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Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 2 - Rahul Sakultyayan

Rahul Sakultyayan Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

इसका मुख्य कारण था - संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ जान-पहचान थी। पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था। भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था। उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा। वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे और सुमति भी साथ नहीं थे।

Solution 2

उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे। साथ ही, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था।

Solution 3

लेखक लंग्कोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गए थे -

१. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।

२. वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा।

Solution 4

लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पासजाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।

Solution 5

लेखक को इस यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :-

१. जगह-जगह रास्ता कठिन तो था ही साथ में परिवेश भी बिल्कुल नया था।

२. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया। 

३. डाकू जैसे दिखने वाले लोगों से भीख माँगनी पड़ी

४. भिखारी के वेश में यात्रा करनी पड़ी

५. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।

६. तेज़ धूप में चलना पड़ा था।

७. वापस आते समय लेखक को रूकने के लिए उचित  स्थान भी मिला था।

Solution 6

प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर उस समय का तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि -

१. तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी।

२. सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था।

३. उस समय तिब्बती की औरतें परदा नहीं करती थीं।

४. उस समय तिब्बती की जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।

Solution 7

क लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।

Rahul Sakultyayan Exercise रचना-अभिव्यक्ति

Solution 8

सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं : जैसे -

. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।

. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।

. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।

. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है। लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं।

. सुमति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।

. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।

Solution 9

सामान्यतया लोगों में एक धारणा बन गई है कि पहली बार मिलने वाले व्यक्ति का आंकलन उसकी वेशभूषा देखकर किया जाता है। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।

मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के इनसान होते हैं, पूज्य होते हैं। हम पर पहला प्रभाव वेशभूषा के कारण ही पड़ता है। उसी के आधार पर हम भले-बुरे की पहचान करते हैं। परन्तु अच्छी वेशभूषा में कुतिस्त विचारों वाले लोग भी हो सकते हैं। गरीब व्यक्ति भी चरित्र में श्रेष्ठ हो सकता है, वेशभूषा सब कुछ नहीं है। कीचड़ में खिलने पर भी कमल अपनी सुंदरता बनाए रखता है।

Solution 10

तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ हैं। पहाड़ों के अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सुने प्रदेश बसे हुए हैं। यहाँ मिलोंमील तक कोई आबादी नहीं होती। एक ओर हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं। तिङ्री एक विशाल मैदानी भाग है,  जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं। यहाँ बीच में एक पहाड़ी है, जिस पर देवालय स्थित है। देवालय को पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया है।

Solution 11

ग्रीष्मावकाश में इस बार मैंने अपने माता-पिता, बहन और दो मित्रों के साथ देहरादून घूमने जाने की योजना बनार्इ। सबको मेरा प्रस्ताव पसंद आया और हम सब 24 मर्इ को अपनी गाड़ी में बैठकर प्रात: 4 बजे देहरादून के लिए रवाना हुए। अभी गाड़ी 25-30 किमी 0 ही चली थी कि अचानक वह घरघराकर रूक गर्इ। गाड़ी खराब हो गर्इ थी। यहाँ आस-पास कोर्इ शहर या कस्बा नहीं था। सड़क के दोनों ओर खेत थे। रास्ता सुनसान था। हम सब परेशान हो गए। पिताजी ने उतरकर देखा, पर उन्हें भी समझ नहीं आया कि गाड़ी क्यों नहीं चल रही थी। हमें वहीं खड़े-खड़े तीन घंटे बीत गए। उस सड़क पर आने-जाने वाली गाडि़यों को हमने हाथ देकर रोकने की कोशिश की, जिससे कुछ सहायता प्राप्त की जा सके, परंतु सभी लोग जल्दी में थे और कोर्इ भी हमारी बात सुनने के लिए नहीं रूकना चाहता था।

शाम होने जा रही थी। हम लोगों का भूख और गर्मी के कारण बुरा हाल था। मेरी छोटी बहन तो परेशान होकर रोने लगी, मां ने मुशिकल से उसे चुप कराया। जब कोर्इ हल नहीं सूझा तो मेरे पिता जी ने चाचा जी को फ़ोन किया और वे अपने साथ मैकेनिक को लेकर आए, तब कहीं जाकर गाड़ी ठीक हो सकी।

इस बीच मेरठ से खाना खरीदा गया और हम लोग रात में 12.30 बजे देहरादून पहुँच पाए। हमारा पूरा दिन बर्बाद हो गया था। अब जब कभी हम लोग गाड़ी में बैठकर बाहर जाते हैं या कहीं घूमने की योजना बनाते हैं, वह समस्याओं से भरा दिन बरबस याद आ जाता है।

Solution 12

हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग -१ में निम्नलिखित पाठ और विधाएँ हैं -

 

पाठ

विधा

दो बैलों की कथा

कहानी

ल्हासा की ओर

यात्रा-वृत्तांत

उपभोक्तावाद की संस्कृति

निबंध

साँवले सपनों की याद

रेखाचित्र

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

रिपोर्ताज

प्रेमचंद के फटे जूते

व्यंग्य

मेरे बचपन के दिन

संस्मरण

एक कुत्ता और एक मैना

निबंध

   

प्रस्तुत विधा (यात्रा वृत्तांत) अन्य विधाओं से अलग है। इसका मुख्य विषय हैं - यात्रा का वर्णन। इसमें लेखक ने यात्रा की समस्त वस्तुओं, व्यक्तियों तथा घटनाओं का वर्णन किया है। इसमें मानव-चरित्र के अनुभव बहुत संक्षिप्त रूप में आए हैं जबकि कहानी, संस्मरण में मानव-वृत्र का चित्रण हैं।

Rahul Sakultyayan Exercise भाषा-अध्ययन

Solution 13

. यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा चल भी रहा है या नहीं।

. कभी लगता था घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।

Solution 14

खोटी,  राहदारी,  कुची-कुची, भीटा, थुक्पा, गाँव-गिराँव, भरिया, गंडा, कन्जुर, चोङी्।

Solution 15

मुख्य, व्यापारिक,  बहुत,  भद्र,  चीनी,  अच्छी,  गरीब, विकट,  निर्जन,  हजारों,  अगला,  कम,  रंग-बिरंगे,  मुश्किल, लाल, ठंडा,  गर्मागर्म,  विशाल,  छोटी-सी, पतली-पतली, तेज, कड़ी, छोटे-बड़े, मोटे।

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