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Class 11-science NCERT Solutions Hindi Chapter 2 - Rajsthan Ki Rajat Bhunde

Rajsthan Ki Rajat Bhunde Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 3

चेजारों कुंई निर्माण के दक्ष चिनाई करने वाले कारीगर को कहा जाता है। राजस्थान में पहले चेजारों को विशेष दर्जा प्राप्त था चेजारों को विदाई के समय तरह-तरह की भेंट दी जाती थी। कुंई के बाद भी इनका रिश्ता गाँव से बना रहता था उन्हें तीज, त्योहारों तथा शादी-विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी भेंट दी जाती थी। फसल आने पर खलिहान में उनके नाम से अनाज का एक ढेर अलग से रखा जाता था। समयानुसार अब स्थिति में परिवर्तन आ चुका है आज उन्हें पहले जैसा सम्मान नहीं दिया जाता सिर्फ़ मजदूरी देकर काम करवाया जाता है।

Solution 4

लेखक के अनुसार राजस्थान के लोग जानते हैं कि भूमि के अन्दर मौजूद नमी को ही कुंई के द्वारा पानी के रूप में प्राप्त किया जाता है। जितनी ज्यादा कुंई का निर्माण होगा उतना पानी की नमी का बँटवारा भी होगा। इससे कुंई की पानी एकत्र करने की क्षमता पर असर पड़ेगा। इसी कारण ग्राम समाज में निजी होते हुए भी कुंईयाँ सार्वजानिक हो जाती है इसलिए इसके निर्माण में ग्राम समाज का अंकुश बना रहता है।

Solution 5

राजस्थान में पानी के तीन रूप माने जाते हैं - 

  1. पालर पानी - पालर पानी का अर्थ है - बरसात का सीधे रूप में मिलने वाला जल।वर्षा का यह जल जो बहकर नदी तालाब आदि में एकत्रित हो जाता है। 
  2. पाताल पानी - वर्षा जल जमीन में नीचे धँसकर 'भूजल' बन जाता है। वह कुओं/ट्यूबबेल आदि द्वारा हमें प्राप्त होता है।
  3. रेजाणी पानी - वह वर्षा जल जो रेत के नीचे जाता तो है, परन्तु खडि़या मिट्टी के परत के कारण भूजल से नहीं मिल पाता व नमी के रूप में रेत में समा जाता है, जो कुंई द्वारा प्राप्त किया जाता है। 

Solution 1

राजस्थान में रेत अथाह होने के कारण वर्षा का पानी रेत में समा जाता है फलस्वरूप नीचे की सतह पर नमी फ़ैल जाती है। यही नमी खड़िया मिट्टी की परत तक रहती है। इस नमी को पानी के रूप में बदलने के लिए चार-पाँच हाथ के व्यास की जगह को तीस से साथ हाथ की गहराई तक खोदा जाता है। खुदाई के साथ चिनाई भी की जाती है। इस चिनाई के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस-रिस कर पानी एकत्र हो जाता है। इसी तंग गहरी जगह को कुंई कहा जाता है। 

कुंई केवल व्यास में कुएँ के व्यास में छोटी होती है। गहराई में ये कुएँ जितनी ही होती है।

Solution 2

दिनोंदिन पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है। मानव की प्रकृति के अत्यधिक दोहन के कारण पानी की समस्या भयंकर होती जा रही है। नदियों का जल-स्तर घटता जा रहा है। सभी जगहों में लोग पानी की कमी से जूझ रहें हैं। ऐसे वातावरण में राजस्थान की रजत बूंदें पाठ से हमें जल प्राप्ति के अन्य उपायों और पानी के समुचित प्रयोग पर विचार करने में मदद करता है। 

देश के अन्य भागों में पानी की समस्या से निपटने के लिए कई सरकारी और गैर सरकारी अभियान चलाए जा रहें हैं। लोगों को प्रिंट मिडिया, विज्ञापन, कार्यक्रमों, सिने जगत की हस्तियों द्वारा पानी के विषय में अवगत कराया जा रहा है। वर्षा के पानी के बचाव के कई उपाय गाँवों और शहरों में किए जा रहें हैं। गाँवों में तालाबों का पुननिर्माण किया जा रहा है। छोटे कुएँ, बावडियों और जलाशयों का निर्माण कर पानी के भूमिगत जल-स्तर को बढ़ाया जा रहा है।

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