EVERGREEN PUBLICATION Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 - Chalna Humara Kaam Hai [Poem]
Chapter 9 - Chalna Humara Kaam Hai [Poem] Exercise प्रश्न-अभ्यास
कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है।
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवश्यकता है।
कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया।
गति - चाल
प्रबल - रफ्तार
विराम - आराम
मंज़िल - लक्ष्य
मनुष्य जीवन में आशा और निराशा से घिरा रहता है।
मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है।
कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।
अपूर्ण - जो पूरा न हो
आठों याम - आठ पहर
विशद - बड़े
वाम - विरुद्ध
उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए।
प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है।
रोड़ा - बाधा
निराशा - दुःख
अभिराम - सुंदर
जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं।
Kindly Sign up for a personalised experience
- Ask Study Doubts
- Sample Papers
- Past Year Papers
- Textbook Solutions
Sign Up
Verify mobile number
Enter the OTP sent to your number
Change