NCERT Solutions for Class 11-science Hindi Chapter 10 - Saiyad Rja Haidar
Chapter 10 - Saiyad Rja Haidar प्रश्न-अभ्यास
रज़ा को बंबई शहर, यहाँ का वातावरण, गैलेरियाँ, यहाँ के लोग और मित्र बड़े पसंद आए और उन्होंने यहीं रहने का अपना मन बना लिया था इसलिए रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश नहीं स्वीकार की।
रज़ा जब बंबई आए तो सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लाक स्टूडियो में डिजायनर की नौकरी तो मिल गई पर रहने का कोई उचित स्थान न मिला वे अपने किसी परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात बिताते। उनकी दिनचर्या बड़ी कड़ी थी सुबह दस से शाम छह बजे तक नौकरी और उसके बाद मोहन आर्ट क्लब में जाकर पढ़ना। कुछ दिनों बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट का कमरा मिला परंतु सोना उन्हें तब भी फ़र्श पर ही होता था। वे रात ग्यारह-बारह बजे तक गलियों के चित्र या तरह-तरह के स्केच बनाते रहते थे। इस तरह बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने संघर्ष किए।
रज़ा ने इन्हें कठिन बरस इसलिए कहा है क्योंकि इसी दौरान उनकी माँ की मृत्यु हुई थी। उनके पिताजी को मंडला लौट जाना पड़ा था और उसके अगले ही साल उनका भी देहांत हो गया। 1947 में भले हमें स्वतंत्रता मिल गई थी परंतु सभी को विभाजन की त्रासदी भी झेलनी पड़ी गाँधीजी की हत्या ने समूचे देश को ही हिला दिया था। रज़ा पर भी इन सभी बातों का गहरा असर पड़ा था। अत:इन्हीं सब घटनाओं के कारण रज़ा ने इन वर्षों को कठिन बरस कहा है।
रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार सेजाँ, वॉन, गोगॉ, पिकासो, मातीस, शागील, ब्रॉक थे।
क. उपर्युक्त कथन फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए ब्रेसॉ ने लेखक के चित्रों के संदर्भ में अपनी टिप्पणी देते हुए कहें हैं।
ख. फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए ब्रेसॉ की टिप्पणी का रज़ा पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।बंबई लौटते ही रज़ा ने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ़्रांस में दाखिला लिया और अपना ध्यान पेंटिंग की बारीकियों पर केंद्रित करने लगे।
रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते क्योंकि रज़ा में चित्रकार बनने की अदम्य आकांक्षा थी। हाँ यह बात और है कि जलील साहब के कारण रज़ा को आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति अवश्य मिली परंतु संघर्ष, लगन और धुन तो रज़ा की ही थी जिसके कारण देर या सवेर उन्हें तो प्रसिद्ध होना ही था।
यह बात शत-प्रतिशत सही है कि चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है। जो इस कला को अपनाना चाहता है उसे कला के व्यावसायिकता से बचना होगा क्योंकि आज के परिवेश में चित्रकला विशुद्ध व्यावसायिक हो चली है। कलाकार भी इसी व्यावसायिकता का शिकार हो चले हैं। उनका लक्ष्य इस व्यवसाय से अधिक-अधिक लाभ कमाना रह गया है। इसलिए आज कला में वह बात नहीं रह गई है। आज भी कलाकार कालजयी बन सकता है यदि वो अपनी कला को अपनी अंतरात्मा से जोड़ दे।
सामाजिक समस्या या बदलाव की जब कभी भी बातें होती है तो हमें लगता है कि हम पहाड़ हिला सकते हैं।
Chapter 10 - Saiyad Rja Haidar भाषा की बात
क. मेरे प्लेटफॉर्म पहुँचने से पहले गाड़ी जा चुकी थी।
ख. डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले सेठ की मृत्यु हो चुकी थी।
ग. रोहित के दरवाज़ा बंद करने से पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।
घ. रूचि के कैनवास हटाने से पहले बारिश शुरू हो चुकी थी।
हाल - दशा वाक्य - आज आपका हाल कैसा? |
हॉल - बड़ा कमरा वाक्य - विद्यालय के हॉल में चित्र प्रदर्शनी लगी है। |
काफ़ी - पर्याप्त वाक्य - घर में चावल सालभर के लिए काफ़ी है। |
कॉफ़ी - एक पेय वाक्य - मेरी माँ बड़ी अच्छी कॉफ़ी बनाती है। |
बाल - केश वाक्य - तुम्हारे बाल कितने सुंदर और लंबें हैं। |
बॉल - गेंद वाक्य - पिताजी मेरे लिए नई बॉल लाए हैं। |
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