NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 - Raheem ke dohe
Chapter 11 - Raheem ke dohe Exercise प्रश्न अभ्यास
उदहारण वाले दोहे
तरवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान।।
थोथे बादर क्वार वके, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।
कथन वाले दोहे
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
क्वार के मास में गरजनेवाले बादल केवल गरजकर रह जाते हैं, बरसते नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं, वे केवल बड़बड़ाकर रह जाते हैं। इसलिए कवि ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से की है।
इस प्रकार की सच्चाई अपनाने से हमारे मन से लोभ की भावना नष्ट हो जाएगी और हम परोपकार की ओर अग्रसर होंगे।
इस सच्चाई को जीवन में उतार लेने से हमारे जीवन में सहनशीलता की भावना का जन्म होगा। हम सुख और दुःख दोनों को ही सहजता से लेंगें।
Chapter 11 - Raheem ke dohe Exercise भाषा की बात
शब्द |
शब्दों के प्रचलित हिन्दी रूप |
बिपति |
विपत्ति |
मछरी |
मछली |
बादर |
बादल |
सीत |
शीत |
1. संपत्ति संचहि सुजान।
2. काली लहर कल्पना काली, काल कोठरी काली।
3. चारू चंद्र की चंचल किरणें।
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