Request a call back

Join NOW to get access to exclusive study material for best results

CBSE Class 7 Saaransh Lekhan Apurv Anubhav

CBSE Class 7 Textbook Solutions, Videos, Sample Papers & More

Apurv Anubhav Synopsis

सारांश


यह कहानी मूलतः जापानी भाषा में लिखी गई है। जिसमें तोमोए में पढ़ने वाले तोत्तो-चान तथा यासुकी-चान नामक दो जापानी बच्चों के पेड़ पर चढ़ने के संघर्ष को दिखाया गया है।
कहानी का सार कुछ इस प्रकार है-
तोमोए का हर-एक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था।
और वह उनकी निजी संपत्ति होती थी। यहाँ तक कि किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने की अनुमति माँगी जाती थी।
तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था। उस बड़े पेड़ पर चढ़ने पर पैर फिसलने लगते थे। ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से छह फुट की ऊँचाई पर स्थित द्विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। वह झूले जैसी आरामदेह जगह थी। तोत्तो-चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद उस पर चढ़ी मिलती। वहाँ से वह दूर आकाश को या सड़क पर आने-जाने लोगों को देखती।
एक दिन तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता देती है। यासुकी-चान को पोलियो हो गया था, जिस कारण वह पेड़ पर चढ़ नहीं सकता था। अपने इसी पोलियो की बीमारी के कारण वह किसी भी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति नहीं समझता था।

तोत्तो-चान यासुकी-चान के साथ मिलकर उसे पेड़ पर चढ़ाने की योजना बनाती है। वे अपने घर में माता-पिता को भी इस बारे में कुछ नहीं बताते। तोत्तो-चान अपनी माँ से झूठ बोलती है कि वह यासुकी-चान के घर जा रही है। वह यासुकी-चान को स्कूल में मिलती है और उसे लेकर अपने पेड़ के पास पहुँचती है। इस पेड़ पर वह कई बार चढ़ चुकी थी। तोत्तो-चान चाहती थी कि अब यासुकी-चान भी उस पेड़ पर चढ़े। यासुकी-चान भी पेड़ पर चढ़ने के विचार से बहुत उत्साहित था।
तोत्तो-चान उसे अपने पेड़ के पास ले गई। वहाँ वह चौकीदार के यहाँ से एक सीढ़ी उठाकर ले आई। सीढ़ी को घसीटकर पेड़ के तने के सहारे लगा देती है। वह यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने के लिए कहती है। यासुकी-चान बिना सहारे के एक सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाता। वह निराश हो जाता है परन्तु तोत्तो-चान हार नहीं मानती और फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़कर वहाँ से तिपाई सीढ़ी घसीट लाती है। पसीने से लथपथ तिपाई सीढ़ी को द्विशाखा से लगा देती है। तोत्तो-चान उसको एकएक सीढ़ी पर चढ़ाकर उसे पूरा सहारा दे रही थी। यासुकी-चान भी पूरी शक्ति लगाकर पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था। आखिरकार वह पेड़ के पास तक पहुँच ही जाता है। तभी तोत्तो-चान को लगता है कि उनकी सारी मेहनत बेकार हो गई है चूँकि यासुकी-चान पेड़ के पास तो पहुँच गया था किंतु पेड़ पर नहीं चढ़ पा रहा था।

तोत्तो-चान का रोने का मन होने लगा लेकिन वह रोती नहीं है। तोत्तो-चान यासुकी-चान को पेड़ का सहारा लेकर लेटने के लिए कहती है। वह उसे पेड़ की ओर पूरी शक्ति से खींचने लगती है। यह एक खतरे से भरा काम था। यासुकी-चान को तोत्तो-चान पर पूरा विश्वास था। अंत में तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर खींचकर लाने में सफल हो ही जाती है। पसीने से लथपथ तोत्तो-चान सम्मान से यासुकी-चान का अपने पेड़ पर स्वागत करती है। वे दोनों काफ़ी देर तक पेड़ पर बैठकर इधर-उधर की बातें करते रहे। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम अवसर था।

Get Latest Study Material for Academic year 24-25 Click here
×