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Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 12 - Kedarnath Agarval

Kedarnath Agarval Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने शहरीय स्वार्थपूर्ण रिश्तों पर प्रहार किया है। कवि के अनुसार नगर के लोग आपसी प्रेमभाव के स्थान पर पैसों को अधिक महत्त्व देते हैं। वे प्रेम और सौंदर्य से दूर, प्रकृति से कटे हुए होते हैं। उनके इस आक्रोश का मुख्य कारण यह है कि कवि प्रकृति से बहुत अधिक लगाव रखते हैं।

Solution 2

यहाँ सरसों के सयानी से कवि यह कहना चाहता है कि सरसों की फसल अब पूरी तरह तैयार हो चूकी है अर्थात् वह काटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

Solution 3

यहाँ पर अलसी एक हठीली नायिका के रूप में चित्रित हुई है। उसका चित्त अति चंचल और प्रेमातुर है। अलसी प्रथम स्पर्श करने वाले को अपने हृदय का दान देकर अपना स्वामी बनाने के लिए आतुर है।

Solution 4

अलसी के लिए 'हठीली' विशेषण का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि हठपूर्वक चने के पौधे के पास उग आई है। उसकी पतली देह बार-बार हवा के कारण झुक जाती है परन्तु वह फिर सीधे खड़े होकर चने के बीच नज़र आने लगती है।

Solution 5

'चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा' इस पंक्ति में कवि ने मानव प्रकृति का अति सूक्ष्म वर्णन किया है। यहाँ पर 'चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा' नगरीय सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण जीवन से है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि यह कहना चाह रहा है कि सभी कुछ पाने के बाद भी मानव की इच्छाएँ कभी ख़त्म नहीं होती हैं।

Solution 6

कवि ने यहाँ पर चने का मानवीयकरण किया है 'हरे चने' का पौधा आकार में बहुत छोटा अर्थात् ठिगना है। उसने अपने सिर पर गुलाबी रंग की पगड़ी पहन रखी है जैसे कोई दूल्हा सज धज कर स्वयंवर के लिए खड़ा हो

Solution 7

प्रस्तुत कविता में कवि ने निम्न स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है -

1. यह हरा ठिगना चनाबाँधे मुरैठा शीश पर

    छोटे गुलाबी फुल का सज कर खड़ा है।

2. देह की पतली,कमर की लचीली

    नीले फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर

    कह रही हैजो छुए यह दूँ ह्रदय का दान उसको।

3. और सरसों की न पूछो -

    हो गई सबसे सयानी,

    हाथ पीले कर लिए हैं

    ब्याह-मंडप में पधारी

4. फाग गाता मास फागुन

    आ गया है आज जैसे।

5. हैं कई पत्थर किनारे

    पी रहे चुपचाप पानी,

    प्यास जाने कब बुझेगी। 

Solution 8

चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी

कम ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ

दूर दिशाओं तक फैली हैं।

बाँझ भूमि पर

इधर-उधर रींवा के पेड़

काँटेदार कुरूप खड़े हैं।

सुन पड़ता है

मीठा-मीठा रस टपकाता

सुग्गे का स्वर

टें टें टें टें ;

Kedarnath Agarval Exercise रचना और अभिव्यक्ति

Solution 9

अपनी बात को प्रभावपूर्ण, रोचक,   वस्तु की विशेषताओं पर ध्यान केन्द्रित करने और किसी की प्रशंसा करने के लिए इस शैली का प्रयोग किया जाता है। 

Solution 10

काले माथे और सफ़ेद पंखों वाली चिड़िया यहाँ पर दोहरे व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है। ऐसे लोग एक और तो समाज के हितचिंतक बने फिरते हैं और मौका मिलते ही अपना स्वार्थ साध लेते हैं

Kedarnath Agarval Exercise भाषा-अध्ययन

Solution 11

फ़ाग, मेड़, पोखर, हठीली, सयानी, ब्याह, मंडप, चकमकाता, खंभा, चटझपाटे, सुग्गा, जुगुल, जोड़ी, चुप्पे-चुप्पे आदि। 

Solution 12

मुहावरे

अर्थ

वाक्य

बीता-भर

छोटा-सा

बीता भर की दिखने वाली यह लड़की, और बातें तो देखो इतनी बड़ी-बड़ी करती है।

सिर चढ़ाना

बढ़ावा देना

बच्चों को इस तरह लाड़ प्यार देकर सिर पर चढ़ाना अच्छी बात नहीं है।

ह्रदय का दान देना

समर्पित होना

कृष्ण और राधा एक दूसरे को हृदय का दान दे चूके थे।

हाथ पीले करना

विवाह योग्य होना

बेटी के माता-पिता की यही इच्छा होती है कि वे उचित समय पर अपनी बेटी के हाथ पीले कर दें।

गले में डालना

जल्दी से खाना

मालिक को आता देख मजदूरों ने रोटियाँ गले में डाल लीं।

हृदय चीरना

दिल को दुःख पहुँचना

पति की मृत्यु का समाचार पत्नी के हृदय को चीरकर रख देता है।

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