Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 8 - गजल
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 8 - गजल स्वाध्याय
1. हमें प्रशंसा और वाह-वाही त्याग कर नीवं की ईंटों के समान सुदृढ़ काम करने चाहिए।
2. हमें हर परिस्थिति में बिना टूटे, बिखरे विचलित हुए बिना सामना करना चाहिए।
1. मानवीय गुणों को अपनाना
2. निराश और हताश लोगों के मन में आशा की किरण जगाना
1. कवि अकसर किसी शक्ल को कहाँ देखना चाहता है?
2. वक्त की धुंध के साथ किसने रहने को कहा है?
3. कवि खिलते फूल के स्थान पर कहाँ दिखने को कहता है?
4. दिखने का शौक है तो कवि क्या बनने के लिए कहता है?
1. दूसरों के दुःख तकलीफों को अनुभव कर ही उसे दूर करने का प्रयास होगा।
2. प्रत्येक प्राणी में ईश्वर का अंश ही नजर आये।
1. फूल
2. तितली
3. मोती
4. सीप
1. नींव की तरह
2. मील का पत्थर
3. आदमी बनकर
4. आईना बनकर
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 8 - गजल अभिव्यक्ति
पसंदीदा पंक्ति -
एक जुगनू ने कहा मैं भी तुम्हारे साथ हूँ,
वक्त की धुंध में तुम रोशनी बनकर देखो
एक मर्यादा बनी है हम सभी के वास्ते,
गर तुम्हें बनना है मोती सीप के अंदर देखो
केन्द्रीय भाव - कवि कहता है अँधकार में जुगनू के शरीर से निकलने वाला प्रकाश का भी महत्त्व होता है। क्योंकि वह वह अपनी स्थिति को बदलने का प्रयास तो करता है। जुगनू से प्रेरणा लेकर कोई सामने आकर प्रयास तो करें। यदि किसी को सचमुच अपने आप को प्रतिष्ठित करना है, तो उसके लिए असह्य कष्ट सहने पड़ते हैं। सीप के अंदर बूंद को मोती बनने के लिए बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। मनुष्य को भी कष्ट उठाकर कार्य करना चाहिए।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 8 - गजल उपयोजित लेखन
'वर्तमान युग में विज्ञान अपनी प्रगति के चरम में पहुँच चुका है। अब वह दिन दूर नहीं जब मानव विज्ञान के सहारे अपना घर अंतरिक्ष में भी बसा लेंगे। मैं भी हमेशा ऐसा ही सोचता रहता हूँ यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो कैसा होता? अंतरिक्ष शब्द ही अपने आप में रोमांच से भर देता है। मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो मुझे कहीं भी आने-जाने के लिए मेहनत न करनी पड़ती। ट्रैफिक, भीड़ प्रदूषण तेज आवाज की समस्या से छुटकारा मिल जाता। चाँद-सितारों और अन्य ग्रहों को नजदीक से देख पाता। जहाँ मर्जी वहाँ घूम पाता। हाँ लेकिन, धरती की तरह शायद विभिन्न प्रकार के भोजन का लुफ्त न उठा पाता। प्राकृतिक दृश्यों नदी, नाले, झरनों, समुद्र, बाग-बगीचे भी पीछे छूट जाते। लेकिन किसी ने कहा ही है ना कुछ पाने के कुछ खोना भी पड़ता है।
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर