NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 - Mithaivala
Chapter 5 - Mithaivala Exercise प्रश्न-अभ्यास
बच्चे एक ही चीज से उकता न जाएँ इसलिए वह बच्चों की पसंद आने वाली अलग-अलग चीजें बदल-बदलकर बेचता था।
दूसरा वह महीनों बाद इसलिए आता था ताकि उसकी चीजों में बच्चों की उत्सुकता बनी रहे और उसे पैसों का कोई लालच भी न था क्योंकि वह तो केवल अपने मन की संतुष्टि लिए बच्चों की मनपसंद चीज़ें बेचा करता था।
मिठाईवाले का मधुर आवाज़ में गा-गाकर अपनी चीज़ों की विशेषताएँ बताना, बच्चों की मन-पसंद चीज़ें लाना, लाभ कमाने के चक्कर में न रहना, बच्चों से अपनत्व, कोमल और प्रेम पूर्ण व्यवहार दर्शाना आदि ऐसी विशेषताएँ थीं कि बच्चें तो बच्चें बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
एक ग्राहक के तौर पर विजय बाबू तर्क देते हैं कि दुकानदार को झूठ बोलने की आदत होती है। सामान सबको एक ही भाव में देते हैं पर पहले अधिक और फिर कम दाम बताकर ग्राहक पर अहसान का बोझ डाल देते हो।
एक विक्रेता के तौर पर मुरलीवाला तर्क देता है कि ग्राहक को सामान की असली लागत का पता नहीं होता है और दुकानदार हानि उठाकर सामान क्यों न बेचे पर ग्राहक को लगता है कि दूकानदार उसे लूट ही रहा है।
खिलौनेवाले की मादक मधुर आवाज़ सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हूई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हल-चल मच जाती। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह अपनी जूते- टोपी को उद्यान में ही भूलकर उसे घेर लेता और वे अपने-अपने घरों से पैसे लाकर खिलौनों का मोल-भाव करने लगते।
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि उसे वह आवाज़ जानी-पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था और इस मुरलीवाले का स्वर भी उसी तरह का था। ये भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।
मिठाईवाला रोहिणी की बात सुनकर भावुक हो गया था।
उसने इस छोटे व्यवसाय को अपनाने का कारण यह बताया कि इससे उसे अपने मृत बच्चों की झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है। बच्चों के साथ रहकर उसे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है।
'अब इस बार ये पैसे न लूँगा' - कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक तो पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुःख को समझने का प्रयास किया दूसरा उसे रोहिणी के बच्चे चुन्नू-मुन्नु में अपने ही बच्चे नज़र आए।
हाँ आज भी कुछ पिछड़े ग्रामीण, रुढ़िवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है।
मेरी राय में ये बिल्कुल भी उचित नहीं है। ये प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती है बल्कि उनकी प्रगति में भी रूकावट उत्पन्न करती है। साथ ही इस प्रकार की प्रथाएँ हमारे देश की छवि को भी विश्व-पटल पर धूमिल करती है।
हाट-मेले की सभी चीजें मन को आकर्षित करती हैं जैसे खाने पीने की चटपटी चीजें (चाट-पकौड़ी, दही भल्ले, गोलगप्पे), नमकीन (सेव, पापड़ी, नमकपारे) और मिठाइयाँ (जलेबी, मालपुए, आइसक्रीम, बर्फ के गोले), खिलौने, रंग-बिरंगे गुब्बारे, झूले और जादुई तमाशे आदि।
इन हाट-मेले को सजाने में कारीगरों, मजदूरों और उनके घर की महिलाओं और बच्चों का भी समान रूप से हाथ होता है। इन सभी चेहरों के पीछे उनकी मेहनत, थकान, कार्यकुशलता, कारीगरी, व्यस्तता और कुछ आर्थिक लाभ पाने की छिपी इच्छा रहती है।
Chapter 5 - Mithaivala Exercise भाषा की बात
(क) मिठाईवाला
वाला से पहले आने वाला शब्द संज्ञा है।
बोलनेवाली गुडि़या
बोलनेवाली - विशेषण शब्द है। गुड़िया शब्द संज्ञा है।
(ख) ऊपर वाले वाक्यांश में उनका प्रयोग किसी व्यक्ति और वस्तु के लिए हुआ है।
हम ये बातें इस प्रकार कहेंगे -
1.प्रतीत होता है, वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं।
2.क्यों भाई मुरली किस भाव बेचते हो?
3."दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर भाव तो कीजिए।"
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