Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 18 - महिला आश्रम
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 18 - महिला आश्रम स्वाध्याय
• सरदी के मौसम में फूलने वाला फूल
• इसकी कलियाँ महीनों तक नहीं खुलती
• एक-एक पंखुड़ी करके खिलती है
• इसके फूल बहुत टिकते हैं
1. काकाजी को तारों के नक्शे बनाने थे, इसलिए उन्होंने कंपास बॉक्स मँगा कर रखा।
2. काकाजी के पास वाले गमलों में लगे फूलों के पौधे सूख गए थे, इसलिए काकाजी ने फूल के गमले अपने पास से निकाल दिए।
शब्द |
'ता' |
प्रत्ययसाधित शब्द |
मानव |
'ता' |
मानवता |
कुशल |
'ता' |
कुशलता |
उत्कृष्ट |
'ता' |
उत्कृष्टता |
एक |
'ता' |
एकता |
1. घर - मकान
आज मुझे घर जल्दी पहुँचना है।
हमारा नया मकान लगभग तैयार हो चुका है।
2. बोझ - भार
इतने बड़े परिवार का बोझ उठाना अकेले के वश का नहीं है।
आगे बढ़ना है तो कार्य का भार तो उठाना ही होगा।
• आश्रम के संचालन या व्यवस्था में पुरुष का संबंध नहीं होगा।
• आश्रम का विज्ञापन, अखबार में नहीं दिया जाएगा।
• आश्रम के लिए पैसे माँगने नहीं जाना है।
• आश्रम को सभी धर्म मान्य होगें।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 18 - महिला आश्रम अभिव्यक्ति
पत्र लेखन एक ऐसी कला है जिसमें हम अपनी मन की भावनाओं को शब्दों के जरिए पहुँचाते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है जब हम अपने मन में उठने वाले विचार और भावनाएँ व्यक्ति के सामने प्रकट नहीं कर पाते, उन्हीं भावनाओं और विचारों को हम पत्र के माध्यम से आसानी से व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों के माध्यम से शब्दों द्वारा व्यक्त की गई भावना हमेशा हमारे पास रह जाती है। पत्र दिलों को जोड़ने का, सूचनाओं के आदान-प्रदान का, समाज में जागृति फैलाने, अपनी बात सब तक पहुँचाने का सबसे अच्छा माध्यम है। इन पत्रों को हम जब चाहे, जितनी बार चाहे उतनी बार पढ़ सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान तो ये पत्र आजादी के लड़ाई का एक हथियार रहे हैं। पत्रों के जरिए ही स्वतंत्रता सेनानी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी बेटी इंदिरा को लिखे गए पत्र तो अपने आप में अनूठे थे। 'पिता के पत्र पुत्री के नाम' शीर्षक से उन्होंने न जाने कितने पत्र अपनी बेटी इंदिरा को लिखें। इन पत्रों में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की है कि यह धरती कैसे बनी, सौरमंडल क्या है, इंसान और पशुओं का जीवन कैसे शुरू हुआ और दुनिया भर में सभ्यताएँ कैसे अस्तित्व में आईं और विकसित हुईं।
इन पत्रों में जवाहरलाल नेहरू ने नन्हीं इंदिरा को ऐतिहासिक, पौराणिक, भाषा, विज्ञान, देश-विदेश आदि की न जाने कितनी की गूढ़ बातें सरल ढंग से समझा दी। आज भले ही दूरसंचार क्रांति के कारण मोबाइल जैसे सुलभ-साधन आ गए हों पर फिर भी पत्रों का महत्त्व कम नहीं हुआ है। आज भी घनिष्ठ संबंधों को संजोने के लिए सरकारी और व्यावसायिक कार्यों के लिए पत्रों की ही आवश्यकता होती है। अत: पत्र अभिव्यक्ति का एक सशक्त और सरल माध्यम होने के कारण इसका सिलसिला चलता ही रहना चाहिए।
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 18 - महिला आश्रम उपयोजित लेखन
पुराने समय में कबूतर और हरकारे हमारे लिए संदेश वहन का कार्य करते थे। समय बदला तो पत्र के माध्यम से संदेश पहुँचाएँ जाने लगे। कुछ समय बाद तार और टेलीफोन की सुविधा का आविष्कार हुआ। वर्तमान समय में तो संदेश-वहन के लिए अत्याधुनिक साधन की भरमार है। मोबाइल से हम न केवल बातचीत कर सकते हैं बल्कि एक-दूसरे को आमने-सामने देख भी सकते हैं। अपने दुखों और खुशियों के पलों को आपस में बाँट सकते हैं।
संदेश वहन के आधुनिक साधनों के कारण जहाँ लोगों के जीवन सरल और सुगम हुआ है, वहीँ इस के जरिए लोगों के जीवन में भी अनेक समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं।
संदेश वहन के उपकरणों द्वारा वाइरस भेजकर उपकरणों की जानकारी चुरा लेना, अश्लील तस्वीरें भेजना, बैंक में से पैसे निकाल लेना, गलत संदेश भेजकर अफवाहों को जन्म देना, अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए बार-बार कंपनी के लोगों द्वारा तंग किया जाना, हर समय विज्ञापन के संदेशों का आना-जाना, परिवार का अपने-अपने मोबाइलों से चिपके रहना आदि ऐसे अनेकों कारण है जिससे हमारा पारिवारिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
सिक्के के जैसे दो पहलु होते हैं ठीक उसी प्रकार किसी आविष्कार के लाभ-के साथ हानि भी जुड़े होते हैं यह व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि उसे उन दोनों में से किस चीज का चुनाव करना है।
दिनाँक - 2 अगस्त 2014
प्रिय सौरभ
मधुर स्मृति।
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। जिला विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह पढ़कर मन खुशी से झूम उठा। इस अवसर पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम भविष्य में ऐसी ही सफलताएँ प्राप्त करते रहो। घर के अन्य सदस्य भी तुम्हारी इस उपलब्धता पर गर्वित महसूस कर रहे हैं। सभी ने तुम्हें शुभकामनाएँ भेजी हैं।
तुम्हारे माता पिता को मेरी ओर से सादर प्रणाम तथा छोटी बहन हेमाली को प्यार।
तुम्हारा मित्र
अमर
102, मोहनगंज
गली नं-5
रायपुर
ई-मेल- आईडी - bmg@xyz.com
Lokbharti Solution for Class 10 Hindi Chapter 18 - महिला आश्रम भाषा बिंदु
• आँख भर आना - आँसू आना
वाक्य : बेटी की विदाई पर सभी की आँखें भर आईं।
• आँखों में बसना - ह्रदय में बसना
वाक्य : उस प्यारी-सी बच्ची का रूप मेरी आँखों में बस गया है।
• मुँह में पानी आना - लालच होना
वाक्य : रसीले गुलाबजामुन को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया।
• मुँह बंद करना - शांत कर देना
वाक्य : तुम पुलिस की धमकी देकर मेरा मुँह बंद करना चाहते हो।
• दूध के दाँत न टूटना- ज्ञान और अनुभव का अभाव होना
वाक्य : इतनी बड़ी बातें न करो अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।
• दाँत खट्टे करना - पराजित करना
वाक्य : सेना ने अपनी वीरता से युद्धभूमि में दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए।
• हाथ पैर मारना - काफी प्रयास करना
वाक्य : इतना हाथ-पैर मारने के बाद भी राम को नौकरी न मिली।
• हाथ मलना - पछताना
वाक्य : समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ?
• ह्रदय पसीजना - द्रवित होना
वाक्य : भिक्षुक की हालत देखकर मेरा ह्रदय पसीज गया।
• ह्रदय उछलना - बहुत प्रसन्नता होना
वाक्य : चोरी हुआ सामान मिलने की खबर से ह्रदय उछलने लगा।
Lokbharti - X Class 10 Chapter Solutions
- Chapter 1 - भारत महिमा
- Chapter 2 - लक्ष्मी
- Chapter 3 - वाह रे! हमदर्द
- Chapter 4 - मन
- Chapter 5 - गोवा: जैसे मैंने देखा
- Chapter 6 - गिरिधर नगर
- Chapter 7 - खुला आकाश
- Chapter 8 - गजल
- Chapter 9 - रीढ़ की हड्डी
- Chapter 10 - ठेस
- Chapter 11 - कृषक का गान
- Chapter 12 - बरषहिं जलद
- Chapter 13 - दो लघु कथाएँ
- Chapter 14 - श्रम साधना
- Chapter 15 - छाया
- Chapter 16 - ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
- Chapter 17 - हम इस धरती की संतति
- Chapter 18 - महिला आश्रम
- Chapter 19 - अपनी गंध नहीं बेचूँगा
- Chapter 20 - जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
- Chapter 21 - बूढी काकी
- Chapter 22 - समता की ओर