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Class 10 NCERT Solutions Hindi Chapter 5b - Surykant Tripathi 'Nirala'-- At Nahin Rahi Hai

Surykant Tripathi 'Nirala'-- At Nahin Rahi Hai Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

कविता के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है :

आभा फागुन की तन

सट नहीं रही है।

और

कहीं साँस लेते हो,

घर घर भर देते हो,

उड़ने को नभ में तुम,

पर पर कर देते हो।

यह पंक्तियाँ फागुन और मानव मन दोनों के लिए प्रयुक्त हुई हैं।

Solution 2

फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। उसका रूप सौंदर्य रंग-बिरंगे फूलों और हवाओं में प्रकट होता है। इसलिए आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर हटाने से भी नहीं हटती।

Solution 3

प्रस्तुत कविता 'अट नहीं रही है' में कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी ने फागुन के सर्वव्यापक सौन्दर्य और मादक रूप के प्रभाव को दर्शाया है। फागुन के सौंदर्य को असीम दिखाया है उसे हर जगह छलकता हुआ दिखाया है घर-घर में फैला हुआ दिखाया है यहाँ 'घर-घर भर देते हो' में फूलों की शोभा की और संकेत है और मन में उठी खुशी की और भी। उड़ने को पर पर करना भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है। यह पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है और मन की उमंग पर भी। सौंदर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की झलक देता है।

Solution 4

फागुन में सर्वत्र मादकता मादकता छाई रहती है। प्राकृतिक शोभा अपने पूर्ण यौवन पर होती है। पेड़-पौधें नए पत्तों, फल और फूलों से लद जाते हैं, हवा सुगन्धित हो उठती है। आकाश साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आकाश में विहार करते दिखाई देते हैं। बाग-बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। इस तरह फागुन का सौंदर्य बाकी ऋतुओं से भिन्न है।

Solution 5

महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी छायावाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं। छायावाद की प्रमुख विशेषताएँ हैं - प्रकृति चित्रण और प्राकृतिक उपादानों का मानवीकरण। 'उत्साह' और 'अट नहीं रही है' दोनों ही कविताओं में प्राकृतिक उपादानों का चित्रण और मानवीकरण हुआ है। काव्य के दो पक्ष हुआ करते हैं -अनुभूति पक्ष और अभिव्यक्ति पक्ष अर्थात् भाव पक्ष और शिल्प पक्ष। इस दृष्टि से दोनों कविताएँ सराह्य हैं। छायावाद की अन्य विशेषताएँ जैसे गेयताछाया, प्रवाहमयता, अलंकार योजना और संगीतात्मकता आदि भी विद्यमान है। 'निराला' जी की भाषा एक ओर जहाँ संस्कृतनिष्ठ, सामासिक और आलंकारिक है तो वहीं दूसरी ओर ठेठ ग्रामीण शब्द का प्रयोग भी पठनीय है। अतुकांत शैली में रचित कविताओं में क्राँति का स्वर, मादकता एवम् मोहकता भरी है। भाषा सरल, सहज, सुबोध और प्रवाहमयी है।

Surykant Tripathi 'Nirala'-- At Nahin Rahi Hai Exercise रचना और अभिव्यक्ति

Solution 6

होली का त्यौहार फागुन मास में आता है। इस समय चारों ओर मादक हवाएँ चलती है। होली के समय चारों तरफ़ का वातावरण रंगों से भर जाता है। चारों तरफ़ रंग ही रंग बिखरे होते हैं। प्रकृति भी उस समय रंगों से वंचित नहीं रह पाती है। प्रकृति के हरे भरे वृक्ष तथा रंग-बिरंगे फूल होली के महत्व को और अधिक बढ़ा देते हैं। वृक्ष चारों ओर मंद सुगंध बिखेर देते है। लोगों के मन उमंग और आनंद से भर जाते है।

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