EVERGREEN PUBLICATION Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 - Jaamun Ka Ped
Chapter 8 - Jaamun Ka Ped प्रश्न-अभ्यास
जामुन का पेड़ सेक्रेटेरियट के लॉन में लगा हुआ था। एक रात बड़े जोर की आँधी आती है जिसके कारण जामुन का पेड़ गिर पड़ता है।
उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक क्लर्क है, जो इस समय जामुन के पेड़ के गिर पड़ने से दुखी है क्योंकि ये जामुन का पेड़ अत्यंत फलदार और रसीला था।
उपर्युक्त संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के गिरने के संदर्भ में आए हैं। सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर जब माली ने उसे देखा तो क्लर्क को बताया और इस तरह से वहाँ पर एक भीड़ इकट्ठी हो गई और उस समय जामुन के पेड़ को देखकर उपर्युक्त संवाद कहा गया है।
उपर्युक्त संवाद से हमें लोगों की संवेदनशून्य होती मानसिकता का पता चलता है। जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस पेड़ के लगे जामुनों को याद कर शोक प्रकट करते हैं जिससे पता चलता है कि किस प्रकार लोग स्वार्थी और संवेदनशून्य होते जा रहे हैं।
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। वह पेड़ कृषि विभाग के अंतर्गत था परंतु कृषि विभाग ने उसके फलदार पेड़ होने के कारण जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग को भेज दिया।
हार्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटेरी का कहना था कि उनका विभाग आज जहाँ पेड़ लगाओ की स्कीम ऊँचें स्तर पर चला रही है वहाँ पर जामुन के इस फलदार पेड़ को काटने की अनुमति उसके विभाग द्वारा कभी भी नहीं दी जा सकती।
उपर्युक्त कथन से हमें लोगों की संवेदनशून्य होती मानसिकता का पता चलता है। जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस व्यक्ति का मजाक उड़ाते हैं। वे ये भी नहीं सोचते कि इस तरह के मजाक से व्यक्ति को कितनी तकलीफ हो रही होगी कि जब आप किसी जिंदा व्यक्ति को काटने की बात कर रहे हो।
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। और उस पेड़ को हार्टीकल्चर विभाग ने काटने से मना कर दिया तब उपर्युक्त संवाद वहाँ पर खड़े एक मनचले और असंवेदनशील आदमी द्वारा कहा गया है।
जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी, कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उन्हें पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए करण यह था, कि इस पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए बिगड़ सकते थे। इसी बात के संदर्भ में एक क्लर्क ने चिल्लाते हुए इस कथन को कहा।
पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियट के लॉन में लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए बिगड़ सकते थे। इस कारण विदेश विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म दिया।
विदेश विभाग अंत में फाइल लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुँचते हैं। प्रधानमंत्री सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर पर लेते हुए उस पेड़ को काटने की अनुमति दे देते हैं। अत: इस प्रकार फाइलें कई विभागों से गुजरते हुए अंत में जाकर प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत होती है।
नहीं, अंत में उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकाल लिया जाता है क्योंकि सरकारी विभाग के अधिकारी जामुन के पेड़ को हटाने तथा उस व्यक्ति को बचाने की बजाए फाइलें बनाने तथा उन फाइलों को अलग-अलग विभागों में पहुँचाने में लगे हुए थे और अंत में जब तक फैसला आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के नीचे एक व्यक्ति कई दिन से दबा पड़ा रहता है और उसे वहाँ से निकालने के लिए विभिन्न विभागों से संपर्क किया जाता है और अंत में बात प्रधानमंत्री तक पहुँचती है और उस पेड़ को काटने का निर्णय किया जाता है यहाँ पर इसी फाइल के पूर्ण हो जाने से संबंधित बात की जा रही है।
यहाँ पर सरकारी विभाग की अकर्मण्यता की और ध्यान खींचा गया है कि किस तरह हर एक विभाग अपनी जिम्म्मेदारी से मुकर रहा था। हर एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे विभाग के मत्थे मढ़ने पर लगा हुआ था। इसी कारणवश दबे हुए व्यक्ति को इतने दिन पेड़ के नीचे से नहीं निकाला गया।
उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक माली है इसी ने सबसे पहले कवि के पेड़ के नीचे दबे होने की बात बताई थी। पूरी कहानी में चपरासी ही अकेला ऐसा व्यक्ति था जिसे कवि के प्रति सहानुभूति और चिंता थी।
प्रस्तुत कथन का आशय सरकारी विभागों की अकर्मण्यता से है। यहाँ पर लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि लोग कितने असंवेदनशील हो गए है किसी को भी पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति के बारे में चिंता नहीं थी। सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे थे और पेड़ को न हटवाने का दोष एक दूसरे पर मढ़ रहे थे और सरकारी विभागों की इस देरी की वजह से उस आदमी की मौत हो जाती है।
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