Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 14 - श्रम साधना
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 14 - श्रम साधना स्वाध्याय
1. खरीद सस्ती-से-सस्ती और बिक्री महँगी-से-महँगी
2. सृष्टि के द्रव्य और मनुष्य का शरीर श्रम
3. गुलामी प्रथा और राज प्रथा
4. दुर्बलों को राज्य सत्ता द्वारा मदद
• पेट भरने के लिए हाथ-पैर चलाना
• चार घंटे शरीर श्रम
• ज्ञान प्राप्त करने और ज्ञान देने के लिए बुद्धि का उपयोग
• चार घंटे बौद्धिक काम
बुद्धिजीवी |
श्रमजीवी |
• बौद्धिक काम करना। • अधिक आमदनी, प्रतिष्ठित एवं सुखमय जीवन। |
• शारीरिक श्रम करना। • आमदनी कम, प्रतिष्ठा नहीं, कष्टमय जीवन। |
अस्पताल और विद्यालय
विद्यालयों और अपने साथियों एवं समाज से।
• प्राथमिक - मेरा भाई प्राथमिक शाला जाता है।
• आर्थिक - बड़े भाई-साहब आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
• बौद्धिक - वैज्ञानिकों का बौद्धिक स्तर कुछ और ही होता है।
• सामाजिक - मनुष्य को अपने सामाजिक कर्तव्यों का भान होना चाहिए।
• हाड x माँस
• प्रत्यक्ष x अप्रत्यक्ष
• देश x विदेश
• हाथ x पैर
• अमीर x गरीब
• स्वार्थ x परार्थ
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 14 - श्रम साधना अभिव्यक्ति
परोपकार एक सर्वश्रेष्ठ भावना है। परोपकार से तात्पर्य दूसरों की सहायता करने से है। हमें प्रकृति से परोपकार का संदेश लेना चाहिए। सूर्य, चंद्रमा, तारे, आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, पेड़ आदि दिन-रात मनुष्य के कल्याण में लगे हुए हैं। ये सभी दूसरों के उपकार के लिए कुछ न कुछ देते हैं। सेवा या परोपकार की भावना चाहे देश के प्रति हो या किसी व्यक्ति के प्रति, वह मानवता है। परोपकार से ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग खुलता है। व्यक्ति जितना परोपकारी बनता है, उतना ही ईश्वर की समीपता प्राप्त करता है। परोपकार से मनुष्य जीवन की शोभा प्राप्त करता है। परोपकार से मनुष्य जीवन की शोभा और महिमा बढ़ती है। सच्चा परोपकारी सदा प्रसन्न रहता है। वह दूसरे का कार्य करके हर्ष की अनुभूति करता है।" दुनिया में शांति, अहिंसा, सहनशीलता, भाई चारे का संदेश फैलाना चाहिए। पेड़-पौधों, हरियाली, पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए है। सभी पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं के प्रति करूणा की भावना रखनी चाहिए। परोपकार की भावना से ही हम एक उत्तम राष्ट्र और विश्व का निर्माण कर सकते हैं।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 14 - श्रम साधना उपयोजित लेखन
एक बड़े से जंगल में शेर रहता था। शेर का गुस्सा बहुत तेज था। सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। वह सभी जानवरों को परेशान करता था। वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था। शेर की इन हरकतों से सभी जानवर दुखी थे।
एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्मेलन रखा। जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से तो क्यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला दें।
सभी जानवरों ने एक साथ शेर के सामने अपनी बात रखी। इससे शेर बहुत खुश हुआ। उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद कर दिया। जानवरों ने सोचा कि इसे हम एक कागज़ मे सब जानवरों का नाम लिखकर चिट बनाकर एक चिट निकालेंगे जिसका नाम चिट में होगा वह जानवर शेर के पास चला जायेगा। अगले दिन एक हिरण का नाम आया वह मरना नहीं चाहता था। वह रोने लगा उसी समय एक खरगोश मिट्टी से भरा हुआ आगे आया बोला "तुम दुखी मत हो। मै शेर के पास जाऊँगा। " सब बोले तो वो तुम्हें खा लेगा। खरगोश बोला "तुम लोग मेरी चिंता मत करो मै वापस आऊँगा। तुम सब यही मेरा इंतजार करो।"
शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी। चतुर खरगोश शेर के पास देर से पहुँचा। जब खरगोश शेर के सामने गया। शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा, 'इतनी देर से क्यों आए?'
चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्ते में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया और बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूँ यह दूसरा शेर कहाँ से आ गया। शेर बोला कौन-सा शेर? जंगल में मैं ही एक शेर हूँ और मैं ही राजा।
खरगोश ने बोला, चलो शेरजी मैं आपको बताता हूँ वो कहाँ है? शेर खरगोश के साथ जंगल की तरफ गया। चतुर खरगोश शेर को बहुत दूर ले गया। खरगोश शेर को कुएँ के पास ले गया और बोला शेरजी इसी के अंदर रहता है वह शेर।
शेर ने जैसी ही कुएँ में देखा और दहाड़ लगाई। उसे उसी की परछाई दिख रही थी। वह समझा दूसरा शेर भी उसे ललकार रहा है। उसने वैसे ही कुएँ में छलाँग लगा दी। इस प्रकार जंगल के अन्य जानवरों को उससे मुक्ति मिली और खरगोश की सबने खूब सराहना की। सबने खरगोश से पूछा तुम ने ये कैसे किया? उसने पूरी कहानी सुनाई। उसने कहा ये युक्ति एक दिन मुझे कुएँ में चाँद की परछाई देखकर सूझी। इस तरह चतुर खरगोश ने सबकी जान बचा ली।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 14 - श्रम साधना भाषा बिंदु
1. करामत अली हौले-से लक्ष्मी पर हाथ फेरने लगा।
2. सार्वजनिक अस्पताल का ख्याल आते ही मैं काँप उठा।
3. क्या आपने मेरी इज्जत उतारने के लिए यहाँ बुलाया था?
4. सिरचन को बुलाओ, दुम हिलाता हुआ हाजिर हो जाएगा।
5. पंडित बुद्धिराम काकी को देखते ही तिलमिला उठे।
1. गुजर बसर करना - जीविका चलाना
वाक्य : विधवा रामी किसी तरह सब्जी बेचकर अपना गुजर बसर करती है।
2. गला फाड़ना - ऊँची आवाज में बोलना
वाक्य : अरे रामदीन, क्यों सवेरे-सवेरे गला फाड़ रहे हो?
3. कलेजे में हूक उठना - कसक उठना
वाक्य : कारगिल शहीदों की याद आते ही कलेजे में हूक उठने लगती है।
4. सीना तानकर खड़े रहना - दृढ़तापूर्वक अड़े रहना
वाक्य : हमारे भारतीय सिपाही विपरीत परिस्थतियों में भी दुश्मनों के सामने सीना तानकर खड़े रहते हैं।
5. टाँग अड़ाना - कार्य में बाधा डालना
वाक्य : किसी के शुभ कार्य में टाँग अड़ाना अच्छी बात नहीं है।
1. जेब ढीली होना - बहुत अधिक खर्च हो जाना
वाक्य : आजकल बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में माता-पिता की जेब ढीली हो जाती है।
2. निजात पाना - छूटकारा पाना
वाक्य : अपने परिवार से अलग होकर ही रामू को रोज-रोज के झगड़ों से निजात मिली।
3. फूट-फूटकर रोना - जोर-जोर से रोना
वाक्य : पति की दुर्घटना में मारे जाने की खबर से पत्नी फूट-फूटकर रोने लगी।
4. मन तरंगायित होना - बहुत अधिक खुश होना
वाक्य : नौकरी में पदोन्नति की खबर ने मनोज के मन को तरंगायित कर दिया।
5. मुँह लटकाना - उदास होना
वाक्य : परीक्षा परिणाम जानकार घर में सभी का मुँह लटक गया।
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर