NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 6 - Nida Fajli
Chapter Chapter 6 - Nida Fajli Exercise प्रश्न-अभ्यास (मौखिक)
लगातार बढ़ती आबादी की आवास की समस्या से निपटने के लिए बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे थे।
लेखक का घर पहले ग्वालियर में था और बाद में वे बम्बई में वर्सोवा नामक स्थान में रहने लगे।
लेखक के अनुसार अब जीवन छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।
कबूतरों दोनों ही अंडे बिल्ली द्वारा तथा लेखक की माँ के बचाने के उपक्रम में टूट गए थे इसलिए कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
Chapter Chapter 6 - Nida Fajli Exercise प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
अरब में लशकर को नूह नाम से याद करने का कारण यह है कि एक बार उन्होंने एक जख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था और इसी कारण वे उम्र-भर रोते रहे थे।
लेखक की माँ शाम के समय पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थी क्योंकि उनका मानना था कि ऐसा करने से पेड़ रोते हैं और हमें बददुआ देते हैं।
गर्मी में ज्यादा गर्मी, बेवक्त की बरसातें, जलजले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोग ये सारे प्रकृति में आए असंतुलन का परिणाम हैं।
लेखक के घर में कबूतरों ने दो अंडें दे रखे थे। एक अंडा तो बिल्ली द्वारा तोड़ दिया गया था और दूसरा अंडा लेखक की माँ के बचाने के कारण टूट गया था जिसके कारण वे दुखी हो गई और उसी का प्रायश्चित करने के लिए लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक अनेक बदलावों को महसूस किया जैसे पहले बड़े-बड़े घर, आँगन और दालान होते थे। अब डिब्बे जैसे घरों में लोगों को गुजारा करना पड़ता है। चारों ओर इमारतें और इमारतें ही पाई जाती है । खुले स्थानों, पशु-पक्षियों के रहने के स्थानों का अभाव दिखाई देता है। पहले पशु-पक्षियों को घरों में स्थान मिलता था आज उनके घर आने के रास्तों को ही बंद कर दिया जाता है।
'डेरा डालने' का आशय है - अस्थाई रूप से बसना। आजकल पक्षियों को अपने घोसलें बनाने के लिए उपयुक्त जगह नहीं मिल पाती हैं इसलिए वे लोग इमारतों में ही अपना डेरा जमा लेते हैं।
शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर उस च्योंटे को कुएँ पर छोड़ने के लिए उठ खड़े हुए क्योंकि उनके अनुसार उन्होंने उस च्योंटे को घर से बेघर कर दिया था अत: बिना समय गवाँए वे उस च्योंटे को उसके घर अर्थात् कुएँ पर छोड़ आते हैं।
पर्यावरण असंतुलित होने का सबसे बड़ा कारण आबादी का बढ़ना है। बढ़ती आवास की समस्या से निपटने के लिए मानव ने समुद्र की लहरों तक को सीमित कर दिया है। समुद्र के रेतीले तटों को भी मानवों ने नहीं छोड़ा है वहाँ पर भी इंसानों ने बस्ती बसा दी है। आसपास के जंगल काट-काटकर नष्ट कर डाले हैं। पेड़ो को रास्तों से हटा दिया। परिणामस्वरूप पशु-पक्षी के लिए आवास ही नहीं बचे हैं। प्राकृतिक आपदाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। कहीं भूकंप, कहीं बाढ़, कहीं तूफान, कभी गर्मी, कभी तेज़ वर्षा इन के कारण कई बिमारियाँ हो रही हैं। इस तरह पर्यावरण के असंतुलन का जन जीवन तथा पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
लेखक के घर कबूतरों ने घोंसला बना रखा था। कबूतर अपने बच्चों की रखवाली के लिए बार-बार लेखक के घर में चले आते थे जिससे लेखक का घर और पुस्तकालय गंदा होते थे इसलिए कबूतरों से अपने घर के बचाव के लिए लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।
समुद्र का लगातार सिमटना समुद्र के गुस्से की वजह थी। कई वर्षों से बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन पर कब्ज़ा कर रहे थे और बेचारा समुद्र लगातार अपना स्वरुप छोटा बनाते हुए सिमटता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी टाँगों को समेटा, फिर उकडूँ बैठ गया फिर वह खड़ा हो गया। यह प्रकिया निरंतर चलती ही रही तो समुद्र को गुस्सा आ गया। जब उसे गुस्सा आया तो उसने गुस्से में अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाज़ों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक वर्ली के समुद्र किनारे, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड़ के सामने और तीसरा गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर गिरा।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि सभी प्राणियों का निर्माण मिट्ठी से हुआ है। और अंत में इसी मिट्टी में हमें मिल जाना है अर्थात् सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नहीं हैं। हमें मिलजुलकर आपसी सौहार्द से रहना चाहिए। पशु-पक्षियों को भी वही ईश्वर बनाता है जो इंसानों को बनाता है। जब सभी मनुष्यों में एक ही तत्त्व समाया हुआ है तो उनको अलग-अलग कर बताना उचित नहीं है। इसे पहचानने की कोशिश भी व्यर्थ है।
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय यह है कि हर एक की अपनी सहनशक्ति की सीमा होती है फिर चाहे वह प्रकृति हो या इंसान। उससे छेड़छाड़ का खामियाजा सबको भुगतना पड़ता है। इसका उदाहरण हमें कुछ वर्षों पहले समुद्र द्वारा फेकें गए तीन जहाजों के जरिए मिलता है।
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय यह है कि महान होने के कारण बड़े लोगों में अपनी इन्द्रियों को काबू करने की क्षमता होती है। वे क्षमाशील होते हैं वैसे भी महानता क्रोध करने और दंड देने में न होकर क्षमा करने में होती है।
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय यह है कि बढ़ते शहरीकरण ने पक्षियों से उनके घर छीन लिए हैं इसलिए कुछ पक्षियों ने अपने ठिकाने बदल दिए हैं या शहर की इमारतों में अपने नए ठिकाने बना लिए हैं।
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय यह है कि इंसान हो या पशु-पक्षी सभी समान होते हैं। हमें कोई हक़ नहीं बनता कि हम किसी को भी उसके घर से बेघर करें। इसी गलती का अहसास जब शेख अयाज को होता है तो वे तुरंत अपनी गलती को सुधार लेते हैं।
Chapter Chapter 6 - Nida Fajli Exercise भाषा-अध्ययन
माँ ने भोजन परोसा?
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कर्ता कारक
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मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।
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संप्रदानकरक
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मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।
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सम्बन्धकारक
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कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
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अधिकरण कारक
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दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।
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अधिकरण कारक
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एकवचन |
बहुवचन |
चींटी |
चींटियाँ |
घोड़ा |
घोड़े |
आवाज |
आवाज़ें |
बिल |
बिलों |
फौज |
फौजें |
रोटी |
रोटियाँ |
बिंदु |
बिन्दुओं |
दीवार |
दीवारें |
टुकड़ा |
टुकड़े |
(क)आजकल ज़माना बहुत खराब है।(जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को सजा दो। (सजा/सज़ा)
(ग) जरा चीनी तो देना। (जरा/ज़रा)
(घ) माँ दही जमाना भूल गई। (जमाना/ज़माना)
(ङ) दोषी को सज़ा दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर तेज था। (तेज/तेज़)
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