NCERT Solutions for Class 12-science Hindi Chapter 5 - Gajaanan Madhav Muktibodh
Chapter 5 - Gajaanan Madhav Muktibodh प्रश्न-अभ्यास
• गरबीली गरीबी - कवि को गरीब होते हुए भी स्वयं पर गर्व है। उन्हें अपनी गरीबी पर ग्लानि या हीनता नहीं होती, बल्कि एक प्रकार का गर्व होता है।
• भीतर की सरिता - कवि के हृदय में बहने वाली कोमल भावनाएँ।
• बहलाती सहलाती आत्मीयता - किसी व्यक्ति के अपनत्व के कारण हृदय को मिलनेवाली प्रसन्नता।
• ममता के बादल - ममता का अर्थ है - अपनत्व। कवि प्रेयसी के स्नेह से पूरी तरह भीग गए हैं।
विचार-वैभव-मनुष्य को वैभवशाली बनाने के लिए केवल धन का होना आवश्यक नहीं है। मनुष्य अपने उच्च विचारों से भी धनी यानि वैभवशाली हो सकता है बल्कि मेरे अनुसार यही असली वैभव है।
कवि ने प्रियतमा की आभा से, प्रेम के सुखद भावों से सदैव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में चित्रित किया है। इन स्मृतियों से घिरे रहना आनंददायी होते हुए भी कवि के लिए असहनीय हो गया है क्योंकि इस आनंद से वंचित हो जाने का भय भी उसे सदैव सताता रहता है। तथा कवि प्रिय के प्रेम से खुद को मुक्त कर आत्मनिर्भर बन अपने व्यक्तित्व का विकास करना चाहते है। इसलिए कवि चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात करता है।
यहाँ 'अंधकार-अमावस्या' के लिए 'दक्षिण ध्रुवी' विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे जैसे अंधकार का घनत्व और अधिक बढ़ गया है।
कवि स्वयं को प्रेमी के स्नेह के उजाले से दूर रखने की स्थिति को अमावस्या कहा है।
इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली स्थिति -
'परिवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला' कवि ने प्रियतमा की आभा से, प्रेम के सुखद भावों से सदैव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में चित्रित किया है। यह उजाला कवि को जीवन में मार्ग दिखता है।
कवि कहता है कि वह अपने प्रिय को पूरी तरह भूल जाना चाहता है। उसके वियोग के अंधकार को अपने शरीर और हृदय पर झेलते हुए वह उस अंधकार में नहा लेना चाहता है ताकि उसके प्रिय की कोई स्मृति उसके हृदय में न रहे। इस प्रकार कवि वियोग की अंधकार -अमावस्या में डूब जाना चाहता है।
अतिशय मोह भी त्रास का कारक है। जिस प्रकार बच्चे को माँ के दूध का अति मोह होता है परंतु एक उसके छूटने पर कष्ट होता है उसी प्रकार मनुष्य को जीवन में मोह से जुड़ी चीज़ों के छूटने का दर्द झेलना पड़ता हैं। जैसे बेटी को मायके का मोह छोड़कर ससुराल जाना पड़ता है, सिपाही को परिवार को छोड़कर जंग के लिए जाना पड़ता है, कई बार शिक्षा एवं व्यवसाय के लिए घर से दूर रहना पड़ता हैं।
'प्रेरणा' का अर्थ है - आगे बढ़ने की भावना जगाना। इसका जीवन में बहुत महत्त्व है। मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए बड़े बुज़ुर्ग, मित्र आदि के प्रेरणा स्त्रोत की आवश्यकता होती है।
एक बार परीक्षा में बहुत कम अंक मिलने पर जब मेरा पढ़ाई से मन उठ गया तब मेरे शिक्षक ने मुझे बहुत से उदाहरण दिए - असफ़लता सफ़लता की सीढ़ी है, कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती आदि। इस प्रकार मेरे निराश मन में आशा की ज्योत जगाई।
लोग कई तरह के भय का सामना करते है। कुछ खोने का डर तो कुछ न पाने का डर। मुझे भी कई बार डर लगता है - परीक्षा का भय, अकेलेपन का भय आदि। भय से ग्रस्त व्यक्ति को उस चीज के अलावा कुछ नहीं सूझता। परीक्षा के भय से निबटने के लिए मैं अपने माता-पिता एवं मित्र की सलाह लेता हूँ और अकेलेपन के लिए मैंने किताबों को अपना मित्र बना लिया है।
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