CBSE Class 7 Saaransh Lekhan आश्रम का अनुमानित व्यय (Aashram Ka Anumanit Vyay)
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Aashram Ka Anumanit Vyay Synopsis
सारांश
मोहनदास करमचंद गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटकर अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की थी। इस पाठ में उसी आश्रम का खर्च के बारे में जानकारी दी गई है।
आरंभ में आश्रम में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या 40 जो आगे जाकर 50 के पास पहुँच सकती है। हर महीने करीबन दस अतिथि इनमें से तीन या चार लोग अपने परिवार सहित या अकेले भी हो सकते हैं। इसलिए रहने के स्थान की व्यवस्था कुछ इस प्रकार होनी चाहिए कि परिवार वाले अलग और शेष लोग साथ रह सके। आश्रम के लिए 50000 वर्गफुट जमीन की जरुरत होगी और आश्रम में रहने वालों को कमरे के अलवा तीन रसोईघर और तीन हजार पुस्तकों को रखने के लिए एक पुस्तकालय और अलमारियों की भी जरुरत होगी।
खेती के लिए 5 एकड़ जमीन और उसके साथ तीस लोगों के काम के लिए खेती,बढई और मोची के औजार की भी जरूरत होगी। इन औजारों का खर्च पाँच रुपए तथा रसोई के आवश्यक सामान का खर्च 150 रुपए तथा प्रति व्यक्ति 10 रुपए तय किया गया।
सामान लाने व मेहमान के लिए आने-जाने के लिए बैलगाड़ी और 50 व्यक्तियों का अनुमानित वार्षिक खर्च 6000 रुपए तय हुआ। गांधीजी चाहते थे कि अहमदाबाद को यह सब खर्च उठाना चाहिए। और यदि अहमदाबाद उन्हें जमीन और सभी के लिए मकान दे दें तो वे बाकि के खर्च का कहीं और से इंतजाम कर लेंगें। उन्होंने यह भी कहा कि खर्च का अनुमान जल्दी लगाए जाने के कारण उनसे कुछ चीजें छूट भी गई होगीं साथ ही स्थानीय स्थितियों की जानकारी न होने के कारण उनके अनुमान में भूलें भी हो सकती हैं। इस लेखा-जोखा में उन्होंने राज-मिस्त्री,लोहार और शिक्षण संबधी खर्च को शामिल नहीं किया है।