NCERT Solutions for Class 12-science Hindi Chapter 16 - Rajiya Sajjad Jaheer
Chapter 16 - Rajiya Sajjad Jaheer प्रश्न-अभ्यास
सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से निम्न कारणों से मना किया -
1. हिन्दुस्तान में नमक की कोई कमी नहीं है।
2. कस्टम के किसी अधिकारी ने पकड़ लिया तो वे सारे समान की चिंदी-चिंदी कर देते हैं और इससे देश का नाम भी बदनाम होता है।
3. पाकिस्तान से नमक के आयत पर प्रतिबंध था। यह गैरकानूनी था।
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि प्यार के इस तोहफे नमक की पुड़िया को चोरी-छिपे ले जाए या कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाए।
जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे क्योंकि ऑफिसर सफ़िया की प्रेम-भावना से प्रभावित हो गए थे उन्हें महसूस हो रहा था कि आप कहीं भी क्यों न चले जाएँ अपना वतन फिर भी याद आता है और इस समय सिख बीबी का प्रसंग छिड़ने पर ऑफिसर को भी उसके वतन ढाका की याद आ गई थी।
ऑफिसर के उद्गार समाज के कटु यथार्थ को प्रस्तुत करते हैं कि देश की सीमाएँ मनों को विभाजित नहीं कर सकती हैं। राजनैतिक तौर पर भले ही हम विस्थापित हो जातें हैं परंतु भावनात्मक लगाव तो अपनी मातृभूमि से ही रहता है।
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्न हैं -
- भावुक व मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि मानने वाली-सफ़िया भावुक है। वह सिख बीबी की भावनाओं की कद्र करती है इसलिए वह किसी भी तरह उनके लिए लाहौरी नमक को भारत ले जाना चाहती है। उसने नमक लाने से बचने के लिए जरा भी नहीं सोचा। उसने तय किया कि वह प्रेम की इस भेंट को चोरी से नहीं ले जाएगी वह कस्टम अधिकारियों को अपनी मानवीय भावनाओं को समझाकर ले जाएगी।
- ईमानदार-सफ़िया ईमानदार भी है जब सफ़िया को यह पता चलता है कि पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी है उसने तय किया कि प्रेम की इस भेंट को वह चोरी से नहीं ले जाएगी।
- दृढ़निश्चयी-सफ़िया का स्वभाव दृढ निश्चयी है। वह किसी भी कीमत पर लाहौरी नमक को भारत ले जाना चाहती है इसलिए वह सही गलत सभी तरीकों पर विचार करती है।
- निडर-सफ़िया निडर भी है। यह जानते हुए भी कि नमक ले जाना गैरकानूनी है वह बिना झिझके कस्टम वालों के सामने नमक की वह पुड़िया रख देती है।
- वायदे को निभाने वाली-सफ़िया सैयद है। सैयद होने के नाते वह अपने वायदे को किसी भी कीमत पर पूरा करना चाहती है।
राजनीतिक कारणों से मानचित्र पर लकीर खींचकर देश को दो भागों में बाँटकर ज़मीन और जनता को अलग देश का दर्जा तो प्राप्त हो जाता है परंतु यह अलगाव जनता को भावनात्मक तौर पर अपने वतन से अलग नहीं कर पाता। पाकिस्तानी, भारतीय अधिकारी और सिख बीबी क्रमशः देहली, ढाका और लाहौर को ही आज भी अपना वतन मानते हैं। पुरानी यादें हर समय उन्हें घेरे रहती है। आज भी वे अपने वतन की सामान्य चीजों से उतना ही लगाव रखते हैं। इसी वजह से सिख बीबी 'नमक' जैसी साधारण चीज वहाँ से लाने की बात करती है इसलिए हम कह सकते हैं कि मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है।
भले ही राजनीतिक और धार्मिक आधार पर भारत और पाकिस्तान को भौगोलिक रूप से विभाजित कर दिया गया है लेकिन दोनों देशों के लोगों के हृदय में आज भी पारस्परिक भाईचारा, सौहार्द्र, स्नेह और सहानुभूति विद्यमान है। अमृतसर में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती है और लाहौरी नमक का स्वाद नहीं भुला पाती। पाकिस्तान का कस्टम अधिकारी नमक की पुड़िया सफ़िया को वापस देते हुए कहता है "जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहना।" भारतीय सीमा पर तैनात कस्टम अधिकारी ढाका की जमीन को और वहाँ के पानी के स्वाद को नहीं भूल पाता। अत:हम कह सकते हैं कि राजनीतिक तौर पर भले ही संबंध तनावपूर्ण हों पर सामाजिक तौर पर आज भी जनता के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है।
सफ़िया के भाई पुलिस अफ़सर होने के कारण जब उन्होंने सफ़िया को यह बताया कि पाकिस्तान और भारत के बीच नमक का व्यापार प्रतिबंधित है तब लेखिका ने तर्क दिया कि क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत,आदमियत, इंसानियत के नहीं होते।
भावनाओं में अभिभूत होने के कारण सफ़िया अपने भाई से तर्क-वितर्क कर रही थी परंतु जब सफ़िया का गुस्सा उतर गया तब वह अपनी बुद्धि से नमक ले जाने के विषय में सोचने लगी।
पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी सफ़िया से कहता है कि मुहब्बत के आगे तो कस्टम भी लाचार है। मुहब्बत के सामने सारे कानून निष्प्रभावी हो जाते हैं। कस्टम अधिकारी स्वयं अपने हाथ से नमक की पुड़िया सफ़िया के बैग में रखते हुए उपर्युँक्त तर्क देता है।
सफ़िया की लाहौरी नमक वाली बात सुनकर भारतीय कस्टम अधिकारी भावुक हो उठा और उसे अपने वतन की याद आने लगी और इसी भावुकता में उसने उपर्युँक्त वाक्य कहा।
लाहौर की याद में सिख बीबी इतनी भावुक हो उठी कि उसकी आँखों से आँसू निकलकर उसके सफ़ेद मलमल के दुपट्टे पर टपक पड़े।
भारत लौटते समय सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ती हुई यह सोच रही है कि पाक कस्टम अफसर दिल्ली को तथा भारतीय कस्टम अफसर ढाका को अपना वतन बताता है जबकि ये दोनों ही अलग देशों में रहते हैं। इनका मन तो अपनी जन्मभूमि है पर कार्यक्षेत्र व निवास कहीं और जैसे कहीं कोई सामंजस्य नहीं है।
'नमक' कहानी में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। आज के संदर्भ में स्थिति में काफी परिवर्तन हो चुका है विभाजन के समय वाली पीढ़ी अब समाप्त हो चुकी है अब उसका स्थान उस पीढ़ी ने ले लिया है जिसका जन्म इसी देश में हुआ है। उनके जेहन में विभाजन की कड़वी यादें न के बराबर है इसलिए अब भावनात्मक तौर पर दोनों देशों में लगाव पहले की तुलना में घट गया है परन्तु वर्तमान में भी देश के राजनैतिक संबंध, सांस्कृतिक संबंध, सियाचीन कश्मीर का मुद्दा आदि के तौर पर अभी दोनों देशों के बीच तनाव व्याप्त है। अभी भी संबंधों में मधुरता लाने के कई प्रयास किए जाने चाहिए।
सफ़िया की और मेरी मन:स्थिति में खास अंतर न होता मैं सीधे तौर पर अपनी भावनाएँ व्यक्त कर देता और सफ़िया की तरह ही मैं भी अपनी माँ के लिए लाहौरी नमक लाने का हरसंभव प्रयास करता।
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए व्यक्तिगत तौर पर मैं निम्न प्रयास करूँगा।
1. पिछली सभी कड़वी बातों को भुलाने का प्रयास करूँगा।
2. जहाँ तक हो सके मैं पाकिस्तान देश की आलोचना करने से अपने आप को रोकने का प्रयास करूँगा
3. देश में आए पाकिस्तानी नागरिक को इतना मन-सम्मान दूँगा जिससे कि वह भारत देश की मीठी यादें लेकर अपने देश जाए।
4. सांस्कृतिक और खेल कूद के स्तर पर आई वहाँ की टीमों का तहे दिल से स्वागत करूँगा।
5. सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट का प्रयोग कर पाकिस्तान में अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाने का प्रयास करूँगा।
प्रस्तुत पाठ में सीधे शब्दों में विवाह के कारण सफ़िया और सिख बीबी का विस्थापन नहीं दर्शाया गया है परंतु यह सच है कि स्त्रियों को अपने विवाह के कारण विस्थापन का दर्द झेलना पड़ता है।
रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला इनमें से सबसे ताकतवर साहित्य व कला संबंध है। इसके जरिए हम दोनों देशों में उपजी कड़वाहट को कम कर सकते हैं क्योंकि साहित्य और कला का क्षेत्र विस्तृत होता है। साहित्यकार और कलाकार देश, धर्म, जाति, भाषा आदि के दायरे से ऊपर उठकर पूरी मानवता के बारे में सोचते हैं।
सौगात के तौर पर मैं अपने मित्र के लिए यहाँ की कुछ प्रसिद्ध नमकीन ,मिठाईयाँ, कलाकृति ,हस्तशिल्प आदि ले जाना पसंद करूँगा क्योंकि मैं इन वस्तुओं के जरिए अपनी भारत देश की उच्च संस्कृति से उसे परिचित करवाना चाहूँगा।
Chapter 16 - Rajiya Sajjad Jaheer भाषा की बात
'क' वाक्य में 'ही' के प्रयोग से यह परिवर्तन आया है कि हमारा वतन तो लाहौर है, अन्य नहीं। भले ही भारत में कोठी बनाकर रह रहे हैं किंतु वतन लाहौर है। |
'ख' वाक्य में 'ही' के प्रयोग से यह परिवर्तन आया कि हुकूमत के कानून से भी परे कुछ अन्य नियम होते हैं जिनकी महत्ता हुकूमत के कानून से भी अधिक है। |
वाक्य
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वाक्य
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शब्द |
हिन्दी रूप |
मुरौवत |
इंसानियत |
आदमियत |
मानवता |
अदीब |
साहित्यकार |
साडा |
हमारा |
मायने |
अर्थ |
सरहद |
सीमा |
अक्स |
फोटो कॉपी |
लबोलहजा |
बोलने का ढंग |
नफीस |
सुरुचिपूर्ण |
1. यों ही हम घर से निकलने वाले थे कि रिश्तेदार आ गए।
2. वह यों ही चला गया कि पता ही नहीं चला।
3. रोहन यों आया कि खबर ही न हुई।
4. भाई साहब ने यों ही बोल दिया कि कुछ काम नहीं किया।
5. कुछ वर्ष यों ही बीत गए कि पता ही नहीं चला।
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