NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 - Viplv Gaayan
Chapter 20 - Viplv Gaayan प्रश्न-अभ्यास
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव जन जागरण तथा नव-निर्माण से है।
उपर्युक्त पंक्तियों का संबंध कवि का आवेशपूर्ण रूप से जनता में जागृति लाने का प्रयास है परन्तु इस प्रयास में उसके कंठ से गीत बाहर नहीं आ पा रहा है जिसके कारण वह और अधिक बेचैन हो उठा है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि कवि की तान उसकी अंतर की गहराई से निकली है।
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव यह है कि कवि शोषक वर्ग को सचेत करते हुए कहता है कि अब उसके कंठ से कोमल स्वरों के बजाय क्रांति के स्वर मुखरित होंगे। ऐसे में यदि उसकी उँगलियाँ या मिजराबें टूट भी जाएँ तो उसे उसकी परवाह नहीं है। अर्थात् अब कवि की वीणा से कोमल स्वरों की अपेक्षा क्रांति की आग उगलेगी।
इस कविता में क्रांति लाने (विप्लव) की बात मुखर हुई है। कवि ने अपने गीत के माध्यम से ऐसी ही तान छेड़ने की बात कर रहा है जिससे क्रांति आ जाए।
Chapter 20 - Viplv Gaayan भाषा की बात
शब्द की पुनरुक्ति करके कविता में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए योजक चिहन (-) का प्रयोग किया जाता है।
1. कंठ रुका है महानाश का
2. टूटीं हैं मिजराबें
3. रोम-रोम गाता है वह ध्वनि
तुकबंदी वाले शब्द -
1. बैठी है - ऐंठी हैं
2. इधर - उधर
3. रुद्ध - युद्ध
4. फणि - मणि
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