EVERGREEN PUBLICATION Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 - Apna Apna Bhagya
Chapter 5 - Apna Apna Bhagya Exercise प्रश्न-अभ्यास
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देश्य घूमने के बाद एक बेंच पर बैठे थे?
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देश्य घूमने के बाद एक बेंच पर बैठे थे। उस समय संध्या धीरे-धीरे उतर रही थी। रुई के रेशे की तरह बादल लेखक के सिर को छूते हुए निकल रहे थे। हल्के प्रकाश और अँधियारी से रंग कर कभी बादल नीले दिखते, तो कभी सफ़ेद और फिर कभी जरा लाल रंग में बदल जाते।
लेखक ने उस शाम एक दस-बारह वर्षीय बच्चे को देखा जो नंगे पैर, नंगे सिर और एक मैली कमीज लटकाए चला आ रहा था। उसकी चाल से कुछ भी समझ पाना लेखक को असंभव सा लग रहा था क्योंकि उसके पैर सीधे नहीं पड़ रहे थे। उस बालक का रंग गोरा था परंतु मैल खाने से काला पड़ गया था, ऑंखें अच्छी, बड़ी पर सूनी थी माथा ऐसा था जैसे अभी से झुरियों आ गईं हो।
नैनीताल की संध्या के समय लेखक और उसके मित्र जब एक बेंच पर बैठे थे तो उनकी मुलाकात एक दस-बारह वर्षीय बालक से होती है। दोनों को आश्चर्य होता है कि इतनी ठंड में यह बालक बाहर क्या कर रहा है। वे उससे तरह-तरह के प्रश्न करते हैं। उससे उन्हें पता चलता है कि वो कोई पास की दुकान पर काम करता था और उसे काम के बदले में एक रूपया और जूठा खाना मिलता था।
उपर्युक्त अवतरण में एक दस-बारह वर्षीय पहाड़ी बालक की बात की जा रही है।
प्रस्तुत कथन के वक्ता लेखक के वकील मित्र हैं और साथ ही होटल के मालिक भी हैं।
लेखक को रास्ते में एक दस-बारह वर्षीय बालक मिला जिसके पास कोई काम और रहने की जगह नहीं थी। लेखक के एक वकील मित्र थे जिन्हें अपने होटल के लिए एक नौकर की आवश्यकता थी इसलिए लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास ले गए।
वकील उस बच्चे को नौकर इसलिए नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वे और लेखक दोनों ही उस बच्चे के बारे में कुछ जानते नहीं थे। साथ ही वकील साहब को यह लगता था कि पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान और अवगुणों से भरे होते हैं। यदि उन्होंने ने किसी ऐरे गैरे को नौकर रख लिया और वह अगले दिन वह चीजों को लेकर चंपत हो गया तो। इस तरह भविष्य में चोरी की आशंका के कारण वकील साहब ने उस बच्चे को नौकरी पर नहीं रखा।
यहाँ पर गरीब उस पहाड़ी बालक को संबोधित किया गया, जो कल रात ठंड के कारण मर गया था। उस बालक के कई भाई-बहन थे। पिता के पास कोई काम न था घर में हमेशा भूख पसरी रहती थी इसलिए वह बालक घर से भाग आया था यहाँ आकर भी दिनभर काम के बाद जूठा खाना और एक रूपया ही नसीब होता था।
लड़का अपनी घर की गरीबी से तंग आकर काम की तलाश में नैनीताल भाग कर आया था। यहाँ पर आकर उसे एक दुकान में काम मिल गया था परंतु किसी कारणवश उसका काम छूट जाता है और उसके पास रहने की कोई जगह नहीं रहती है। उस दिन बहुत अधिक ठंड थी और उसके पास कपड़ों के नाम पर एक फटी कमीज थी इसी कारण उसे रात सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे बितानी पड़ी और अत्यधिक ठंड होने के कारण उस लड़के की मृत्यु हो गई।
प्रस्तुत पंक्ति का आशय सामान्य जनमानस की संवेदन-शून्यता और स्वार्थ भावना से है। एक पहाड़ी बालक गरीबी के कारण ठंड से ठिठुरकर मर जाता है। परंतु प्रकृति ने उसके तन पर बर्फ की हल्की चादर बिछाकर मानो उसके लिए कफ़न का इंतजाम कर दिया। जिसे देखकर ऐसा लगता था मानो प्रकृति मनुष्य की बेहयाई को ढँक रही हो।
प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, संवेदनशून्यता और आर्थिक विषमता को उजागर करना है। आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है। निर्धन की सहायता करने की अपेक्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मुक्ति पा लेते हैं। हर कोई अपनी सामजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। किसी को अन्य के दुःख से कुछ लेना-देना नहीं होता।
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