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CBSE Class 6 Saaransh Lekhan Jo Dekhkar Bhi Nahi Dekhate

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Jo Dekhkar Bhi Nahi Dekhate Synopsis

सारांश

प्रस्तुत पाठ लेखिका हेलेन केलर द्वारा लिखा गया प्रेरक लेख है। जो स्वयं दृष्टिहीन और बधिर थी। इस पाठ के द्वारा उन्होंने मनुष्यों को अपना जीवन बेहतर बनाने की प्रेरणा दी है।
लेखिका की सहेली कुछ दिन पहले जंगल की सैर कर आई थी। लेखिका ने जानना चाहा कि उसने जंगल में क्या देखा परन्तु उसने बताया कि कुछ खास नहीं। लेखिका को ऐसे उत्तर सुनने की आदत हो गई थी। इसलिए उन्हें अपनी सहेली के जवाब पर आश्चर्य नहीं हुआ। लेखिका को लगता था कि कोई इतना घूमकर भी विशेष चीजें कैसे नहीं देख सकता, जबकि वो दृष्टिहीन होते भी सब कुछ देख लेती है।
लेखिका रोजाना सैकड़ों चीजों को छूकर पहचान लेती थी। लेखिका केवल स्पर्श मात्र से ही भोजपत्र की चिकनी छाल, चीड़ की खुरदरी छाल, वसंत में खिली कलियाँ तथा फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को पहचान लेती थी। अपनी अँगुलियों के बीच बहते पानी को महसूस करने में उन्हें आनंद मिलता था। बदलता मौसम उनके जीवन में खुशियाँ भर देता जब चीजों को छूने मात्र से ही उन्हें इतनी खुशी मिलती थी यदि वे इन सब चीजों को देख पाती तो वे उन मैं खो ही जाती।
लेखिका के अनुसार जिनकी आँखें होती है वे लोग बहुत ही कम देखते हैं। वे प्रकृति को लेकर असंवेदनशील होते हैं। मनुष्य के पास जिस चीज की भी कमी होती है उसे वह पाने के लिए लालायित रहता है। ईश्वर से प्राप्त दृष्टि को मानव एक साधारण वस्तु समझकर उसका उचित प्रयोग करता ही नहीं है। परन्तु यदि इसी चीज का उचित प्रयोग किया जाय तो जीवन में इन्द्रधनुषी रंग भरे जा सकते हैं।

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