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CBSE Class 6 Saaransh Lekhan Sansaar Pustak Hai

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Sansaar Pustak Hai Synopsis

सारांश 

प्रस्तुत पाठ ‘ संसार पुस्तक है’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी बेटी को लिखित पत्र हैं। इन पत्रों में वे अपनी दस वर्षीय देती इंदिरा को पृथ्वी की शुरुआत कैसे हुई। मनुष्य ने कैसे अपने आप को धीरे-धीरे समझा और पहचाना आदि के बारे में चिठ्ठियों के माध्यम से बताते हैं। ये सभी चिट्ठियाँ; पिता के पत्र पुत्री के नाम’ पुस्तक में संकलित हैं। प्रस्तुत पाठ इसी पुस्तक से लिया गया है। ये पत्र जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजी में लिखे थे और इनका अनुवाद हिन्दी के मशहूर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने किया है।
प्रस्तुत पाठ में जवाहरलाल नेहरू अपने पत्र के माध्यम से दुनिया और छोटे देशों के बारे में अपनी पुत्री को बताना चाहते थे। जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद में थे और उनकी दस वर्षीय पुत्री इंदिरा मसूरी में थीं।
जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा से कहते हैं कि तुमने इंग्लैण्ड और हिन्दुस्तान के विषय में इतिहास में पढ़ा होगा। इंग्लैण्ड एक टापू है और जबकि हिन्दुस्तान दुनिया का एक बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा हिस्सा है। यदि इंदिरा को दुनिया का हाल जानना है तो उन्हें दुनिया की सब जातियों को जानना होगा, न केवल उस देश का जिसमें वे पैदा हुई हैं।
इन छोटे-छोटे पत्रों के माध्यम से उसके पिता केवल उसे थोड़ी ही बातें बता सकते हैं। लेकिन फिर भी इन पत्रों के माध्यम से वे जान पाएँगी कि दुनिया एक है और हम सभी भाई-बहन है।
यह धरती करोड़ों वर्ष पुरानी है। पहले धरती पर कोई जानदार चीज नहीं थी। वैज्ञानिकों ने यह साबित किया कि धरती के गरम होने के कारण किसी भी जीव का विकास संभव नहीं था। बाद में धीरे-धीरे धरती पर जीवन का विकास आरंभ हुआ। पहाड़, समुद्र, सितारे, नदिया, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियों आदि से दुनिया का पुराना इतिहास जाना जा सकता है। जब धरती पर मनुष्य नहीं था तो दुनिया का पुराना इतिहास कौन लिखता। इसलिए धरती का इतिहास जानने के लिए हमें पत्थरों और पहाड़ों से सीखना होगा। जैसे किसी भाषा को सीखने के लिए हम अक्षर ज्ञान प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार प्रकृति के बारे में जानने के लिए हमें पत्थरों और चट्टानों से जानना होगा। सड़क पर या पहाड़ के नीचे का छोटा-सा पत्थर का टुकड़ा भी पुस्तक का पृष्ठ बन जाता है। कोई चिकना पत्थर भी अपने बारे में बहुत कुछ बताता है कि यह गोल, चिकना, चमकीला और खुरदुरे किनारे का कैसे हो गया। और अंत में जाकर वह बालू का कण कैसे हो गया और सागर किनारे जम गया। अगर छोटा-सा पत्थर इतनी जानकारी दे सकता है, तो पहाड़ और अन्य चीजों से हमें कई बातें पता चल सकती हैं।

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