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Class 10 NCERT Solutions Hindi Chapter 12 - Yashpal

Yashpal Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में खलल पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया। ट्रेन में लेखक के साथ बात-चीत करने के लिए नवाब साहब ने कोई उत्साह नहीं प्रकट किया। लेखक से कोई बातचीत भी नहीं की और न ही उनकी तरफ देखा। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।

Solution 2

नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के उलझन में नवाब साहब ने खीरा खाने की सोची परन्तु जीत नवाब के दिखावे की हुई। और इसी इरादे से नवाब साहब ने खीरा सूँघ कर फेंक दिया

नवाब के इस स्वभाव से ऐसा प्रतीत होता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं। खुद को अमीर सिद्ध करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं।

Solution 3

हम लेखक यशपाल के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। किसी भी कहानी की रचना उसके आवश्यक तत्वों - कथावस्तु, घटना, पात्र आदि के बिना संभव नहीं होती। घटना तथा कथावस्तु कहानी को आगे बढ़ाते हैं, पात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। कहानी में कोई न कोई विचार, बात या उद्देश्य भी अवश्य होना चाहिए। ये कहानी के लिए आवश्यक तत्व हैं।

Solution 4

इस कहानी का नाम 'झूठा दिखावा' 'नवाबी शान',  या 'आडम्बर' भी रखा जा सकता है, क्योंकि नवाब ने अपनी झूठी शान-शौकत को कायम रखने के लिए अपनी इच्छा को ही दबा दिया। साथ ही उनके नवाबी स्वभाव, सामंती-वर्ग की बनावटी जीवन-शैली व दिखावे को सिद्ध करता है।

Yashpal Exercise रचना और अभिव्यक्ति

Solution 5 - क

सेकंड क्लास के एकांत डिब्बे में बैठे नवाब साहब खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े खीरे एक तौलिए पर रखे हुए थे। पहले तो उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया और तौलिए से साफ़ कर पानी सुखा लिया जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोद कर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फाँको पर बहुत कायदे से जीरा, नमक-मिर्च की सुर्खी बुरक दी। इसके बाद एक-एक करके उन फाँको को उठाते गए और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकते गए।

Solution 5 - ख

हम खीर का रसास्वादन करने के लिए उसे अच्छी तरह से एक कटोरी में रखते हैं तथा उसके ऊपर काजू, किशमिश, बादाम और पिस्ता डालकर अच्छी तरह से उसे सजाते हैं और फिर उसका स्वाद लेते हैं ।

Solution 6

पाठ में प्रस्तुत खीरे के प्रसंग द्वारा नवाब के दिखावटी ज़िंदगी का पता चलता है, इससे उनके सनकी व्यक्तित्व का ज्ञान होता है। ऐसे ही एक सनक यह भी हो सकती है -

नवाब अपनी शान और शौकत के लिए पैसे लुटाने से बाज़ नहीं आते हैं। फिर चाहे उनके घर में पैसों की तंगी ही क्यों न हो पर बाहर वे खूब पैसे लुटाते हैं।

Solution 7

सनक के दो रुप होते हैं। ऐसे कुछ सनकों का उल्लेख नीचे दिया जा रहा है -

एक सकारात्मक तथा दूसरा नकारात्मक। जहाँ एक ओर नकारात्मक सनक किसी व्यक्ति को समाज में हँसी -मजाक का पात्र बना देता है वहीं सनक का सकारात्मक पक्ष उसे रातों-रात प्रसिद्ध कर देता है।

मदर टेरेसा को सनक थी गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने की,तो हमारे देश के देशभक्त नेताओं को देश को आज़ादी, दिलाने की सनक सवार थी, महात्मा बुद्ध की सत्य को खोने की सनक ने उन्हें गौतम बुद्ध का दर्जा दिला दिया। 

Yashpal Exercise भाषा-अध्ययन

Solution 8 - क

बैठे थे - अकर्मक क्रिया

Solution 8 - ख

दिखाया - सकर्मक

Solution 8 - ग

कल्पना करना - अकर्मक

है - अकर्मक

Solution 8 -घ

काटना - सकर्मक

खरीदे होंगे - सकर्मक

Solution 8 - ङ

काटा - सकर्मक

गोदकर - सकर्मक

निकाला - सकर्मक

Solution 8 - च

देखा - अकर्मक (प्रयोग)

Solution 8 - छ

लेट गए - अकर्मक

थककर - अकर्मक

Solution 8 - ज

निकाला - सकर्मक

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