NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 6a - Nagaarjun - Yh Danturit Muskan
Chapter 6a - Nagaarjun - Yh Danturit Muskan Exercise प्रश्न-अभ्यास
दंतुरित का अर्थ है - बच्चे में पहली बार दाँत निकलना। बच्चों की दंतुरित मुसकान बड़ी मोहक होती है। बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। बाँस और बबूल जैसी कठोर प्रकृति वाले कवि को लगा कि उसके आस-पास शेफ़ालिका के फूल झड़ने लगे हों। कवि को बच्चे की मुसकान बहुत मनमोहक लगती है जो मृत शरीर में भी प्राण डाल देती है। उस मुसकान से प्रभावित संन्यास धारण कर चुका कवि पुन: गृहस्थ-आश्रम में लौट आया।
बच्चे तथा बड़े व्यक्ति की मुसकान में निम्नलिखित अंतर होते हैं -
(1) बच्चे अबोध होते हैं। बच्चों की हँसी में निश्छलता होती है लेकिन बड़ों की मुस्कुराहट कृत्रिम भी होती है।
(2) बच्चे मुस्कुराते समय किसी खास मौके की प्रतीक्षा नहीं करते हैं वे तो बस... अपनी स्वाभाविक मुसकान बिखेरना जानते हैं। बड़े व्यक्ति परिपक्व बुद्धि के होते हैं। जबकि बड़ों के मुसकुराने की खास वजह होती है।
(3) बच्चों का मुस्कुराना सभी को प्रभावित करता है परन्तु बड़ों की मुसकान वैसा आकर्षण नहीं रखती।
कवि नागर्जुन ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को जिन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है,वे निम्नलिखित हैं :
(1) बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।
"मृतक में भी डाल देगा जान।"
(2) कवि ने बालक के मुसकान की तुलना कमल के पुष्प से की है। जो कि तालाब में न खिलकर कवि की झोंपड़ी में खिल रहे हैं।
"छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।"
(3) बच्चे की मुसकान से प्रभावित होकर पाषाण (पत्थर) भी पिघलकर जल बन जाएगा।
"पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।"
(4) कवि बच्चे की मुसकान की तुलना शेफालिका के फूल से करता है।
"झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।"
(5) बच्चा जब तिरछी नज़रों से देख कर मुस्कराता है कवि को लगता है कि वह उनके प्रति स्नेह प्रकट करता है।
"देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दतुरित मुसकान"
प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि कोमल शरीर वाले बच्चे खेलते हुए बहुत आकर्षक लगते हैं। कवि ने यहाँ बच्चे की सुंदर मुसकान की तुलना कमल के फूल से की है। बच्चे की हँसी को देखकर ऐसा लगता है मानो कमल के फूल अपना स्थान परिवर्तित कर तालाब के स्थान पर इस झोंपड़ी में खिलने लगे हैं। आशय यह है कि बच्चे की हँसी को देखकर मन में बहुत उल्लास होता है।
प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि बच्चों के स्पर्श में ऐसा जादू होता है कि कोई भी कठोर हृदय जल के समान पिघल जाए। बच्चे के स्पर्श से बाँस तथा बबूल जैसे काँटेदार वृक्ष से भी फूल झरने लगते हैं। भावहीन और संवेदनाशून्य व्यक्तियों में भी सुख, आनंद और वात्सल्य-रस का संचार हो जाता है। उसी प्रकार बच्चे का स्पर्श पाकर कवि का भी नीरस मन प्रफुल्लित हो जाता है।
Chapter 6a - Nagaarjun - Yh Danturit Muskan Exercise रचना और अभिव्यक्ति
मुसकान तथा क्रोध मानव स्वभाव के दो अलग-अलग रुप हैं, जो एक दूसरे से भिन्न हैं। इनसे वातावरण भी प्रभावित होता है -
(1) मुसकान - निश्छल तथा प्रेम पूर्ण मुसकान किसी के भी हृदय को मुग्ध कर सकता है। यह मन की प्रसन्नता का प्रतीक है। मुसकान कठोर एवम् भाव शून्य हृदय वाले को भी कोमल और भावयुक्त बना देती है। इसमें पराए को भी अपना बना लेने की अद्भुत क्षमता होती है।
(2) क्रोध - क्रोध व्यक्ति के मन में चल रहे असंतोष की भावना है। क्रोध से चेहरा भयानक, मन अशान्त और वातावरण तनावयुक्त बन जाता है। क्रोध से हृदय कठोर और संवेदनहीन हो जाता है। क्रोध में व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है।
बच्चों के दाँत मुख्यत: 9 महीने से लेकर एक साल में आने लगते हैं। कई बार इससे कम या अधिक समय भी लग जाया करता है, परन्तु यहाँ माँ उँगलियों से मधुपर्क करा रही है। अत: बच्चे बच्चे की आयु लगभग 1 वर्ष की लगती है। बच्चा अपनी निश्छल दंतुरित मुसकान से सबका मन मोह लेता है।
कवि और वह बच्चा दोनों एक-दूसरे के लिए सर्वथा अपरिचित थे इसी कारण बच्चा उसे एकटक देखता रहता है। बच्चे ने कवि की उंगलियाँ पकड़ रखी थी और अपलक कवि को निहार रहा था। बच्चा कहीं देखते-देखते थक न जाए, ऐसा सोचकर कवि अपनी आँखें फेर लेता है। किन्तु बच्चा उसे तिरछी नज़रों से देखता है, जब दोनों की आँखें मिलती हैं तो बच्चा मुसका देता है। बच्चे की मुसकान कवि के हृदय को अच्छी लगती है। उसकी मुसकान को देखकर कवि का निराश मन खुश हो जाता है। उसे ऐसा लगता है जैसे कमल के फूल तालाब को छोड़कर उसके झोंपड़ें में खिल उठे हैं। उस मुसकान से प्रभावित संन्यास धारण कर चुका कवि पुन: गृहस्थ-आश्रम में लौट आया।
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