NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 - Van ke Marg me
Chapter 16 - Van ke Marg me प्रश्न-अभ्यास
प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के वन-गमन प्रसंग का वर्णन किया है।
वन के मार्ग में जाते हुए सीता थोड़ी ही देर में थक गई। उनके माथे से पसीना बहने लगा और होंठ सूख गए। वन के मार्ग में चलते-चलते उनके पैरों में काँटें चुभने लगे।
सीता की आतुरता को देखकर श्रीराम व्याकुल हो उठते हैं। सीता की दशा उनसे देखी नहीं जाती। उनके आँखों से भी आँसू बहने लगते हैं। वे पछताने लगते हैं कि उनके कारण सीता की यह अवस्था हुई है।
राम से अपनी पत्नी की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी। सीता का प्यास के मारे बुरा हाल था और लक्ष्मण पानी की तलाश में गए हुए थे अत:जब तक लक्ष्मण लौट कर आते हैं तब तक वे सीता की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे इसलिए राम बैठकर देर तक काँटे निकालते रहे।
सीता का जीवन राजमहलों की सुख सुविधाओं में बीता था। उसे कभी इस प्रकार के जीवन के बारे में पता भी न था। अत: वन मार्ग पर चलने का उनका यह पहला अवसर था इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण सीता दो कदम चलने के बाद ही थक गईं।
प्रस्तुत पंक्ति का आशय धैर्य धारण करने से है। सीता वन मार्ग पर अग्रसर होते हुए, राम का साथ देते हुए, तकलीफों को सहते हुए मन-ही-मन स्वयं को धीरज बँधाकर बड़े ही धैर्य के साथ वन मार्ग पर चल रही थी।
वन का मार्ग बड़ा ही दुर्गम था। चारों ओर घने और ऊँचें पेड़, कँटीली झाड़ियाँ थी। रास्ता भी उबड़-खाबड़ था जिस पर चलना मुश्किल था। पानी और खाने-पीने के लिए भी खोज करनी पड़ती थी। जंगली जानवरों से भी खतरा था। कुल मिलाकर कहा जाए तो वन का मार्ग असुरक्षा से भरा था।
Chapter 16 - Van ke Marg me भाषा की बात
मेरी मातृभाषा गढ़वाली होने के कारण हम क्रिया में 'ले' का प्रयोग करते हैं जैसे - लिखले, पढ़ले, खाले, जाले, खेलले, पीले आदि।
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