Request a call back

Join NOW to get access to exclusive study material for best results

CBSE Class 7 Saaransh Lekhan कठपुतली (Kathputli)

CBSE Class 7 Textbook Solutions, Videos, Sample Papers & More

Kathputli Synopsis

सारांश


प्रस्तुत कविता कवि भवानी प्रसाद द्वारा लिखित है। कवि ने कठपुतलियों के मन की व्यथा को दर्शाया है। ये सभी धागों में बंधे-बंधे परेशान हो चुकी हैं और इन्हें दूसरों के इशारों पर नाचने में दुख होता है। इस दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह के शुरुआत करती है, वह सब धागे तोड़कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है। अत: वह आजाद होना चाहती है और इच्छानुसार जीना चाहती है। उसकी बात सुनकर अन्य सभी कठपुतलियाँ भी उसकी बातों से सहमत हो जाती हैं और स्वतंत्र होने की चाह व्यक्त करती हैं। मगर, जब पहली कठपुतली पर सभी की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है, तो वो सोच में पड़ जाती है। फलस्वरूप पहली कठपुतली सोच समझकर कदम उठाना चाहती है।
भावार्थ

1. कठपुतली
गुस्‍से से उबली
बोली- यह धागे
क्‍यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्‍हें तोड़ दो;
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।

नए शब्द/कठिन शब्द
कठपुतली- धागे से बँधी हुई गुड़िया जिसे उँगलियों के इशारों पर नचाया जाता है
गुस्से से उबली- क्रोधित हो गई
पाँव पर छोड़ देना- अपने ऊपर निर्भर होने देना

भावार्थ- इन पंक्तियों में कवि ने एक कठपुतली के मन के भावों को दर्शाया है। कठपुतली दूसरों के हाथों में बंधकर नाचने से परेशान हो गयी है और अब वो सारे धागे तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती है। वो गुस्से में कह उठती है कि मेरे आगे-पीछे बंधे ये सभी धागे तोड़ दो और अब मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो। मुझे अब बंधकर नहीं रहना, मुझे स्वतंत्र होना है।


2. सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए।

नए शब्द/कठिन शब्द

और-और- दूसरी
मन के छंद छूना- मन की बात सुनना
भावार्थ- इन पंक्तियों में अन्य सभी कठपुतलियों के मन के भाव दर्शाए हैं। पहली कठपुतली की बात सुनकर दूसरी कठपुतलियों के मन में भी आजाद होने की इच्छा सिर उठाने लगती है। वे सभी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगती हैं कि सचमुच बहुत दिन हो गए, उन्होंने अपने मन की कोई इच्छा पूरी नहीं की। उन्हें अपनी मर्जी से काम करने का अवसर नहीं मिला। अत: सभी कठपुतलियाँ विद्रोह करने के लिए तैयार हो जाती है।


3. मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी-
यह कैसी इच्‍छा
मेरे मन में जगी?

नए शब्द/कठिन शब्द
इच्छा जगना- चाहत उत्पन्न होना
भावार्थ- कविता की इन अंतिम पंक्तियों में कवि ने पहली कठपुतली के मन के असमंजस के भावों को दिखाया है। जब बाकी सभी कठपुतलियाँ पहली कठपुतली की स्वतंत्र होने की बात का समर्थन करती हैं, तो पहली कठपुतली सोच में पड़ जाती है कि क्या वो सही कर रही है? क्या वो इन सबकी स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले पाएगी? क्या उसकी इच्छा जायज़ है? अंतिम पंक्तियाँ उसके इन्हीं मनभावों को समर्पित हैं।

Are You a Teacher or a Parent Seeking Customised Tests? Click here
×