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Class 10 NCERT Solutions Hindi Chapter 7 - Girijakumar Mathur

Girijakumar Mathur Exercise रचना और अभिव्यक्ति

Solution 8

मेरे जीवन की मधुर स्मृतियाँ इस प्रकार है -

  मेरी दादी ने बचपन में सुनाई हुई कहानियाँ।

  मेरे विद्यालय से मिला पहला पुरस्कार।

  मेरे माता-पिता के साथ की वृन्दावन की यात्रा।

Solution 9

'छाया मत छूना' कविता में कवि ने आशावादी स्वर मुखरित किया है। कवि कहते हैं कि क्या हुआ यदि शरद की रातों में चाँद नहीं निकलता, क्या हुआ खुशी तब आई जब वसंत की ऋतु चली गई? मेरे विचार से यह उचित है, हमें अपने वर्तमान में जो मिलता है उसे खुली बाँहों से स्वीकार कर बीते सुख को भुला कर वर्तमान में जीना चाहिए। 

Girijakumar Mathur Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। कवि कहते है कि भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने मनुष्य को दुखी ही करते है। हम यदि जीवन की कठिनाइयों व दु:खों का सामना न कर उनको अनदेखा करने का प्रयास करेंगे तो हम स्वयं किसी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकते। मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों को यथार्थ भाव से स्वीकार उनसे मुँह न मोड़कर उसके प्रति सकारात्मक भाव से उसका सामना करना चाहिए। तभी स्वयं की भलाई की ओर एक कदम उठाया जा सकता है, नहीं तो सब मिथ्या ही है।

Solution 2

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि गिरिजाकुमार माथुर द्वारा रचित 'छाया मत छूना' नामक कविता से ली गई है।

भाव - भाव यह है बड़प्पन का अहसास, महान होने का सुख भी एक छलावा है। मनुष्य सदैव प्रभुता व बड़प्पन के कारण अनेकों प्रकार के भ्रम में उलझ जाता है। जिससे हज़ारों शंकाओ का जन्म होता है। इसलिए उसे इन प्रभुता के फेरे में न पड़कर स्वयं के लिए उचित मार्ग का चयन करना चाहिए। सुख और दुःख दोनों भावों को समान रुप से जीकर ही हम उचित मार्ग का चयन कर सकते हैं न कि प्रभुता की मृगतृष्णा में फँसकर। हर प्रकाशमयी (चाँदनी) रात के अंदर काली घनेरी रात छुपी होती है। अर्थात् सुख के बाद दुख का आना तय है।

Solution 3

'छाया मत छूना' कविता में छाया शब्द का प्रयोग सुखद अनुभूति के लिए किया है। कवि ने मानव की कामनाओं-लालसाओं के पीछे भागने की प्रवृत्ति को दुखदायी माना है। हम विगत स्मृतियों के सहारे नहीं जी सकते, हमें वर्तमान में जीना है। अपने वर्तमान के कठिन पलों को बीते हुए पलों की स्मृति के साथ जोड़ना हमारे लिए बहुत कष्टपूर्ण हो सकता है। वह मधुर स्मृति हमें कमज़ोर बनाकर हमारे दुख को और भी कष्टदायक बना देती है।

Solution 4

(1) दुख दूना - यहाँ दुख दूना में दूना (विशेषण) शब्द के द्वारा दुख की अधिकता व्यक्त की गई है।

(2) जीवित क्षण - यहाँ जीवित (विशेषण) शब्द के द्वारा क्षण को चलयमान अर्थात् उसके जीवंत होने को दिखाया गया है।

(3) सुरंग-सुधियाँ - यहाँ सुरंग (विशेषण) शब्द के द्वारा सुधि (यादों) का रंग-बिरंगा होना दर्शाया गया है।

(4) एक रात कृष्णा - यहाँ एक कृष्णा (विशेषण) शब्द द्वारा रात की कालिमा अर्थात् अंधकार को दर्शाया गया है।

(5) शरद रात - यहाँ शरद (विशेषण) शब्द रात की रंगीनी और मोहकता को उजागर कर रहा है।

(6) रस बसंत - यहाँ रस (विशेषण) शब्द बसंत को और अधिक रसीला, मनमोहक और मधुर बना रहा है।

Solution 5

गर्मी की चिलचिलाती धूप में रेत के मैदान दूर पानी की चमक दिखाई देती है हम वह जाकर देखते है तो कुछ नहीं मिलता प्रकृति के इस भ्रामक रूप को  'मृगतृष्णा' कहा जाता है। इसका प्रयोग कविता में प्रभुता की खोज में भटकने के संदर्भ में हुआ है। इस तृष्णा में फँसकर मनुष्य हिरन की भाँति भ्रम में पड़ा हुआ भटकता रहता है।

Solution 6

क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?

जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,

इन पंक्तियों में 'बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' का भाव झलकता है।

Solution 7

'छाया मत छूना' कविता में कवि ने मानव की कामनाओं-लालसाओं के पीछे भागने की प्रवृत्ति को दुखदायी माना है क्योंकिं इसमें अतृप्ति के सिवाय कुछ नहीं मिलता। हम विगत स्मृतियों के सहारे नहीं जी सकते, हमें वर्तमान में जीना है। उन्हें छूकर याद करने से मन में दुख बढ़ जाता है। दुविधाग्रस्त मन:स्थिति व समयानुकूल आचरण न करने से भी जीवन में दुख आ सकता है। व्यक्ति प्रभुता या बड़प्पन में उलझकर स्वयं को दुखी करता है।

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