ICSE Class 6 Answered
हरित क्रांन्ति से अभिप्राय
देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने
बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं।
भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन १९६६-६७ से
हुई। हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन
बोरलॉग को जाता हैं।
हरित क्रान्ति भारतीय कृषि
में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा
प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। उच्च उत्पादक क्षमता वाले प्रसंसाधित
बीजों का प्रयोग, आधुनिक
उपकरणों का इस्तेमाल, सिंचाई
की व्यवस्था, कृत्रिम
खादों एवं कीटनाशकों के प्रयोग आदि के कारण संभव हुई इस क्रांति को लाखों लोगों की
भुखमरी से रक्षा करने का श्रेय दिया जाता है।
कृषि क्षेत्र में यह तकनीकि
एकाएक आई, तेजी से
इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्यजनक परिणाम निकले कि देश के
योजनाकारों, कृषि
विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस अप्रत्याशित प्रगति को ही 'हरित क्रान्ति' की संज्ञा प्रदान कर दी। हरित क्रांति का पारिभाषिक शब्द के
रूप में सर्वप्रथम प्रयोग १९६८ ई. में पूर्व संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय विकास
एजेंसी (USAID) के
निदेशक विलियम गौड द्वारा किया गया जिन्होंने इस नई तकनीक के प्रभाव को चिन्हित
किया।