Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 4 - मन
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 4 - मन स्वाध्याय
1. हमें पूरा जीवन काम करते रहना चाहिए। यह नहीं सोचना कि हमें क्या प्राप्त होगा।
2. मन की कुंठाओं को बाहर निकाल देना चाहिए।
फागुन और वसंत ऋतु
1. हमें स्वयं ही अपनी जीवन नैया को पार लगाना होगा।
2. कुछ लोगों के जीवन से जाने पर जीवन निरर्थक हो उठता है।
3. मन का विषाद निकल जाने पर मन पावन हो गया।
4. कवि द्वारा दिए गए गीतों के स्वर अमर हुए।
केद्रीय भाव - रेल पटरियाँ सदा से साथ चलती है है लेकिन वे सदा मौन रहती है, कभी एक-दूसरे से बात नहीं करती।
केंद्रीय भाव - काँटों के बीच खिलखिलाता फूल प्रेरणा देता है कि जीवन में आई हुई परेशानियों से न घबराकर अपना कार्य करते रहो।
अ |
उत्तर |
मछली |
प्यासी |
गीतों के स्वर |
अमर |
रेल की पटरियाँ |
मौन |
आकाश |
सुना |
1. सितारों का छिपना - सूना आकाश
2. तुम्हारा गीतों को स्वर देना - गीतों का अमर होना।
जब मन की पीड़ा बहुत गहरी हो जाती है, तो वह बादल बनकर आँसुओं के रूप में बरसने लगती है।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 4 - मन उपयोजित लेखन
दिनाँक - 23/5/19
प्रिय अनीता,
मधुर स्मृति।
कल ही डाक से तुम्हारा बधाई पत्र मिला। बधाई पत्र पढ़कर मन अत्यंत प्रसन्न हुआ। तुम तो जानती ही हो मैं अभिव्यक्ति में कितनी कमजोर थी। ये तो तुम्हारे निरंतर प्रोत्साहन से मैं इस काबिल बनी हूँ। बचपन से ही तुम मुझे इस विषय पर हमेशा से प्रोत्साहित करती रही हो। इसी कारण आज मैं इस इनाम की हकदार बनी हूँ। अपनी इस उपलब्धि के लिए मैं तुम्हारी तहे दिल से आभारी हूँ।
शेष मिलने पर।
तुम्हारी सहेली,
प्रतीक्षा इनामदार
सरला भवन
रानडे रोड
पुणे
इ-मेल आईडी: pqr@abc.com
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर