इतना फ़ैल चूका है कि अब मौत की एक दिशा नहीं है बल्कि संसार के हर एक कोने में मौत अपना डेरा जमाए बैठी है। कवि सभ्यता के विकास की इसी खतरनाक दिशा के कारण कह रहा है कि आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है।
Solution 4
भाव - प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह यह कि आज सामान्य जनमानस कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। चारों ओर शोषणकर्ताओं ने अपना जाल बिछा रखा है। वे नए नए रूपों में हमारे सामने हमारा अंत करने के लिए तत्पर हैं। आज के इस समय में यमराज का चेहरा भी बदल गया है और सभी जगह विराजमान भी है।
Chandrakant Devtaale Exercise रचना और अभिव्यक्ति
Solution 5 - क
माँ अपने अनुभवों द्वारा हमें अनेकों सीख देती है। मेरी माँ भी समय - समय पर सीख देती रहती है जैसे - हर कार्य को नियत समय पर करना, छोटों-बड़ों को उचित सम्मान देना, जीवन मूल्यों को जीवन में उतारना आदि।
Solution 5 -ख
मुझे तो माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि माँ ने अपने जीवन के अनुभवों द्वारा जो कुछ सीखा है उस आधार पर वे हमें जीवन की सही राह पर चलना सिखाती है।
Solution 6
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है ताकि हमारी ईश्वर में आस्था बनी रहे, हम बुराइयों और अनैतिक कृत्यों से दूर रहे, मर्यादित जीवन जिए।