EVERGREEN PUBLICATION Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 - Giridhar Ki Kunadliya [Poem]
Chapter 2 - Giridhar Ki Kunadliya [Poem] Exercise प्रश्न-अभ्यास
लाठी संकट के समय हमारी सहायता करती है। गहरी नदी और नाले को पार करते समय मददगार साबित होती है। यदि कोई कुत्ता हमारे ऊपर झपटे तो लाठी से हम अपना बचाव कर सकते हैं। अगर हमें दुश्मन धमकाने की कोशिश करे तो लाठी के द्वारा हम अपना बचाव कर सकते हैं। लाठी गहराई मापने के काम आती है।
इस पंक्ति का भाव यह है कि कंबल को बाँधकर उसकी छोटी-सी गठरी बनाकर अपने पास रख सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर रात में उसे बिछाकर सो सकते हैं।
कंबल (कमरी) बहुत ही सस्ते दामों में मिलता है। यह हमारे ओढ़ने तथा बिछाने के काम आता है। कंबल को बाँधकर उसकी छोटी-सी गठरी बनाकर अपने पास रख सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर रात में उसे बिछाकर सो सकते हैं।
शब्द |
अर्थ |
कमरी |
काला कंबल |
बकुचा |
छोटी गठरी |
मोट |
गठरी |
दमरी |
दाम, मूल्य |
प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी व्यक्ति को हजारों लोग स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि कहते है कि जिस प्रकार कौवा और कोयल रूप-रंग में समान होते हैं किन्तु दोनों की वाणी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है। कोयल की वाणी मधुर होने के कारण वह सबको प्रिय है। वहीं दूसरी ओर कौवा अपनी कर्कश वाणी के कारण सभी को अप्रिय है। अत: कवि कहते हैं कि बिना गुणों के समाज में व्यक्ति का कोई नहीं। इसलिए हमें अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
कवि कहते हैं कि संसार में बिना स्वार्थ के कोई किसी का सगा-संबंधी नहीं होता। सब अपने मतलब के लिए ही व्यवहार रखते हैं। अत:इस संसार में मतलब का व्यवहार प्रचलित है।
शब्द |
अर्थ |
काग |
कौवा |
बेगरजी |
नि:स्वार्थ |
विरला |
बहुत कम मिलनेवाला |
सहस |
हजार |
कवि के अनुसार हमें हमें सदैव मोटे और पुराने पेड़ों की छाया में आराम करना चाहिए क्योंकि उसके पत्ते झड़ जाने के बावज़ूद भी वह हमें शीतल छाया प्रदान करते हैं। हमें पतले पेड़ की छाया में कभी नहीं बैठना चाहिए क्योंकि वह आँधी-तूफ़ान के आने पर टूट कर हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं।
उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार नाव में पानी भरने से नाव डूबने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हम दोनों हाथ से नाव का पानी बाहर फेंकने लगते है। ठीक वैसे ही घर में धन बढ़ जाने पर हमें दोनों हाथों से दान करना चाहिए।
कवि हमें किसी स्थान पर सोच समझकर बैठने की सलाह देते है वे कहते है कि हमें ऐसे स्थान पर नहीं बैठना चाहिए जहाँ से किसी के द्वारा उठाए जाने का अंदेशा हो।
शब्द |
अर्थ |
बयारि |
हवा |
घाम |
धूप |
जर |
जड़ |
दाय |
रुपया-पैसा |
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