CBSE Class 7 Saaransh Lekhan Tinka
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Tinka Synopsis
सारांश
एक तिनका कविता में कवि हरिऔध जी ने हमें घमंड ना करने की प्रेरणा दी है। इस कविता के अनुसार, एक दिन वो बड़े घमंड के साथ अपने घर की मुंडेर पर खड़े होते हैं, तभी उनकी आँख में एक तिनका गिर जाता है। उन्हें बड़ी तकलीफ होती है और जैसे-तैसे तिनका उनकी आँख से निकल जाता है। तिनके के निकलने के साथ ही कवि के मन से घमंड भी निकल जाता है और उन्हें सरल जीवन जीने का महत्त्व समझ आ जाता है।
भावार्थ
मैं घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ।
एक दिन जब था मुण्डेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ।
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।1।
नए शब्द/कठिन शब्द
ऐंठा- अकड़ा
मुंडेरे- छत का किनारा
तिनका- सूखी घास का टुकड़ा
भावार्थ- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि वे एक दिन बड़े ही घमंड में भरे हुए अपनी छत की मुंडेर पर खड़े थे। अचानक उसी समय एक तिनका कहीं से उड़कर उनकी आँख में चला जाता है।
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे।
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी ।2।
नए शब्द/कठिन शब्द
बैचैन- परेशान
दुखना- दर्द होना
मूँठ- मोड़कर गोल किया हुआ कपड़ा
दबे पाँव भागना- चुपके से निकल जाना
भावार्थ- इन पक्तियों में कवि ने उनकी आँख में तिनका जाने के बाद उनकी हालत का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि आँख में तिनका चले जाने से उन्हें बड़ी ही बेचैनी होने लगी। उनकी आँख लाल हो गयी और दुखने लगी। लोग कपड़े का उपयोग करके उनकी आँख से तिनका निकालने की कोशिश करने लगे। इस दौरान उनकी ऐंठ और घमंड बिल्कुल चूर हो कर दूर भाग गई।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया।
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।3।
नए शब्द/कठिन शब्द
ढब- उपाय
ताने- व्यंग्य
भावार्थ- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने तिनका निकल जाने के बाद अपनी हालत का वर्णन किया है। वे इन पंक्तियों में कहते हैं कि जैसे-तैसे उनकी आँखों से तिनका निकल गया। इसके बाद उन्हें मन में एक ख़याल आया कि उन्हें घमंड नहीं करना चाहिए था, उनका घमंड तो एक मामूली तिनके ने ही तोड़ दिया।
साथ ही इन पक्तियों के द्वारा कवि हमें घमंड न करने का संदेश भी दे रहे हैं। कवि के अनुसार मनुष्य का घमंड चूर करने के लिए एक तिनके भी काफी होता है।