ICSE Class 9 Saaransh Lekhan Jamun Ka Ped (Sahitya Sagar)
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Jamun Ka Ped Synopsis
सारांश
प्रस्तुत कहानी में पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति की इसलिए मृत्यु हो जाती है क्योंकि हर एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे विभाग पर मढ़ने का प्रयास कर रहा था। इस कहानी का उद्देश्य यह बताना भी है कि सरकारी विभागों की इस अकर्मण्यता और लापरवाही से आम लोगों को किस तरह मानसिक और शारीरिक पीड़ा को झेलना पड़ता है।
कहानी का सार इस प्रकार है-
रात को बड़े जोर का झक्कड़ चलने के कारण सेक्रेटेरियट के लॉन में जामुन का पेड़ गिर पड़ा। सुबह माली ने जब उस पेड़ के नीचे एक आदमी को दबे हुए देखा तो वह भागता हुआ चपरासी के पास इस बात की सूचना देने के लिए पहुँचा। चपरासी ने क्लर्क को और क्लर्क ने सुपरिंटेंडेंट को बताया और इस तरह से पेड़ के पास एक भीड़ इकट्ठी हो गई।
जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस पेड़ के लगे जामुनों को याद कर शोक प्रकट करते हैं पहले क्लर्क ने जामुन के पेड़ को फलदार कहा तो दूसरे ने उसके रसीले जामुन की तारीफ की।
तीसरे क्लर्क को उस दबे हुए व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं थी उसे तो जामुन के उन रसीले फलों की याद सता रही थी जिन्हें वह मौसम में झोली भरकर अपने बच्चों तक ले जाता था।
जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति को निकालने के लिए माली ने पेड़ को हटाने का सुझाव दिया। पर इस सुझाव पर सुस्त, आलसी कामचोर और मोटा चपरासी बोला कि पेड़ का तना बहुत मोटा और वजनी है।
वह पेड़ कृषि विभाग के अंतर्गत था परंतु कृषि विभाग ने उसके फलदार पेड़ होने के कारण जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग को भेज दिया। हार्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटेरी का कहना था कि उनका विभाग आज जहाँ पेड़ लगाओ की स्कीम ऊँचें स्तर पर चला रही है वहाँ पर जामुन के इस फलदार पेड़ को काटने की अनुमति उसके विभाग द्वारा कभी भी नहीं दी जा सकती। माली को जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी से सहानुभूति थी। माली दबे हुए आदमी को खाना खिला दिया करता था और उसकी फ़ाइल की प्रगति के बारे में जानकारी दे दिया करता था ऐसे में उस दबे हुए आदमी के मुँह से एक शायरी निकल पड़ती है और उसी को सुनकर माली अचंभित था। सेक्रेटेरियट में जैसे ही यह अफवाह फैलती है कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति शायर है। लोगों का झुण्ड शायर को देखने के लिए उमड़ पड़ा। दबे हुए आदमी के शायर होने की खबर जैसे ही शहर तक पहुँचती है गली–गली के शायर सेक्रेटेरियट में जमा होने लगते हैं। सेक्रेटेरियट का लॉन भांति-भांति के कवियों से भर जाता है और इस कारण कवि-सम्मलेन सा वातावरण शायर के आगे बन जाता है। जब यह पता चला कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति कवि है और इसकी फाइल साहित्य अकादमी तक जा पहुँचती है तब सेक्रेटरी पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति का इन्टरव्यू लेने सेक्रेटेरियट पहुँच जाता है। जब यह पता चला कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति कवि है, तो सेक्रेटेरियट की सब कमेटी ने फैसला किया कि चूँकि दबा हुआ आदमी कवि है, इसलिए इस फाइल का संबंध न एग्रीकल्चरल डिपार्टमेंट से हैं, न हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से,बल्कि सिर्फ कल्चरल डिपार्टमेंट से है और फिर कल्चरल डिपार्टमेंट के अनेक विभागों से गुजरती हुई फाइल साहित्य अकादमी पहुँची।
दूसरे दिन साहित्य अकादमी का सेक्रेटरी यह खबर लाया कि कवि को उनकी अकादमी ने केंद्रीय शाखा का मेंबर चुन लिया है।
सेक्रेटरी के अनुसार उनका विभाग कल्चर से संबंधित विभाग होने के कारण पेड़ काटने का कार्य वे नहीं कर सकते।
कल्चरल डिपार्टमेंट ने कवि की फाइल आगे की कार्यवाही के लिए फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भेज दी थी।
जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी,कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उन्हें पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए करण यह था, कि इस पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए बिगड़ सकते थे।
विदेश विभाग अंत में फाइल लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुँचते हैं। प्रधानमंत्री सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर पर लेते हुए उस पेड़ को काटने की अनुमति दे देते हैं। अत: इस प्रकार फाइलें कई विभागों से गुजरते हुए अंत में जाकर प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत होती है।
कहानी के अंत में पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह कहानी बताती है कि किस प्रकार देरी होने से न्याय भी महत्त्वहीन हो जाता है। कहानी में सरकारी विभाग के अधिकारी जामुन के पेड़ को हटाने तथा उस व्यक्ति को बचाने की बजाए फाइलें बनाने तथा उन फाइलों को अलग-अलग विभागों में पहुँचाने में लगे हुए थे और अंत में जब तक फैसला आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।