EVERGREEN PUBLICATION Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 - Kaaki
Chapter 2 - Kaaki Exercise प्रश्न-अभ्यास
बड़े सबेरे श्यामू की नींद घर में मचे कोहराम के कारण खुली।
उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसके घर में कुहराम मचा हुआ है उसकी माँ ऊपर से नीचे तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कंबल पर भूमि शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे, घेरकर बैठे बड़े करुण ढंग से विलाप कर रहे हैं।
उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसके घर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी माँ ऊपर से नीचे तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कंबल पर भूमि शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे, घेरकर बैठे बड़े करुण ढंग से विलाप कर रहे हैं। उसके बाद जब उसकी माँ की श्मशान ले जाने के लिए ले जाने लगे तो श्यामू ने अपनी माँ को रोकने के लिए बड़ा उपद्रव मचाया।
श्यामू अबोध बालक होने के कारण बड़े बुद्धिमान गुरुजनों ने उससे उसकी माँ की मृत्यु की बात यह कहकर छिपाई कि उसकी माँ मामा के यहाँ गई है परंतु जैसा कि कहा जाता है असत्य के आवरण में सत्य बहुत समय तक छिपा नहीं रह सकता ठीक उसी प्रकार श्यामू जब अपने हमउम्र दोस्तों के साथ खेलने जाता तो उनके मुख से यह बात उजागर हो गई कि उसकी माँ राम के यहाँ गई है और इस तरह श्यामू को पता चल ही गया कि उसकी माँ की मृत्यु हो गई है।
उपर्युक्त कथन इस कहानी के मुख्य पात्र श्यामू से संबंधित है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है। वह इतना अबोध बालक है कि सत्य और असत्य के ज्ञान से अपरिचित होने के कारण अपनी माँ की मृत्यु की बात भी नहीं समझ पाता। उसे लगता है उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग की डोर के सहारे नीचे ला सकता है।
प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ यह है कि श्यामू अपनी माँ की मृत्यु के बाद बहुत रोता था और उसे चुप कराने के लिए घर के बुद्धिमान गुरुजनों ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसकी माँ उसके मामा के यहाँ गई है। लेकिन आस-पास के मित्रों से उसे इस सत्य का पता चलता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है। इस प्रकार बहुत दिन तक रोते रहने के बाद उसका रुदन तो शांत हो जाता है लेकिन माँ के वियोग की पीड़ा उसके हृदय में शोक बनकर बस जाता है।
अबोध बालकों का सारा संसार अपनी माँ के आस-पास ही घूमता रहता है। उनके लिए माँ से बढ़कर कुछ भी नहीं होता। बालक की माँ बिना बोले ही उसकी सारी बातें समझ लेती है। साथ ही बालकों का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक और संवेदनशील होता है और वे मातृ-वियोग की पीड़ा को सहन नहीं कर पाते हैं। और वैसे भी माँ का स्थान इस संसार में कोई नहीं ले सकता इसलिए अपनी माँ को खोना एक बालक के लिए सबसे बड़ा वियोग होता है।
अबोध बालक होने के कारण श्यामू अपनी माँ की मृत्यु की वास्तविकता से अपरिचित था। बड़ों के समझाने पर उसे लगता था कि उसकी माँ उसके मामा के पास गईं हैं लेकिन हमउम्र के बच्चों से उसे पता चलता है कि उसकी माँ राम के पास गई है। वह पहले अपनी माँ के लिए बहुत रोता था परंतु धीरे उसका रोना तो कम हो गया परंतु फिर भी उसकी माँ नहीं लौटी अत:श्यामू अकसर अपनी माँ के वियोग दुःख को सहन न कर पाने के कारण शून्य में ताका करता था।
श्यामू अपनी माँ के जाने के बाद हमेशा दुखी रहा करता था। उसके हमउम्र बच्चों के अनुसार उसकी माँ राम के पास गई है इसलिए वह प्राय: शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता था। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी और श्यामू ने सोचा कि पतंग की डोर को ऊपर रामजी के घर भेजकर वह अपनी माँ को वापस बुला लेगा और यही सोचकर उसका ह्रदय खिल उठा।
श्यामू ने एक दिन आसमान में एक पतंग उड़ती देखी तो उसके मन में यह विचार आया कि वह पतंग के सहारे अपनी माँ को रामजी के घर से वापस ले आएगा। इस तरह अपनी माँ को रामजी के घर से पुन:प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भोला से पतंग और रस्सी मँगवाई।
श्यामू की माँ को रामजी के घर से लाने में श्यामू की मदद भोला ने की।
भोला उसका समवयस्क साथी था। वह सुखिया दासी का पुत्र था। भोला चतुर समझदार था परंतु छोटा होने के कारण डरपोक भी था इसलिए विश्वेश्वर के डाँटने पर उसने चोरी संबंधित सारी बात उगल दी। वह भी श्यामू की तरह मासूम और भावुक बालक है।
श्यामू अपनी माँ को रामजी के घर से लाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहले अपने पिता से पतंग दिलवाने की प्रार्थना करता है परंतु जब उसके पिता उसे पतंग नहीं दिलवाते हैं तो वह खूँटी पर रखे पिता के कोट से चवन्नी चुरा लेता है और भोला से कहकर पतंग और डोर की व्यवस्था करता है। इस प्रकार अपनी माँ को वापस लाने के लिए वह चोरी करने से भी नहीं हिचकिचाता।
भोला श्यामू से अधिक समझदार था। उसे श्यामू का उसकी माँ को लाने का सुझाव पसंद तो आया परंतु भोला ने श्यामू को बताया कि पतंग की डोर पतली होने के कारण टूट सकती है। इस कार्य के लिए उन्हें मोटी रस्सी की आवश्यकता होगी। इस प्रकार भोला ने श्यामू की योजना में डोर के पतले होने की कमी बताई।
भोला द्वारा जब उसकी माँ को लाने की योजना में मोटी रस्सी की कमी बताई गई तो उसके सामने अब मोटी रस्सी लाने की कठिनता आ गई क्योंकि रस्सी खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे और घर में भी ऐसा कोई नहीं था जो इस कार्य में उसकी मदद करता और यही सब सोचकर श्यामू को चिंता के मारे रात-भर नींद नहीं आई।
श्यामू लिखना नहीं जानता था इसलिए उसने जवाहर भैया से काकी लिखवाने में मदद माँगी। काकी लिखवाने का श्यामू का यह उद्देश्य था कि यदि चिट पर काकी लिखा होगा तो पतंग सीधे उसकी काकी के पास ही पहुँच जाएगी।
विश्वेश्वर अपनी कोट की जेब से एक रूपए की चोरी का पता लगाने जब भोला और श्यामू के पास पहुँचते हैं तो उन्हें भोला से सच्चाई का पता चलता है कि श्यामू ने ही एक रूपए की चोरी की है। इस पर वे बहुत अधिक क्रोधित हो उठते है और क्रोधवश श्यामू को धमकाने और मारने के बाद पतंग फाड़ देते हैं। लेकिन जब उन्हें भोला द्वारा यह पता चलता है कि श्यामू इस पतंग के द्वारा काकी को राम के यहाँ से नीचे लाना चाहता है, सुनकर विश्वेश्वर हतबुद्धि होकर वहीं खड़े रह जाते हैं।
Kindly Sign up for a personalised experience
- Ask Study Doubts
- Sample Papers
- Past Year Papers
- Textbook Solutions
Sign Up
Verify mobile number
Enter the OTP sent to your number
Change