CBSE Class 10 Answered
निम्न आधार पर लिखने का प्रयास करें।
राजाराम मोहन राय- राजा राम मोहन राय को देश में 'आधुनिक भारत के निर्माता' और 'पुनर्जागरण काल के जनक' के तौर पर जाना जाता है। राजा राम मोहन राय ने 19वीं सदी में समाज सुधार के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, जिनमें सती प्रथा को खत्म करना सबसे अहम है। भले ही आज सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर उतरकर लोग महिलाओं की की बात कर रहे हों, लेकिन आज से करीब 200 साल पहले राजा राम मोहन राय ने ऐसे वक्त में आवाज उठाई थी जब विधवा औरतों की दोबारा शादी और बाल विवाह की बीमारी ने समाज को जकड़ रखा था। समाज सुधारक के तौर पर उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए अभियान चलाया, जिसमें पुनर्विवाह का अधिकार और संपत्ति रखने का अधिकार शामिल है।
महात्मा ज्योतिबा फूले - बहुत कम लोग इस तथ्य से परिचित होंगे कि महात्मा गांधी से पूर्व महाराष्ट्र में एक ऐसे महान समाज-सुधारक पैदा हुए थे, जिन्होंने जाति-पाँति, अस्पृश्यता, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने और किसानों की स्थिति सुधारने और समाज में महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने का उल्लेखनीय कार्य किया था। उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। ज्योतिबा फुले को एहसास हो गया था कि ईश्वर के सामने स्त्री-पुरुष दोनों का अस्तित्व बराबर है। फिर दोनों में भेद-भाव करने का कोई मतलब नहीं। ऐसे में स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज में उन्हें पहचान दिलाने के लिए उन्होंने 1854 में एक स्कूल खोला। यह देश का पहला ऐसा स्कूल था जिसे लड़कियों के लिए खोला गया था। स्कूल में पढ़ाने का जिम्मा उन्होंने पत्नी सवित्री को सौंप दिया। समाज के ठेकेदारों को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने ज्योतिबा के पिता पर दबाव बनाकर पत्नी समेत उन्हें घर से बाहर निकलवा दिया। इन सबके बावजूद ज्योतिबा का हौसला डगमगाया नहीं और उन्होंने लड़कियों के तीन-तीन स्कूल खोल दिए। यही नहीं ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मण के बिना ही विवाह आरंभ कराया। कुछ समय बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे मान्यता भी दी। यही नहीं उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन और बाल विवाह का जमकर विरोध किया। ज्योतिबा फुले और उनके संगठन सत्यशोधक समाज के संघर्ष की बदौलत सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया।