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Class 11-commerce NCERT Solutions Hindi Chapter 10: Nirmala Puttal [Poem]

Nirmala Puttal [Poem] Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

माटी का रंग प्रयोग करते हुए कवयित्री ने अपनी मूल पहचान को बनाए रखने की ओर संकेत किया है। इस कविता में कवयित्री ने माटी का रंग प्रयोग से स्थानीय संथाली लोकजीवन की विशेषताओं को उजागर करने का प्रयास किया है। वे चाहती हैं कि यहाँ के लोग अपनी सादगी, भोलापन, प्रकृति से जुड़ाव, और जुझारूपन आदि को बचाए रखें।

Solution 2

संथाली आदिवासियों की मातृभाषा संथाली है। वे दैनिक व्यवहार में जिस संथाली भाषा का प्रयोग करते हैं, उसमें उनके राज्य झारखंड की पहचान झलकती है। उनकी भाषा से यह पता लग जाता है कि वे झारखंड राज्य के निवासी हैं।कवयित्री भाषा के इसी स्थानीय स्वरुप की रक्षा करने को कहती है। कवयित्री चाहती है कि संथाली लोग अपनी भाषा की स्वाभाविक विशेषता को नष्ट न करें।

Solution 3

'दिल के भोलेपन' में सहजता, सच्चाई और ईमानदारी का भाव है। 'अक्खड़पन' से अभिप्राय अपनी बात पर दृढ़ रहने का भाव है और 'जुझारूपन' से तात्पर्य संघर्षशीलता से है। 

कवयित्री कहती है कि हमेशा दिल का भोलापन ठीक नहीं होता भोलेपन का फायदा उठाने वालों के साथ अक्खड़पन भी दिखाना जरुरी होता है और कर्म की पूर्ति के लिए जुझारूपन भी आवश्यक होता है अत:कवयित्री ने अपने समाज की इन तीन प्रमुख विशेषताओं को बचाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

Solution 4

आदिवासी समाज अपने स्वाभाविक जीवन को भूलता जा रहा है। प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की कुछ ऐसी ही बुराइयों की ओर संकेत करती है - 

1. आदिवासी समाज शहरी प्रभाव में आते चले जा रहे हैं। 

2. इनके जीवन में उत्साह का अभाव और काम के प्रति अरुचि होती जा रही है। 

3. इनमें शराबखोरी के साथ अविश्वास की भावना भी बढ़ती जा रही है। 

4. अपनी भाषा से अलगाव, अशिक्षा और परंपराओं को गलत समझना जैसे दुर्गुण भी आते जा रहे हैं।

Solution 5

प्रस्तुत पंक्ति से कवयित्री का आशय यह है कि आज के इस अविश्वास भरे दौर में अभी भी आपसी विश्वास, उम्मीदें और सपने बचाए जा सकते हैं। इन सभी को सामूहिक प्रयासों से बचाया जा सकता है।

Solution 6 - क

इन पंक्तियों के द्वारा कवयित्री ने आदिवासी समाज की दिनचर्या में आई ठंडक की ओर इशारा किया है। कवयित्री ने दिनचर्या की नीरसता को दूर कर गर्माहट अर्थात् उमंग, उत्साह और क्रियाशीलता की आवश्यकता पर बल दिया है। यह काव्य पंक्तियाँ लाक्षणिक हैं। इनके उपयोग से कविता में एक प्रकार का गांभीर्य आया है।

Solution 6 - ख

प्रस्तुत पंक्तियों के जरिए कवयित्री का आशय यह है कि आज के इस अविश्वास भरे दौर में अभी भी आपसी विश्वास, उम्मीदें और सपने बचाए जा सकते हैं। इन सभी को सामूहिक प्रयासों से बचाया जा सकता है। 

'थोड़ा-सा' 'थोड़ी-सी' 'थोड़े-से' तीनों के प्रयोग से थोड़े-से अंतर के साथ एक अर्थ के वाहक हैं इनके कारण लय का समावेशसा प्रतीत होता है। 

उर्दू, तत्सम और तद्भव शब्दों का मिला-जुला प्रयोग हुआ है।

Solution 7

बस्तियों को शहर की नग्नता और जड़ता से बचाने की आवश्यकता है। शहरी वातावरण में वेशभूषा, एकाकी जीवन, अलगाव, व्यस्तता अदि के साथ पर्यावरणीय प्रदूषण भी एक बहुत बड़ी समस्या है। यदि बस्तियाँ भी इस प्रभाव को ग्रहण करने लगेगी तो बस्तियों में सांस्कृतिक और पर्यावरणीय प्रदूषण फैल जाएगा। इन्हीं प्रभावों से कवयित्री बस्तियों को बचाना चाहती हैं।

Solution 8

मैं अपने बस्ती की स्वाभाविक विशेषताओं जैसे हरे-भरे मैदान, सामूहिक उत्सव, आपसी मेलजोल आदि को बचाने का प्रयास करूँगा।

Solution 9

आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति में शनै-शनै परिवर्तन हो रहा है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा केंद्र खोले जा रहे हैं। आदिवासी समाज में बेरोजगारी की ओर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इससे वहाँ के लोगों के आर्थिक स्तर पर सुधार आया है। आदिवासी सांस्कृतिक पहचान, कला-कौशल को भी बचाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रकार आदिवासी समाज की पहचान को बरकार रखते हुए और उन्हें आधुनिक समाज से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।