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Class 11-science NCERT Solutions Hindi Chapter 3 - Aalo Aandhari

Aalo Aandhari Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है।
1. मुझे बच्चों के साथ उस घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती। बच्चों को साथ ले मैं उसी समय काम खोजने निकल पड़ती।
2. किसी-किसी दिन घर पहुँचने में देर हो जाती तो मकान-मालिक की स्त्री पूछने चली आती कि इतनी देर क्यों हुई।
3. उसके यहाँ से लौटने में कभी देर हो जाती तो सभी मुझे ऐसे देखते जैसे मैं कोई अपराध कर आ रही हूँ! बाज़ार-हाट करने भी जाना होता तो व बूढ़ी,मकान-मालिक की स्त्री, कहती, कहाँ जाती है रोज-रोज? तेरा स्वामी है नहीं, तू तो अकेली ही है! तुझे इतना घूमने-घामने की क्या दरकार? मैं सोचती, मेरा स्वामी मेरे साथ नहीं है तो क्या मै कहीं घूम-फिर भी नहीं सकती!
4. मैं काम पर आती-जाती तो आस-पास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, यह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते।
5. मैं जब बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग जबरदस्ती न जाने कितनी तरह की बातें करते,
कितनी सीटियाँ मारते, कितने ताने मारते!
6. मैंने सोचा यह क्या इतना सहज है! घर में कोई मर्द नहीं है तो क्या इसी से मुझे हर किसी की कोई भी बात माननी होगी!


वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन आया है।आज स्त्रियाँ जीवन के हर क्षेत्र में पदार्पण कर चुकी हैं।उनकी स्थिति आज पहले की अपेक्षा काफ़ी मजबूत है।वर्तमान समय में कई लड़कियाँ और स्त्रियाँ शिक्षा-अध्ययन और नौकरी के कारण अकेले अपना जीवन यापन कर रहीं हैं।ऐसा नहीं कि अकेली स्त्री के बारे में लोग बातें नहीं बनाते परंतु लोग अब पहली जैसी उदंडता नहीं करते।अब आम लोगों के व्यवहार स्त्रियों के प्रति बदलाव आया है। वे अब स्त्रियों के अकेले रहने को बुरा नहीं समझते हैं।

Solution 2

परिवार से तातुश के घर के सफ़र में बेबी को रिश्तों के कई कड़वे और मीठे अनुभव हुए। उसे रिश्तों की सच्चाई का अनुभव हुआ। अपने पति का घर छोड़ने के बाद वह अकेली और असहाय थी परंतु उसके परिवार वालों ने उसकी कोई सहायता नहीं की, यहाँ तक कि उसे माँ की मृत्यु का समाचार भी छह महीने बाद दिया गया। बेबी को बाहरी लोगों सुनील ने काम दिलवाने में, घर से बेघर होने में भोला दा ने और तातुश ने तो उसे बेटी का दर्जा दिया उसे प्रोत्साहित कर लेखिका बनाने में सहायता की। तातुश के सभी आत्मीय जनों ने बेबी का हर समय उत्साह बढ़ाने में उसकी हरसंभव सहायता की। इस प्रकार बेबी को यह ज्ञान हुआ कि रिश्ते की डोर रक्त संबंध से अधिक स्नेह और अपनेपन से बँधी होती है।

Solution 3

घरेलू नौकरों को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है - 

  1. घरेलू नौकर कभी भी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो पाते हैं। 
  2. इनके शारीरिक श्रम के मूल्य को कम आँका जाता है। 
  3. इनकी नौकरी की कोई गारंटी नहीं होती है। 
  4. आर्थिक रूप से सक्षम न होने के कारण इनका जीवनयापन निम्न स्तर का होता है। इस कारण ये अच्छे घर, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य,सामाजिक आदि स्तर पर हमेशा निम्न ही रह जाते हैं। 
  5. घरेलू नौकर शारीरिक शोषण का भी शिकार होते हैं।

Solution 4

इस पाठ के आधार पर दो मुख्य समस्याएँ निम्न है - 

  1. परित्यक्ता स्त्री की स्थिति - यह एक मुख्य सामाजिक समस्या है। बेबी को उसके पति के साथ में न रहने के कारण समाज से बड़े कटु अनुभवों से गुजरना पड़ता है। उसे तरह-तरह के प्रश्न और तानों का सामना करना पड़ता है। विडंबना तो यह है कि इसमें स्त्रियाँ भी पीछे नहीं रहती है, वे भी हरसंभव ऐसी महिला को तंग करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है। समाज का हर व्यक्ति ऐसी स्त्रियों पर अपना हक़ समझकर उनका शोषण करने के लिए तत्पर रहता है। 
  2. गंदी बस्तियाँ - यह भी एक सामजिक समस्या है।यह हमारे समाज का कर्तव्य बनता है कि हर नागरिक को मूलभूत सुविधाएँ प्राप्त हो। इन बस्तियों में रहने वालों को शौचालय जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती और इस कारण इनका और स्वास्थ्य हमेशा खतरे में बना रहता है।

Solution 5

तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो - जेठू का यह कथन रचना संसार के विषम परिस्थितियों पर विजय पाना और प्रोत्साहन रचनात्मक को उभार सकता है के सत्य को उद्घाटित करता है। 

इस कथन का आशय यह है कि मनुष्य चाहे तो जीवन की कठिन परिस्थितियाँ भी उसके आड़े नहीं आ सकती है। आशापूर्णा देवी भी आम गृहणी थी। सारा दिन कामकाज में व्यस्त रहने के बावजूद भी लेखन के लिए समय निकाल ही लेती थी। जिस किसी में भी लेखन के प्रति रूचि है उसे यदि उचित समय पर प्रोत्साहित किया जाय तो वह अच्छा लेखन कर सकता है।

Solution 6

बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो बेबी को भी अन्य घरेलू नौकरों की तरह ही नारकीय जीवन जीना पड़ता। शारीरिक शोषण और मानसिक शोषण का शिकार होना पड़ता। उसके बच्चे भी अच्छा भोजन और शिक्षा से वंचित ही रहते। उन्हें भी कहीं बाल-मजदूर बनना पड़ता। 

तातुश के परिवार में आने के बाद ही बेबी और उसके बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य मिल पाया और वह एक सम्मानित लेखिका बन पाई।

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