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Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 3 - Jabir Huisen

Jabir Huisen Exercise रचना-अभिव्यक्ति

Solution 8

पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं -

1. हमें पेड़ों की कटाई को रोकना होगा

2. वायु को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे लगाने चाहिए

3. प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम-से-कम प्रयोग करेंगे

4. जल प्रदूषित नहीं होने देना चाहिए

5. फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी तथा कचरों का उचित तरीके से निपटारा करेंगे  

6. सामाजिक उत्सवों में होने वाली तेज़ आवाज़ को रोककर हम ध्वनि प्रदूषण रोक सकते है

Jabir Huisen Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

एक बार बचपन में सालिम अली मामा की दी हुई एयरगन से खेल रहा था। उससे एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। सलिम ने मामा से जानकारी माँगनी चाही तो मामा ने उस नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बी.एन.एच.एस) जाने के लिए कहा। वहाँ से उन्हें गौरैया की पूरी जानकारी मिली। वे गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए उसके बाद उनकी रूचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गयी वे पक्षी-प्रेमी बन गए पक्षी विज्ञान को ही अपना करीअर बना लिया।

Solution 2

सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के सामने केरल की साइलेंट-वैली संबन्धी खतरों की बात उठाई होगी उस समय केरल पर रेगिस्तानी हवा के झोंको का खतरा मंडरा रहा था। वहाँ का पर्यावरण दूषित हो रहा था। प्रधानमन्त्री को वातावरण की सुरक्षा का ध्यान था। पर्यावरण के दूषित होने के खतरे के बारे में सोचकर उनकी आँखे नम हो गई।

Solution 3

लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा जानती थी की लॉरेंस को गोरैया से बहुत प्रेम था वे अपना काफी समय गोरैया के साथ बिताते थे गोरैया भी उनके साथ अन्तरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी उनके इसी पक्षी-प्रेम को उदघाटित करने के लिए उन्होंने यह वाक्य कहा

Solution 4 - क

अंग्रेजी के कवि लारेंस प्रकृति के प्रेमी थे। प्रकृति के प्रति उनके मन में जिज्ञासा थीं उन्हीं की भाँति सलीम अली भी स्वयं को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुके थे। सलिम अली का व्यक्तित्व भी प्रकृति की तरह सहज-सरल ओर निश्छल हो चुका था

Solution 4 - ख

लेखक कहना चाहता है की सलीम अली की मृत्यु के बाद वैसा प्रकृति-प्रेमी और कोई नहीं हो सकता। सलीम अली रूपी पक्षी मौत की गोद में सो चुका है। अतः अब अगर कोई अपने दिल की धड़कन उसके दिल में भर भी दे और अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डाल भी दे, तो भी वह पक्षी फिर-से वैसा नहीं हो सकता कयोंकि उसके सपने अपने ही शरीर और अपनी ही धड़कन से उपजे थे। आशय यह है कि मृत व्यक्ति को कोई जीवित नहीं कर सकता। सलीम अली जैसा पक्षी-प्रेमी प्रयास-पूर्वक उत्पन्न नहीं किया जा सकता। वे मौलिक थे।

Solution 4 - ग

सलीम अली प्रकृति के खुले संसार में खोज करने के लिए निकले। उन्होंने स्वयं को किसी सीमा में कैद नहीं किया। टापू बंधन तथा सीमा का प्रतीक है ओर सागर की कोई सीमा नहीं होती है। उसी प्रकार सलिम अली भी बंधन मुक्त होकर अपनी खोज करते थे। उनकी खोज की कोई सीमा नही थी। उनका कार्यक्षेत्र बहुत विशाल था

Solution 5

"साँवले सपनों की याद" नामक पाठ की भाषा-शैली संबन्धी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

1. लेखक ने इस पाठ में मिश्रित शब्दावली का प्रयोग किया है।इस पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है।

2. इनकी शैली चित्रात्मक है। पाठ पढ़ते हुए इसकी घटनाओं का चित्र उभर कर हमारे सामने आता है।

3. कलात्मकता उनके हर वाक्य में है। वे सरल-सीधे वाक्यों का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि जटिल वाक्यों का प्रयोग करते है।

4. अपने मनोभावों को प्रस्तुत करने लेखक ने अभिव्यक्ति शैली का प्रयोग किया है।

5. जाबिर हुसैन अलंकारों की भाषा में लिखते हैं। उपमा, रूपक, उनके प्रिय अलंकार हैं।

 

Solution 6

सालिम अनन्य प्रकृति-प्रेमी थे। प्रकृति तथा पक्षियों के प्रति उनके मन में कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासा थी। लेखक के शब्दों में, "उन जैसा 'बर्ड-वाचर' शायद कोई हुआ है"

उनका स्वभाव भ्रमणशील था लम्बी यात्राओं ने उनके शरीर को कमज़ोर कर दिया था। व्यवहार में वे सरल-सीधे और भोले इंसान थे। वे बाहरी चकाचौंध और विशिष्टता से दूर थे

Solution 7

"साँवले सपनों की याद" एक रहस्यात्मक शीर्षक है। यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र स्लिम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। सलीम अली के मृत्यु से उत्पन्न दुःख और अवसाद को लेखक ने "साँवले सपनों की याद" के रूप में व्यक्त किया है। "साँवले सपने" मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं। सलीम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोए रहे। वे उनकी सुरक्षा और खोज के सपनों में खोए रहे। इसलिए आज जब सलीम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सलीम अली की आँखों में बसते थे

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