Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 13 - दो लघु कथाएँ स्वाध्याय
• लू चलना
• उमस होना
• अंगारे सी तपन
• भीषणता
• लिजलिजा
• घुटनभरा
1. युवक को पहले नौकरी न मिल सकी क्योंकि हर जगह भ्रष्टाचार और रिश्वत का बोलबाला था।
2. आखिरकार अधिकारियों द्वारा युवक का चयन कर लिया क्योंकि भीतर बैठे अधिकारियों ने गंभीरता से विचार-विमर्श करने के बाद युवक के सही उत्तर की दाद दी थी।
• पहाड़ों पर घूमने में हजारों रुपए खर्च करना
• अच्छे होटलों में रुकना
• बड़ी दुकानों में दाम पूछे बिना खर्च करना
• गरीब से दो रूपए के लिए झिकझिक करना
• रुके हुए कार्य करवाना
• दबी हुई फाइलें निकलवाना
• टलती हुई पदोन्नति करवाना
• रोकी गई नौकरी प्राप्त करना
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 13 - दो लघु कथाएँ अभिव्यक्ति
भ्रष्टाचार अर्थात् भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं जो भ्रष्टाचारी है।
आज हम अपने चारों ओर भ्रष्टाचार के अनेक रुप देख सकते हैं जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महँगा बेचना आदि।
'भष्ट्राचार की लगी अगन है,
जिसने कर दिया मूल्यों का दहन है।'
भ्रष्टाचार ने भयानक रोग की तरह हमारे समाज को खोखला कर दिया है। आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है। प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है।
असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है। भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है।
भष्ट्राचार को तीन प्रमुख वर्गो में विभक्त कर सकते हैं : राजनीतिक, प्रशासनिक और व्यावहारिक। आज सरकारी व गैरसरकारी विभाग से लेकर शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है। भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है।
भ्रष्टाचार के कारण भारतीय संस्कृति का पतन हो रहा है। भ्रष्टाचार दूर करने के लिए हमें शिक्षण द्वारा व्यक्ति के मनोबल को उँचा उठाना होगा। सबके लिए उचित रोज़गार की तक उपलब्ध करानी होगी। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था उपलब्ध करानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालना होगा। हमें प्रशासन व शासन की व्यवस्था को पूरी तरह स्वच्छ व पारदर्शी बनाना होगा।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 13 - दो लघु कथाएँ उपयोजित लेखन
जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह समृद्र, नदी, तालाब, पोखर, कुआँ, नहर इत्यादि में पाया जाता है। जल मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना कठिन है। मानव शरीर में दो तिहाई मात्रा पानी की है। इससे स्पष्ट है कि जल का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है। पृथ्वी के हर जीव के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है।
हमारे जिंदगी में हम पानी का इतना इस्तेमाल करते है कि हम अक्सर उसका महत्त्व भूल जाते हैं। कही नल बंद नहीं करते है तो कही और पानी को फ़ेंक देते हैं। परन्तु यह साधारण दिखने वाली चीज़ असल में सबसे महत्त्वपूर्ण है। जल जीवन के लिए जरूरी है लेकिन दुर्भाग्य कि बात है कि संसार के कई हिस्सों में लोगों को सेहतमंद रहने के लिए जितना पानी जरूरी है वह उन्हें मिल नहीं पाता। राजस्थान, जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती है। पीने का पानी इन इलाकों में बड़ी कठिनाई से मिलता है। बहुत बार लोगों को पानी के लिए मीलों चलना पड़ता है और तब भी उन्हें जो पानी मिलता है उसकी तुलना किसी अमृत से कम नहीं होती।
मनुष्य के शरीर में यदि पानी की कमी हो जाए तो उसको बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। परन्तु विडंबना देखिए हम मनुष्य ने अपने इस जीवनदायी अमृत को दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के वर्तमान समय में बहुत आवश्यक है। पानी हमारे जीवन की पहली प्राथमिकता है, इसके बिना तो जीवन संभव ही नहीं क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर पानी जिस तरह से लगातार गंदा हो रहा है और कम हो रहा है, अगर यही क्रम लगातार चलता रहा तो क्या हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा? कितनी सारी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा और सबकी जिन्दगी खतरे में पड़ जाएगी।
ताज़े पानी के महत्त्व पर ध्यान केन्द्रित करने और ताज़े पानी के संसाधनों का प्रबंधन बनाये रखने के लिए राष्ट्र संघ प्रत्येक वर्ष 22 मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस के रूप में मनाता है। जल संरक्षण से ही हम पानी की कमी को कम कर सकते हैं। जल संरक्षण अपने पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना।
इस लिए हमें जल बचाने के लिए स्वयं विचार करना होगा। सब्जी, बरतन आदि धोने के बाद बाल्टी में जमा उस पानी को पौधों में डाल दें, पोंछा लगा लें, फर्श की धुलाई, कार धोने या टॉयलेट में गिराने के काम ले आएँ। बहते नल को जल्द से जल्द ठीक कराएँ। दाँत आदि साफ करते वक्त जरूरत पड़ने पर ही नल चलाना चाहिए। अपने पालतू जानवरों को गार्डन में नहलाएँ, ताकि पानी घास व पौधों को मिल सके। धरती में गढ़्डे आदि खोदकर उसमें वर्षा का जल जमा करें। इस प्रकार हम कह सकते हैं जल है तो कल है।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 13 - दो लघु कथाएँ भाषा बिंदु
1. प्रश्नवाचक वाक्य
2. विधानवाचक वाक्य
3. निषेधवाचक वाक्य
4. आज्ञार्थक वाक्य
5. प्रश्नवाचक वाक्य
1. विधानवाचक वाक्य
2. विस्मयादिबोधक वाक्य
3. आज्ञार्थक वाक्य
4. विस्मयादिबोधक वाक्य
5. निषेधवाचक वाक्य
1. थोड़ी भी बातें नहीं हुई।
2. क्या मानू इतना ही बोल सकी?
3. मैं आज रात का खाना खाऊँगा।
4. अरे! गाय ने दूध देना बंद कर दिया।
5. तुम अपना ख्याल रखो।
1. वह बड़ी भयभीत और घबराई हुई थी। (विधानार्थक वाक्य)
2. ओह! कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है। (विस्मयार्थक वाक्य)
3. कहो, कविता कैसी रही? (प्रश्नार्थक वाक्य)
4. लक्ष्मी ने आज भी दूध नहीं दिया। (निषेधार्थक वाक्य)
5. देखो, अपना ख्याल रखो। (आज्ञार्थक वाक्य)
1. अधिकारियों के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान और उत्सुकता छा गई। [सरल वाक्य]
2. हर ओर से अब वह निराश हो गया था।[सरल वाक्य]
3. उसे देख-देख बड़ा जी करता कि मौका मिलते ही उसे चलाऊँ। [मिश्र वाक्य ]
4. वह बूढ़ी काकी पर झपटी और दोनों हाथों से झटककर बोली। संयुक्त वाक्य]
5. मोटे तौर पर दो वर्ग किए जा सकते हैं। [सरल वाक्य]
6. अभी समाज में यह चल रहा है क्योंकि लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चलाते हैं। [संयुक्त वाक्य]
1. इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ रही थी।
2. आज फिर उसे साक्षात्कार के लिए जाना है।
3. अगले सप्ताह ही पर्वतीय स्थल की यात्रा पर निकल पड़े।
1. अधिकारियों के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आई और उत्सुकता छा गई।
2. व्यक्ति समाज को कम-से-कम देने की इच्छा रखता है लेकिन समाज से अधिक-से-अधिक लेने की इच्छा रखता है।
3. विषमता दूर करने में कानून भी कुछ मदद देता है, परंतु कानून से मानोवोचित गुणों का विकास नहीं हो सकता।
1. भ्रष्टाचार ऐसा कीड़ा है जो देश को घुन की तरह खा रहा है।
2. वह जानता था कि यहाँ भी उसका चयन नहीं होगा।
3. संपत्ति तो वे ही चीजें हो सकती हैं, जो किसी-न-किसी रूप में मनुष्य के उपयोग में आती हैं।
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर