Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 6: Mahadevi Varma
Mahadevi Varma Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1 - क
उस समय, अर्थात् सन् 1900 के आसपास भारत में लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। लोगों का दृष्टिकोण बहुत बुरा था। प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था। लड़के को ही महत्त्व दिया जाता था। महादेवी वर्मा अपने एक संस्मरण में लिखती हैं - "बैंड वाले, नौकर-चाकर सब लड़का होने की प्रतीक्षा में खुश बैठे रहते थे। जैसे ही लड़की होने का समाचार मिलता सब चुपचाप विदा हो जाते।" ऐसे वातावरण में लड़कियों के पालन-पोषण तथा पढ़ाई-लिखाई आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता था। समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी।
Solution 1 - ख
आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ थोड़ी बदली हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का अंतर धीरे-धीरे हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है। परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, इस लिए सरकार कड़े कानून बना रहीं है।
Solution 2
लेखिका को उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि नहीं थी। उनके शब्दों में - "ये (बाबा) अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़ारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी।" इसलिए जब उन्हें उर्दू पढ़ाने के लिए मौलवी साहब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई।
Solution 3
महादेवी की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं। वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे पूजा-पाठ किया करती थीं। वे ईश्वर में आस्था रखती थीं। सवेरे "कृपानिधान पंछी बन बोले" पद गाती थीं। प्रभाती गाती थीं। शाम को मीरा के पद गाती थीं। वे लिखा भी करती थीं। लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी-प्रेम और लेखन गायन के शौक का वर्णन किया है। उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। इसलिए इन दोनों भाषाओं का प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा।
Solution 4
पहले हिंदु और मुस्लिम दो सम्प्रदायों में आज के जैसा भेदभाव नहीं था। उदाहरणस्वरूप - ज्वारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे। जवारा की बेगम स्वयं को महादेवी की ताई समझती थी तथा उन्होंने ही इनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार पर उनके साथ घुलमिल जाती थी। बेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी। परन्तु हिंदी और उर्दू भी चलती थी। पहले वातावरण में जितनी निकटता थी, वह अब सपना हो गई है। ऐसे में आत्मीय संबंधों की आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती।
Mahadevi Varma Exercise रचना-अभिव्यक्ति
Solution 5
ज़ेबुन्निसा के स्थान पर मैं यदि महादेवी वर्मा को सहायता करती तो उनसे निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखती -
1. प्रेम और आदर की भी अपेक्षा करती।
2. पढ़ाई में सहायता चाहती।
3. उनकी स्वरचित कविताएँ सुनने की अपेक्षा रखती।
4. उनसे कविता लिखने का प्रोत्साहन पाना चाहती।
Solution 6
यदि मेरे सामने देशहित का प्रश्न आता या किसी विपत्ति को दूर करने का प्रश्न आता तो मैं अपना चाँदी का कटोरा अवश्य दे देती। बेशक मुझे अपने पुरस्कार के प्रति प्रेम है परन्तु देश प्रेम के आगे उसका कोई मूल्य नहीं।
Solution 7
मेरी मातृभाषा हिंदी है। लेखिका ने क्रास्थवेट गल्स कॉलेज में पाँचवीं में प्रवेश लिया। यहाँ देश के विभिन्न भागों से छात्राएँ पढ़ने आती थीं।यहाँ पर ये छात्राएँ अपनी-अपनी मातृ भाषा में बातें करती थीं। यहाँ हिंदी, मराठी, अवधी, बुंदेली और ब्रजभाषा आदि भाषाएँ सुनने मिलती थी। सब हिंदी और उर्दू का अध्ययन करती थीं। इस प्रकार छात्रावास का परिवेश बहुभाषी था।
Solution 8
एक दिन की बात है, मैं और मेरा मित्र पाठशाला से घर लौट रहे थे। हमें सड़क पार करनी थी। मैं आगे था मैंने ठीक से सड़क पार कर ली परंतु तब तक सिगनल हरा हो गया और वाहन तेज़ गति से आगे बढ़ने लगे। मेरे मित्र ने सड़क के दोनों ओर देखा ही नहीं और लापरवाही से सड़क पार करने लगा। कार चालाक ने बड़ा प्रयास किया कि मेरे मित्र को समय रहते सूचित किया जा सके परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। कार चालाक ने मेरे मित्र को बचाने के प्रयास में कार को इधर-उधर घुमाने का प्रयास किया। इस प्रयास में उसकी कार हमारे विद्यालय के पास एक पेड़ से जा टकराई। इस टक्कर में कार चालक बुरी तरह घायल हो गया। उसे गंभीर चोटें आईं थीं। संयोग से पास ही अस्पताल होने के कारण कार चालक को चिकित्सा सुविधा समय रहते उपलब्ध करवाई जा सकी और उसकी जान बच गई। इस घटना ने मेरे होश उड़ा दिए। मेरे मित्र को भी बहुत ग्लानि का अनुभव हुआ। उस दिन के बाद मैंने सड़क पार करते हुए कभी लापरवाही नहीं बरती। यह घटना मेरे लिए अविस्मरणीय घटना बन गई।
Solution 9
४ अगस्त,२०-
आज हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मुझे अपने मित्र के साथ नृत्य प्रस्तुत करना था। हमारा नृत्य तीसरा था। हम कार्यक्रम शुरू होने पहले वस्त्र और आभूषण के साथ सुसज्ज हो गए थे। पर जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ मेरे दिल कई धड़कने बढ़नी लगी। मैंने पहली बार ऐसे कार्यक्रम में नाम लिखवाया था। और देखते-देखते हमारा नाम पुकारा गया। जैसे ही हम मंच पर गए सबने तालियों से हमें प्रोत्साहन दिया। मुझ में धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता गया और में नृत्य में लीन हो गया। सब को हमारा नृत्य बहुत अच्छा लगा। यह दिन मुझे हमेशा याद रहेंगा।
Mahadevi Varma Exercise भाषा-अध्ययन
Solution 10
• विद्वान - विदुषी (विपरीतलिंग)
• अनंत - अंत
• निरपराधी - अपराधी
• दंड - पुरस्कार
• शांति - बेचैनी
Solution 11
शब्द |
उपसर्ग |
मूलशब्द |
प्रत्यय |
निराहारी |
निर् |
आहार |
ई |
साम्प्रदायिकता |
× सम,प्र |
सम्प्रदाय दाय |
इक,ता इक,ता |
अप्रसन्नता |
अ |
प्रसन्न |
ता |
अपनापन |
× |
अपना |
पन |
किनारीदार |
× |
किनारी |
दार |
स्वतंत्रता |
स्व |
तंत्र |
ता |
Solution 12
उपसर्ग
उपसर्ग |
शब्द |
शब्द |
अन् |
अनाधिकार |
अनंत |
अ |
अभाव |
अकाल |
सत् |
सत्कर्म |
सत्पथ |
स्व |
स्वाधीन |
स्वराज्य |
दुर् |
दुराचार |
दुर्लभ |
प्रत्यय -
प्रत्यय |
शब्द |
शब्द |
दार |
ईमानदार |
हिस्सेदार |
हार |
पालनहार |
तारनहार |
वाला |
फलवाला |
टोपीवाला |
अनीय |
लेखनीय |
दर्शनीय |
Solution 13
सामासिक पद |
विग्रह |
परमधाम |
परम है जो धाम |
दुर्गापूजा |
दुर्गा की पूजा |
कुलदेवी |
कुल की देवी |
पंचतंत्र |
पाँच तंत्रों का समूह |
रोना-धोना |
रोना और धोना |
उर्दू-फ़ारसी |
उर्दू और फ़ारसी |
चाची-ताई |
चाची और ताई |
छात्रावास |
छात्रों के लिए आवास |
कवि-सम्मेलन |
कवियों का सम्मेलन |
जेब-खर्च |
जेब के लिए खर्च |