Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 11 - कृषक का गान
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 11 - कृषक का गान स्वाध्याय
• कृषक की संतोष की भावना और अभिमान पर मान करना
• मनुजता के ध्वज के नीचे कृषक का आह्वान करना
1. पतझर और धूप
2. मधुमास और पतझर
1. कृषक कमजोर शरीर को पत्तियों से पालता है।
2. कृषक बंजर जमीन को अपने खून से सींचकर उर्वरा बना देता है।
पंक्ति |
भाव |
आज उस पर मान कर दूँ |
अभिमान |
आह्वान उसका आज कर लूँ |
मानवता |
नवसृष्टि का निर्माण कर लूँ |
सृजनशीलता |
आज उसका ध्यान कर लूँ |
आदर |
1. निर्माता - सृजक
2. शरीर - तन
3. राक्षस - असुर
4. मानव - मनुज
भावार्थ : कृषक को अभावों की कोई कमी नहीं होने के बावजूद वह संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत करता है। पूरे संसार में भले वसंत का मौसम हो परंतु कृषक के जीवन में तो सदा पतझड़ का ही मौसम बना रहता है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि ऋतुएँ बदलती हैं, स्थितियाँ और परिस्थतियाँ बदलती है परंतु एक कृषक के जीवन में सदा अभावों का ही डेरा जमा रहता है। ऐसी दीन अवस्था में भी उसे किसी से कुछ माँगना अच्छा नहीं लगता है। इसलिए कवि कृषक पर अभिमान करना चाहता है उसके गीत गाना चाहता है।
1. रचनाकार कवि का नाम - दिनेश भारद्वाज
2. रचना का प्रकार - गान
3. पसंदीदा पंक्ति - दीनता का अभिमान जिसका, आज उसपर मान कर लूँ।
4. पसंदीदा होने का कारण - कृषक के जीवन में अभाव होने के बावजूद वह किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता। उसे अपनी इस दीन दशा पर भी अभिमान है।
5. रचना से प्राप्त प्रेरणा - कृषक दिन-रात कठिन परिश्रम कर स्वयं अभावों में रहकर संसार का पालन करता है अत: हमारा भी यह फ़र्ज बनता है कि हम कृषक के परिश्रम को समझे और उसका सम्मान करे।
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर