CBSE Class 6 Saaransh Lekhan Sabse Choti Houn
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Sabse Choti Houn Synopsis
सारांश
प्रस्तुत कविता में एक बालिका अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनने की इच्छा प्रकट करती है। ऐसा करने से वह सदा अपनी माँ का प्यार और दुलार पाती रहेगी। उसकी गोद में खेल पाएगी। उसकी माँ हमेशा उसे अपने आँचल में रखेगी, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी। उसे लगता है कि वह सबसे छोटी होगी, तो माँ उसका सबसे अधिक ध्यान रखेगी। सबसे छोटी होने से उसकी माँ उसे अपने हाथ से नहलाएगी, सजाएगी और सँवारेगी। उसे प्यार से परियों की कहानी सुनाकर सुलाएगी। वह कभी बड़ी नहीं होना चाहती क्योंकि इससे वह अपनी माँ का सुरक्षित और स्नेह से भरा आँचल खो देगी।
भावार्थ
मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ
तेरा आँचल पकड़-पकड़कर
फिरू सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ
भावार्थ- कविता की इन पक्तियों में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनूँ ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से उनका आँचल पकड़कर, हमेशा उनके साथ घूमती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ूँ।
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, माँ हमारा साथ छोड़ देती है। फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए।
अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ, सज्जित कर गात
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तितों में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और सँवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय
भावार्थ- प्रस्तुत अंतिम पक्तियों में बच्ची कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आँचल का साया खो दूँगी, जिसमें मैं निर्भय और सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूँ।
अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे माँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।